डॉक्टर की मौत: आयरलैंड के सामने सरकार उठाएगी मामला

सविता हलपनावर के माता-पिता ने आयरिश गर्भपात कानून में संशोधन की माग की है, जिसने उनकी बेटी की जान ले ली। वहीं, आयरलैंड में मौजूद भारतीय एंबेसडर वहां की सरकार के सामने इस मामले को उठाएंगे।

सदमे से गुजर रहे सविता के पिता अंदानेप्पा यालगी और मा महादेवी यालगी ने भी भारत सरकार से माग की कि वह आयरिश सरकार पर कानून में संशोधन करने के लिए दबाव बनाए, ताकि भविष्य में किसी और के साथ ऐसी त्रासदी न हो। उनका कहना है कि कितने ऐसे मामले है जिसको हिंदुओं की जरूरत के अनुसार बदला जाना चाहिए। हम हिंदु है न कि ईसाई।

भारत के विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने आयरलैंड में हुई सविता की मौत पर दुख जताया और कहा कि वे इस मुद्दे को आयरिश सरकार के समक्ष उठाएंगे। सलमान खुर्शीद ने कहा कि ये एक दुख का विषय है। आयरलैंड की कुछ अपनी व्यवस्था है और वो व्यवस्था वहा धर्म से जुड़ी व्यवस्था है, लेकिन मैं मानता हूं कि धर्म से जुड़ी व्यवस्था में भी इससे बढ़कर कोई बात नहीं हो सकती कि एक मा की जान बचाई जाए।

31 वर्षीय सविता हलपानवार की पिछले महीने आयरलैंड में उस समय रक्त में संक्रमण के कारण मौत हो गई थी जब डाक्टरों ने 17 सप्ताह के गर्भ को यह कहते हुए गिराने से मना कर दिया था कि यह कैथोलिक देश है। घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि हमें सविता हलपनवार की मौत पर गहरा खेद है। किसी भारतीय नागरिक की ऐसे हालातों में मौत चिंता का विषय है। डबलिन स्थित हमारा दूतावास घटना पर नजर रखे हुए हैं। सविता के पति और बोस्टन साइंटिफिक में इंजीनियर प्रवीण ने बताया था कि उनकी पत्नी ने तीन दिनों में कई बार गर्भपात का आग्रह किया, लेकिन इससे इन्कार कर दिया गया क्योंकि भ्रूण की दिल की धड़कन चल रही थी। बाद में मृत भ्रूण को निकाला गया और सविता को आपात चिकित्सा कक्ष में भर्ती किया गया जहा 28 अक्टूबर को उनकी मौत हो गई।

अकबरुद्दीन ने बताया कि भारत इस मामले की आयरिश अधिकारियों द्वारा कराई जा रही दो जाचों के परिणामों का इंतजार कर रहा है और इसके बाद वे आगे की कार्रवाई के बारे में सोचेगा। सविता की मौत की जाच के लिए स्वतंत्र विशेषज्ञ नियुक्त किया गया है। इससे पहले यूनिवर्सिटी अस्पताल गालवे में भी मामले की आतरिक जाच शुरू हो गई थी। इस बीच भारतीय मूल की दंतचिकत्सक सविता हलपनवार की मौत के बाद आयरलैंड के गर्भपात कानूनों के खिलाफ विरोध शुरू हो गया है। आयरलैंड की राजधानी डबलिन में संसद के बाहर बुधवार शाम को लगभग 2000 लोग जमा हुए जो देश के गर्भपात कानून में बदलवा की माग कर रहे थे, वहीं लंदन में आयरिश दूतावास के बाहर भी लगभग 40 लोगों का एक गुट जमा हुआ और कॉर्क शहर के ऑपेरा हाउस में सविता हलप्पनवार की याद में लोगों ने मोमबत्तिया जलाई।

आयरलैंड में अभी तक गर्भपात पर एक राय नहीं बन पाई है। हालाकि हालात पहले जितने खराब नहीं हैं, लेकिन एक्स केस के बीस साल बीतने के बाद भी इस मामले में देश का कानून साफ-साफ कुछ नहीं कहता। एक्स केस एक 14 साल की स्कूली लड़की का मामला था, जो दुष्कर्म का शिकार होकर गर्भवती बन गई थी। प्रशासन उसे गर्भपात कराने की अनुमति नहीं दे रहा था, ऐसे में उस लड़की ने आत्महत्या कर ली थी। तब आयरिश सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि भ्रूण और मां दोनों को जीने का समान अधिकार है, लेकिन आत्महत्या की आशका को देखते हुए गर्भपात की अनुमति देनी चाहिए। लेकिन इसके बाद किसी सरकार ने कानून में बदलाव करने की कोशिश नहीं की, ताकि चिकित्सकों के सामने यह स्पष्ट हो पाता कि वह किन-किन परिस्थितियों में गर्भपात कर सकते हैं। राजनेता निजी तौर पर मानते हैं कि आयरलैंड के लोग गर्भपात नहीं कराने में विश्वास रखते हैं और तब आयरलैंड में इसे लागू भी नहीं कराना चाहते हैं जब तक इस मसले पर पूरे ब्रिटेन में कोई हल नहीं निकले।

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