डॉ0 भीमराव अम्वेडकर के निवारण दिवस पर गोष्ठी का आयोजन

महापुरूषों की जीवनी पढ़ने से हमारे अंदर राष्ट्र प्र्रेम की भावना जाग्रत होती है-कर्मयोगी
छतरपुर – 6 दिसम्बर 2019- भारत के संविधान सभा के अध्यक्ष गरीवों दलितों के मसीहा डॉ0 भीमराव अम्वेडकर का निधन 6 दिसम्बर 1956 को दिल्ली में हो गया था उनके निवारण पुण्यतिथि दिवस पर ष्षासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्धालय महेवा जिला छतरपुर में एक गोष्ठी का आयोजन समाजसेवी संतोष गंगेले कर्मयोगी कि उपस्थिति में किया गया । इस गोष्ठी की अध्यक्षता संस्था प्रार्चाय श्री धनीराम अहिरवार ने की कार्यक्रम का संचालन श्री मनोज चौरसिया षिक्षक ने किया ।
सर्व प्रथम डॉ0 भीमराव अम्वेडकर के चित्र पर पुष्पॉजलि अर्पित की गई उसके बाद छात्र छात्राओं ने अपने अपने विचार रखें । सभी प्रतिभागी बच्चों को समाजसेवी संतोष गंगेले कर्मयोगी व्दारा अपनी ओर से पुरूष्कार देकर सम्मानित किया गया । इस अवसर पर उन्होने कहा कि आज प्रत्येक भारतवासी को अपने बच्चों में भारतीय इतिहास और आजादी में प्राणों की अहूतियॉ देने वाले ष्षहीदों, महापुरूषों की जीवन पढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए । आज भारतीय संस्कृति, संस्कारों, नैतिक षिक्षा का पतन हो रहा है कुछ असामाजिक तत्वों व्दारा देष की एकता और अख्ंाडता को नुकषान पहुॅचाने के लिए अनेक भ्रॉतियॉ पैदा की जा रही है वहीं मोवाईल और इंटरनेट से आज के युवा रास्ता भटक रहा है जिससे बचाना होगा । इस अवसर पर संस्था के प्रार्चाय श्री धनीराम अहिरवार ने कहा कि हमें गर्व है कि हमारे क्षेत्र के समाजसेवी संतोष गंगेले कर्मयोगी समूचे बुन्देलखण्ड में स्वतंत्रता संग्राम सैनानियों महापुरूषों की जयन्ती और निवारण दिवस के साथ -साथ नैतिक षिक्षा और संस्कार के लिए अपना जीवन समर्पित कर समाजसेवा में लगे है । आज उन्होने विद्धालय में आकर भारत के महापुरूष डॉ0 भीमराव अम्वेडकर के निवारण दिवस पर गोष्ठी का आयोजन करने केलिए मुझें प्रेरित किया और यह आयोजन बहुत ही प्रेरणा देने वाला रहा । इस अवसर पर बच्चों को बहुत ही षिक्षाप्रद और जीवन जीने वाले विचारों से प्रभावित किया । उन्होने बच्चों को अनेक संकल्प दिलाकर परीक्षा की तैयार और षिक्ष ग्रहण करने हेतू प्रेरित किया। ष्षाला परिवार उनका आभार व्यक्त करता है ।
ष्षा0मा0षाला मलपुरा के प्रधानाध्यापक श्री बी के सक्सेना ने कहा कि आज के समय में इस प्रकार के जन जाग्रति करने वाले परोपकारी व्यक्ति बहुत ही कम समाज में है इसलिए समाज को दिषा देने के लिए जो कार्य संतोष गंगेले कर्मयोगी कर रहे है यदि समाज के अन्य लोग भी आगे आते है तो समाज को चेतना और नई दिषा मिलेगी । इस पाठषााला परिवार के बच्चों को भी संतोष गंगेले ने साहित्य सामग्री देकर प्रोत्साहित और सम्मानित किया । बेटी पूजन और सम्मान किया ।

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