वॉलमार्ट पर भारत में रिश्वत देने के गंभीर आरोप

अमेरिकी कंपनी वॉलमार्ट पर सिर्फ लॉबिंग की तोहमत ही नहीं, भारत में रिश्वत देने के आरोप भी हैं। अमेरिकी कानून लॉबिंग की इजाजत भले ही देता हो, लेकिन रिश्वत वहा भी अपराध है। इसलिए अमेरिका के बेहद सख्त कानून फॉरेन करप्ट प्रैक्टिसेस एक्ट (एफसीपीए) के तहत वॉलमार्ट के भारतीय संचालनों की जाच हो रही है।

वॉलमार्ट ने दैनिक जागरण को भेजे लंबे जवाब में इस जाच की बात मानी है। कंपनी अपने भारतीय सीएफओ सहित कुछ अधिकारियों को निलंबित कर चुकी है, जो हाल के वर्षो में ऐसे मामले में वॉलमार्ट की अपनी तरह की पहली कार्रवाई है। अमेरिकी सीनेट में पेश वॉलमार्ट की जिस लॉबिंग रिपोर्ट पर सरकार आज सवालों में घिरी है। इसके मद्देनजर वॉलमार्ट पर बना रिश्वतखोरी का मामला और ज्यादा गंभीर हो जाता है।

सरकार जाच को लेकर चाहे असमंजस में हो लेकिन भारत में रिश्वत का मामला वॉलमार्ट में बेहद संजीदा बताया जा रहा है। कंपनी के मैक्सिको, चीन, ब्राजील के संचालनों में भी एफसीपीए के उल्लंघन का मामला बना है।

सूत्रों के मुताबिक रिश्वतखोरी में कंपनी के अधिकारियों का निलंबन सिर्फ भारत में हुआ है। इस रिश्वत का भारत में विदेशी निवेश से क्या रिश्ता है, यह बात जाच से ही साफ हो सकेगी। वॉलमार्ट परोक्ष रुप से स्वीकार कर रही है कि भारत में उसका कारोबार साफ-सुथरा नहीं था, लेकिन उसने अपनी अंदरूनी जाच का ब्योरा नहीं दिया है। सिर्फ यही नहीं, वॉलमार्ट भारत में फेमा कानून के उल्लंघन के भी फंसी है, जो भारती समूह की कंपनी में इसके निवेश से संबंधित है।

दैनिक जागरण ने लॉबिंग और एफसीपीए के तहत जाच पर वॉलमार्ट से कुछ सवाल पूछे थे जिन पर कंपनी के प्रवक्ता का लंबा जवाब आया है। कंपनी ने भारतीय बाजार में प्रवेश के लिए लॉबिंग से जुड़े आरोपों को खारिज किया है, लेकिन एफसीपीए पर पड़ताल की बात मानी है।

वॉलमार्ट ने कहा है कि वह भारतीय संचालनों की गहराई से जाच कर रही है और इसी सिलसिले में कंपनी और भारती के कुछ अधिकारी हटाए गए हैं। लॉबिंग अमेरिका में सामान्य है, इसलिए वॉलमार्ट का रिश्वत प्रकरण अंतरराष्ट्रीय कॉरपोरेट जगत में ज्यादा सुर्खियों में हैं। दुनिया के सभी उभरते बाजारों में रिश्वत का मामला निकलना वॉलमार्ट की छवि दागी कर रहा है। अमेरिका का एफसीपीए कानून देश की कंपनियों की तरफ विदेश में अनुचित ढंग से कारोबार पर कार्रवाई करता है। इस कानून के तहत पिछले चार साल में अमेरिकी कंपनिया करीब दो अरब डॉलर का जुर्माना भर चुकी हैं। अमेरिकी सरकार ने इसी साल अक्टूबर में इस कानून को संशोधित कर और सख्त किया है।

विवादों में मार्ट

1. रिश्वतखोरी : भारत में फॉरेन करप्ट प्रैक्टिसेस एक्ट के उल्लंघन का मामला। अधिकारी निलंबित। चीन, ब्राजील और मैक्सिको में भी इसी तरह के प्रकरण।

2. लॉबिंग : भारत में विदेशी निवेश के लिए लॉबिंग पर 125 करोड़ रुपये खर्च किए। अमेरिकी संसद में रिपोर्ट पेश।

3. विदेशी मुद्रा कानून का उल्लंघन : भारती समूह की कंपनी सेडार सपोर्ट सर्विसेज में 450 करोड़ रुपये निवेश। रिजर्व बैंक ने फेमा जाच की सिफारिश की। कंपनी पर पिछले दरवाजे से मल्टीब्राड रिटेल में प्रवेश का आरोप। भारती समूह की कंपनी ईजी डे मल्टी ब्राड रिटेल स्टोर चलाती है।

रिश्वतखोरी के आरोप पर वॉलमार्ट:

हम भारत, चीन, ब्राजील और मैक्सिको सहित कई बाजारों में फॉरेन करप्ट प्रेक्टिसेस एक्ट से जुड़े मामलों की जाच कर रहे हैं। इस जाच पर पिछले 18 माह में 350 लाख डॉलर खर्च किए गए हैं। वॉलमार्ट और भारती के अधिकारी इस जाच के कारण हटाए गए हैं। कंपनी पूरी, बेबाक जाच करेगी।

लॉबिंग:

आरोप पूरी तरह झूठे। कंपनी ने अमेरिकी कानून के हिसाब से लॉबिंग पर अपने खर्च का ब्योरा दिया है। कंपनी ने अमेरिकी सरकार के साथ भारत में निवेश व व्यापार संभावनाओं पर बात की थी जो स्वाभाविक है।

मैक्सिको प्रसंग :

नए स्टोर खोलने के लिए सरकारी मंजूरिया लेने में रिश्वत देने के मामले। रिश्वत देने के लिए बिचौलियों का इस्तेमाल। अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने इस साल अप्रैल में किया था खुलासा।

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