वेदांता ग्रुप की कंपनियां बिना किसी बाधा के बच्‍चों की पढ़ाई सुनिश्चित करने के लिए आगे आईं

कोविड-19 महामारी के चलते मानवता हालिया इतिहास के सबसे कठिन संकटों में से एक का सामना कर रही है। देशव्यापी लॉकडाउन ने बच्चों को सीमित जगहों और स्थानों में कैद कर दिया है। बच्चों को जोड़े रखने और उनके दिलों में उम्मीद बनाये रखने के लिये वेदांता ग्रुप की कंपनियों- केयर्न ऑयल एंड गैस और हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड (एचजेडएल) ने आगे बढ़कर शिक्षा और लर्निंग के क्षेत्र में कई कार्यक्रम शुरू किये हैं। दोनों कंपनियाँ राजस्थान में अपनी पहलों के माध्यम से बच्चों को बदलाव का नेतृत्वकर्ता बनने और संकट के बीच सीखने की अपनी यात्रा जारी रखने के लिये प्रोत्साहित कर रही हैं, ताकि वे दुनिया को हर दिन जी भरकर जीने के लिये प्रेरित कर सकें।

वेदांता लिमिटेड के चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर सुनील दुग्गल ने कहा, ‘‘वेदांता जमीनी स्तर पर बच्चों के जीवन में बदलाव लाने और उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिये प्रतिबद्ध है, खासकर इस चुनौतीपूर्ण समय में, जो कि इस लक्ष्य का एक महत्वपूर्ण भाग है। केयर्न ऑयल एंड गैस और हिन्दुस्तान जिंक ने अभिनव और टेक्नोलॉजी से सहयोग प्राप्त पहलें शुरू की हैं, ताकि स्टूडेन्ट्स लर्निंग के नये तरीके अपना सकें और बच्चों को नुकसान न उठाना पड़े।’’

वेदांता ग्रुप की कंपनियों की छत्रछाया के अंतर्गत कुछ प्रमुख प्रोजेक्ट्स इस प्रकार हैं:

1.प्रोजेक्ट ई-कक्षा- केयर्न ऑयल एंड गैस द्वारा राजस्थान में पढ़ रहे ग्रामीण बच्चों के लिये डिजिटल शिक्षा की एक अनोखी पहल

ई-कक्षा का लक्ष्य गणित, भौतिकी, रसायन शास्त्र, जीवविज्ञान, अंग्रेजी, आदि जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विशेष ध्यान के साथ सभी विषयों के लिये कक्षा 6 से 12 के स्टूडेन्ट्स के लिये राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग के साथ भागीदारी में डिजिटल प्लेटफॉर्म्‍स के माध्यम से शिक्षा प्रदान करना है। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत अब तक 300 से ज्यादा वीडियोज डेवलप किये जा चुके हैं, क्योंकि इस पहल का लक्ष्य राज्य के 33 जिलों के 65000 से ज्यादा सरकारी स्कूलों के 1.7 करोड़ से ज्यादा स्टूडेन्ट्स को फायदा देना है। ई-कंटेन्ट की आपूर्ति सरकार के डिजिटल माध्यमों द्वारा की जाएगी, जैसे शिक्षा वाणी, शिक्षा दर्शन (दूरदर्शन राजस्थान), स्माइल प्रोग्राम, साथ ही प्रत्येक सरकारी स्कूल में आरबीएसई ई-कक्षा के ऑफिशियल यूट्यूब चैनल के अलावा आईसीटी लैब और स्मार्ट कक्षाएं भी होंगी। उज्जवल प्रोजेक्ट बाड़मेर, राजस्थान के 20 सरकारी स्कूलों में कमजोर और स्कूल छोड़ चुके स्टूडेन्ट्स के लिये सुधारात्मक और ब्रिज कक्षाएं देने पर केन्द्रित है और उसने लॉकडाउन के बाद अपने छोटे गांवों और क्लस्टर्स में शिक्षा प्रदान करना जारी रखा है।

इस प्रोजेक्ट के बारे में राजस्थान के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह दोतासरा ने कहा, ‘‘कोविड-19 महामारी के चलते सरकारी स्कूल बंद होने से बच्चों की शिक्षा बाधित हुई है। राजस्थान सरकार ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में शिक्षा को राजस्थान के बच्चों की पहुँच में लाने की कोशिश की है। यह घोषणा करते हुए मुझे खुशी हो रही है कि हमारे शिक्षा विभाग ने इस कठिन समय में घरों में बंद बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिये उत्साहपूर्वक काम किया है और वेदांता तथा मिशन ज्ञान के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।’’ पाली के जिला कलेक्टर, आईएएस श्री अंशदीप ने ई-कक्षा प्रोजेक्ट की सराहना की है।

2.घर बैठे ज्ञान गंगा- केयर्न ऑयल एंड गैस का एज्युकेशन प्रोजेक्ट

स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिये गुजरात में लॉन्च हुए इस प्रोजेक्ट ने स्मार्ट क्लासेस स्थापित की हैं और एक्‍सपेरिएंशल लर्निंग के लिये शिक्षा देने की खोजपरक विधियाँ प्रस्तुत की हैं। अब तक, इस एज्युकेशन प्रोजेक्ट ने 1700 से ज्यादा बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और लर्निंग दी है।

3.एचजेडएल का शिक्षा संबल

शिक्षा संबल प्रोजेक्ट का लक्ष्य विज्ञान, गणित और अंग्रेजी (एसईएम) जैसे महत्वपूर्ण विषयों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना हे। यह प्रोजेक्ट स्कूलों में अतिरिक्त शिक्षक रखता है और सीखने की खोजपरक तकनीकों और गतिविधियों, जैसे ग्रुप लर्निंग, वर्कशीट्स, लर्निंग कैम्प्स, साइंस फेयर्स, आदि का इस्तेमाल कर स्टूडेन्ट्स के बीच एक मजबूत कॉन्सेप्चुअल आधार निर्मित करता है। इस प्रोजेक्ट ने 64 सरकारी स्कूलों और कक्षा 9 से 12 तक के 7300 से ज्यादा स्टूडेन्ट्स को फायदा पहुँचाया है। इस महामारी के दौरान, प्रोजेक्ट टीम ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्‍स और होम विजिट्स के माध्यम से स्टूडेन्ट्स से जुड़ी, ताकि पढ़ाई जारी रहे।

4.एचजेडएल का माइंडस्पार्क

माइंडस्पार्क लर्निंग लैब एक व्यक्तिपरक और अनुकूल लर्निंग प्रोग्राम है, जो कक्षा 1 से 8 के लिये भाषा और गणित की शिक्षा को मजबूत करने के लिये व्यक्तिपरक और अनुकूल क्लाउड-आधारित लर्निंग सॉल्यूशन प्रदान करता है। अभी यह प्रोग्राम 38 सरकारी स्कूलों में चल रहा है और 6000 से ज्यादा स्टूडेन्ट्स को फायदा पहुँचा रहा है।

5.एचजेडएल की ऊँची उड़ान

हिन्दुस्तान जिंक की ‘ऊँची उड़ान’ शिक्षा में उत्कृष्टता की एक पहल है, जो शिक्षा संबल के आधार पर खड़ी है और कंपनी के परिचालन क्षेत्रों की कम्युनिटीज से आने वाले और सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छोटे और गुणी स्टूडेन्ट्स की पहचान कर राष्ट्रीय स्तर के इंजिनियरिंग संस्थानों में उनका प्रवेश कराने के लिये उनकी मेंटरिंग करने पर लक्षित है। कंपनी हर साल अपने परिचालन वाले जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों से 25-30 स्टूडेन्ट्स का चयन करती है, जिसके लिये एक कठिन चयन प्रक्रिया होती है, जो 6 जिलों में की जाती है- राजस्थान के उदयपुर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद और अजमेर, और उत्तराखण्ड का पंतनगर। इन स्टूडेन्ट्स को फ्री कोचिंग दी जाती है, ताकि वे आईआईटी में भाग लेकर उत्तीर्ण हो सकें या अन्य प्रतिष्ठित इंजिनियरिंग कॉलेजों में भर्ती हो सकें। यह प्रोजेक्ट स्टूडेन्ट्स के चयनित समूह को आवासीय स्कूलिंग और कोचिंग सपोर्ट देता है। इस प्रोजेक्ट का क्रियान्वयन विद्या भवन और रेजोनेन्स एडु वेंचर्स द्वारा किया जा रहा है। अभी ऊँची उड़ान प्रोग्राम में कक्षा 9 से 12 तक के चार बैचेस चल रहे हैं और यह प्रोजेक्ट 134 स्टूडेन्ट्स को फायदा दे रहा है।

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