रबी सीजन में सरसों की पैदावार 29 प्रतिशत बढ़कर 109.5 लाख टन होने का अनुमान: सीओओआईटी

नई दिल्ली , मार्च, 2022 :खाद्य तेल उद्योग की शीर्ष केंद्रीय संस्था ‘सीओओआईटी’ (कूइट) ने आज 2021-22 के फसल वर्ष के लिए सरसों के उत्पादन का अनुमान 109.50 लाख टन के सार्वकालिक उच्च स्तर होने की घोषणा की। यह पिछले वर्ष की तुलना में 29 प्रतिशत अधिक है।
रबी (सर्दियों) के मौसम में उगाए जाने वाले सरसों के बीज का उत्पादन पिछले वर्ष 85 लाख टन था। इस अनुमान को केंद्रीय तेल उद्योग और व्यापार संगठन (सीओओआईटी) ने 12 और 13 मार्च को राजस्थान के भरतपुर में आयोजित 42 वें वार्षिक सम्मेलन के दौरान अंतिम रूप दिया।
‘तिलहन, तेल व्यापार और उद्योग’ पर आयोजित 42वें अखिल भारतीय रबी संगोष्ठी में राज्य के कई मंत्रियों, सरकारी अधिकारियों, कृषि वैज्ञानिकों, उद्योग जगत के दिग्गजों और प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया। रबी संगोष्ठी की मेजबानी भरतपुर तेल मिल संघ (बोमा) ने की।
कूइट के आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 में सरसों का उत्पादन 109.5 लाख टन होने का अनुमान है। पैदावार के लिए क्षेत्र 87.44 लाख हेक्टेयर आंका गया है, जबकि औसत उपज 1270 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होने का अनुमान है।
कूइट ने पूरे भारत में विभिन्न टीमों द्वारा क्षेत्र के व्यापक दौरे के बाद इस रबी सीजन में सरसों के उत्पादन के अनुमानों को अंतिम रूप दिया है। उत्पादन रिकॉर्ड 109.5 लाख टन, तारामीरा 1.50 लाख टन होने के आसार हैं, ” कूइट के चेयरमैन श्री सुरेश नागपाल ने कहा।
उन्होंने कहा कि सरसों के उत्पादन में संभावित वृद्धि देश के लिए शुभ संकेत है, क्योंकि सरसों के तेल का घरेलू उत्पादन बढ़ने से खाद्य तेल आयात में कमी आ सकती है।
श्री नागपाल ने कहा, “किसानों ने इस रबी सीजन के दौरान सरसों की फसल के तहत अधिक क्षेत्र की बुवाई की है, क्योंकि उन्हें पिछले साल की फसल से अच्छी आय हुई थी।”
सरसों के बीज रबी के मौसम में ही उगाए जाते हैं और बुवाई अक्टूबर से शुरू होती है, जबकि कटाई मार्च से शुरू होती है। सरसों खासकर राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए महत्वपूर्ण नकदी फसल है। राजस्थान देश का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। 2021-22 के रबी सीजन के दौरान सरसों का उत्पादन पिछले वर्ष के 35 लाख टन से बढ़कर 49.50 लाख टन होने की उम्मीद है। उत्तर प्रदेश में उत्पादन 13.5 लाख टन से बढ़कर 17 लाख टन होने की संभावना है। मध्य प्रदेश में सरसों का उत्पादन 8.5 लाख टन से बढ़कर 12.5 लाख टन होने का अनुमान है।
पंजाब और हरियाणा में सरसों का उत्पादन 11.50 लाख टन होने की उम्मीद है, जोकि पिछले वर्ष के 9.5 लाख टन से ज्यादा है। गुजरात में उत्पादन पिछले वर्ष के 4 लाख टन के मुकाबले बढ़कर 6.5 लाख टन होने की उम्मीद है। पश्चिम बंगाल, पूर्वी भारत और अन्य राज्यों में उत्पादन पिछले वर्ष के समान ही 14.5 लाख टन रहने की संभावना है।
खाद्य तेलों की अपनी कुल घरेलू मांग का लगभग 60-65 प्रतिशत भारत आयात करता है। 2020-21 के तेल वर्ष (नवंबर-अक्टूबर) में देश का आयात 13 मिलियन टन पर स्थिर रहा। लेकिन, मूल्य के तौर पर आयात पिछले वर्ष के लगभग 72,000 करोड़ रुपये से 1.17 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया।
सम्मेलन के दौरान, प्रतिनिधियों ने भारतीय खाद्य तेल उद्योग के सामने आने वाली विभिन्न चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया। बैठक के दौरान सरसों के बीज के घरेलू उत्पादन में वृद्धि करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया, जिसमें लगभग 38-43 प्रतिशत तेल होता है, क्योंकि इससे न केवल भारत के खाद्य तेल आयात में कटौती होगी, बल्कि छोटी मिल वालों को अपनी स्थापित क्षमता का उपयोग करने में भी मदद मिलेगी।
दो दिवसीय संगोष्ठी के दौरान संघ ने किसानों को अन्य फसलों से सरसों की पैदावार के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सरकार की सराहना की। 1958 में स्थापित, कूइट देश में संपूर्ण वनस्पति तेल क्षेत्र के हितों का प्रतिनिधित्व करने वाली राष्ट्रीय सर्वोच्च संस्था है।

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