टाटा मोटर्स भारत में हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक का विकास करने के लिए निरंतर प्रयासरत है

मुंबई, 16 मार्च 2022 : दुनिया में स्वच्छ ईंधन और वैकल्पिक ऊर्जा स्त्रोतों के इस्तेमाल की दिशा में चल रहे गंभीर आंदोलन के बीच, विश्व के तमाम देशों ने अगले कुछ दशकों में शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य तक पहुंचने की प्रतिबद्धता जताई है। भारत सरकार ने भी 2030 तक अपनी अर्थव्यवस्था में उत्सर्जन की तीव्रता को 45 फीसदी तक कम करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है। इस पृष्ठभूमि में हाईड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक जीवाश्म ईंधन की जगह लेने के लिए बेहतरीन विकल्प के रूप में उभर रही है। देश भर में तमाम इंडस्ट्रीज और सेक्टर ऑटोमोबाइल क्षेत्र में ऊर्जा के स्त्रोत के रूप में हाइड्रोजन का इस्तेमाल करने की ओर लगातार तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। टाटा मोटर्स ने इस दिशा में उल्लेखनीय कदम उठाए हैं। हाइड्रोजन से चलने वाले वाहनों के विकास में यह सबसे आगे है।

प्रमुख आकर्षण :
टाटा मोटर्स फ्यूल सेल तकनीक का प्रदर्शन करने वाले वाहनों की परियोजना पर काम कर रहा था। इसकी परिकल्पना टेक्‍नोलॉजी डिवेलपमेंट एंड डिमॉन्‍स्‍ट्रेशन प्रोग्राम (टीडीडीपी) के तहत भारत सरकार के साथ मिलकर की गई थी। इन वाहनों के विकास के दौरान प्रणाली एकीकरण, परीक्षण और सत्यापन के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के सहयोग और समन्वय से काम किया गया।
· टाटा मोटर्स ने इस तकनीक के लिए समर्पित लैब की स्थापना पुणे में की है। इससे पहले यह लैब बेंगलुरु में थी, जहां कंपनी ने ने इस तकनीक पर इसरो और भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के सहयोग के साथ काम किया।

· ऑटो एक्सपो जैसे विभिन्‍न प्रमुख पब्लिक फोरम्‍स में फ्यूल सेल से लैस बस का प्रदर्शन किया गया

· टाटा मोटर्स ने हाइड्रोजन को संभालने और उसे संरक्षित करने की क्षमता के विकास के साथ इससे जुड़ी सुरक्षा की प्रणाली भी विकसित की है। इस क्षमता का विकास सावधानीपूर्वक डिजाइन बनाने, एकीकरण, सिम्युलेशन, परीक्षण के माध्यम से किया गया। इस कार्यक्रम के तहत देश भर में बने मॉडलों का आकलन किया गया।

· कंपनी ने फ्यूल सेल बसों की जांच करने के लिए साणंद में एक समर्पित हाइड्रोजन डिस्‍पेंसिंग स्टेशन और टेस्ट ट्रैक बनाया है

· जून 2021 में, कंपनी को इंडियल ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईओसीसएल) से 15 ड्राइड्रोजन बेस्ड प्रोटोन एक्सचेंज मेंम्‍ब्रेन (पीईएम) फ्यूल सेल से चलने वाली बसों की आपूत्रि का टेंडर मिला था। इस टेंडर में समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर के 144 हफ्तों के भीतर बसों की डिलीवरी करने की प्रतिबद्धता शामिल है।

टाटा मोटर्स के प्रेसिडेंट और सीटीओ श्री राजेंद्र पेटकर ने हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक पर स्थिर रूप से किए गए कार्य पर टिप्पणी करते हुए कहा, “उद्योग में अग्रणी होने के नाते, टाटा मोटर्स भारतीय ऑटोमोबाइल क्षेत्र के स्वच्छ और हरित ईंधन के अभियान में सबसे अग्रिम मोर्चे पर रही है। पिछले कुछ सालों से इंजीनियरिंग रिसर्च सेंचर (ईआरसी) का पूरा ध्यान फ्यूल सेल तकनीक विकसित करने पर है। हम इसके लिए अपने रणनीतिक साझीदारों के करीबी सहयोग से हाइड्रोजन सेल तकनीक पर काफी व्यवस्थित तरीके से शोध कर रहे हैं, इसे विकसित कर रहे हैं और उसका आकलन कर रहे हैं। कंपनी में इस समय 40 से ज्यादा लोग इस तकनीक पर काम कर रहे हैं। आईओसीएल से हासिल किया गया हमारा पिछला टेंडर हमारे उन प्रभाव डालने वाले ठोस कदमों को सत्यापित करता है, जो हम इस तकनीक को मुख्यधारा में लाने के लिए उठा रहे हैं। हमें पूरा विश्वास है कि हाइड्रोजन में शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने की क्षमता है। हमें ये भी भरोसा है कि इस क्षेत्र में हमारी स्थिरता और हमारे प्रयास भविष्य में भी हमारे हाइड्रोजन फ्यूल सेल से चलने वाले वाहनों को उपभोक्ताओं की पहली पसंद बनाएंगे।”

error: Content is protected !!