भारत के माननीय वित्त राज्य मंत्री डॉ. किशनराव कराड ने भारतीय निर्यात-आयात बैंक (इंडिया एक्ज़िम बैंक) द्वारा आयोजित ब्रिक्स वित्तीय फोरम का उद्घाटन करते हुए ब्रिक्स राष्ट्रों के सदस्य विकास बैंकों से साथ आने और वित्तीय क्षेत्र के सामने आने वाली चुनौतियों के समाधान के लिए मिलकर काम करने का सुझाव दिया। डॉ. कराड ने कहा कि ब्रिक्स अंतरबैंक सहयोग व्यवस्था के अंतर्गत पांचों संस्थाओं का अनुभव मिला दें, तो यह लगभग 200 साल हो जाता है। हमें जलवायु परिवर्तन से लेकर व्यापार और निवेशों को सुगम बनाने तक में आने वाली चुनौतियों को दूर करने के लिए इस अनुभव का इस प्रकार सदपुयोग करना चाहिए कि उससे परस्पर सौहार्द और वृद्धि को बढ़ावा मिले।
ब्रिक्स वित्तीय सहयोग के जरिए आर्थिक वृद्धि और समृद्धि बढ़ाना थीम पर डॉ. कराड ने कहा कि प्रत्येक देश की अपनी विकास प्रक्रिया होती है, जिससे उनकी नीतिगत प्राथमिकताएं और भविष्य की नीतियां तय होती हैं। इसके बावजूद कुछ साझी चुनौतियां भी होती हैं, जिन्हें अलग नहीं किया जा सकता है। ब्रिक्स वित्तीय फोरम की थीम इसी संदर्भ में विशेष रूप से महामारी के इस दौर में और महत्त्वपूर्ण हो जाती है।
वार्षिक ब्रिक्स वित्तीय फोरम के मंच से डॉ. कराड ने कहा, “ब्रिक्स देशों को इस अवसर को विकास केंद्रित वैश्वीकरण रोडमैप बनाने के लिए भुनाना चाहिए। इससे अधिक समावेशी सामाजिक-आर्थिक विकास की राह प्रशस्त होगी।”
न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) के अध्यक्ष श्री मार्कोस ट्रोइयो ने अपने विशेष संबोधन में कहा कि एनडीबी के साथ ब्रिक्स विकास बैंकों में वित्तीय सहयोग के कई अवसर हैं। श्री ट्रोइयो ने यह भी कहा कि ब्रिक्स देशों में लगभग 80 बुनियादी ढांचागत और संपोषी विकास परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए एनडीबी द्वारा लगभग 30 बिलियन यूएस डॉलर की सहायता दी जा चुकी है। इसमें से 9 बिलियन यूएस डॉलर का वित्तपोषण सदस्य देशों में कोविड-19 के प्रभावों से उबरने के लिए किया गया है। श्री ट्रोइयो ने यह भी बताया कहा कि एनडीबी के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स द्वारा संयुक्त अरब अमीरात, उरुग्वे और बांग्लादेश को एनडीबी में प्रथम नए सदस्य देशों के रूप में शामिल होने के लिए अनुमोदन दे दिया है। यह अनुमोदन एनडीबी को इन उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के लिए शीर्ष संस्था के रूप में खड़ा करने की रणनीति के अनुरूप दिया गया है।
इंडिया एक्ज़िम बैंक की प्रबंध निदेशक सुश्री हर्षा बंगारी ने प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए विशेष रूप से महामारी के दौरान ब्रिक्स अर्थव्यवस्थाओं के बीच परस्पर सहयोग, श्रेष्ठतम पद्धतियां साझा करने और उनसे सीखने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने ब्रिक्स अर्थव्यवस्थाओं को इस संकट से उबारने और उनमें नई जान फूंकने के लिए ब्रिक्स राष्ट्रों की संबंधित सरकारों एवं आईसीएम की सदस्य संस्थाओं द्वारा किए जा रहे उपायों का भी विशेष रूप से उल्लेख किया। सुश्री बंगारी ने कहा “ब्रिक्स राष्ट्रों के सदस्य विकास बैंकों के रूप में हमें नवाचार और अपनी विशेषज्ञता को साझा करते हुए परस्पर सहयोग को निरंतर बनाए रखना चाहिए। विचार, परिवर्तन की दिशा में पहला कदम होते हैं और उन विचारों पर काम करने के लिए परस्पर सहयोग जरूरी होता है।”
भारत की अध्यक्षता में ब्रिक्स फोरम के दौरान इंडिया एक्ज़िम बैंक ने शोध पत्रों का एक संकलन भी प्रकाशित किया। “ब्रिक्स सहयोग को बढ़ानाः आगे की राह” शीर्षक वाले इस संकलन में व्यापार, निवेश और वित्त क्षेत्रों में ब्रिक्स देशों के सहयोग की संभावनाओं को रेखांकित किया गया है।
बैंक ने इंडिया एक्ज़िम बैंक के ब्रिक्स आर्थिक शोध वार्षिक पुरस्कार 2021 के विजेता की घोषणा की और पुरस्कार विजेता को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के दौरान इस वर्ष का यह पुरस्कार डॉ. राहुल सिंह को उनकी डॉक्टोरल थिसिस “उदारीकरण के बाद के भारत में अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर आलेख” के लिए दिया गया है।
ब्रिक्स सदस्य देशों सहित दुनियाभर से सैकड़ों लोगों ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
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श्री एस. प्रहलादन अय्यर, मुख्य महाप्रबंधक, भारतीय निर्यात-आयात बैंक, केंद्र एक भवन, 21वीं मंज़िल, विश्व व्यापार केंद्र संकुल, कफ़ परेड, मुंबई- 400005 टेलीफ़ोन : 91-22-22172704 ई-मेल : [email protected]