ऐसे समय, जबकि देश भर में बहस छिड़ी है, घर से निकलें तो तन ढंका हो, यानी कैसे कपड़े पहने जाएं, खासकर लड़कियों के संदर्भ में। ऐसे में कुंभ मेला प्रशासन ने भी अपनी सलाह दी है। इसमें कहा गया है, ‘धार्मिक पर्व को ध्यान में रखते हुए वस्त्र धारण करें।’ हालांकि, इसमें यह स्पष्ट नहीं है कि धार्मिक पर्व के ड्रेस कोड में कौन-कौन से वस्त्र आएंगे। विभिन्न स्नान पर्वो के हिसाब से कौन से वस्त्र पहनने होंगे। मेला प्रशासन की इस सलाह के दायरे में देश के विभिन्न राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं के साथ ही विदेशी भक्त भी होंगे, जो कुंभ पर्व के आकर्षण में बड़ी संख्या में यहां खिंचे चले आते हैं। यह सलाह कुंभ मेला प्रशासन की वेबसाइट पर भी डाली गई है।
कुंभ मेले के दौरान विभिन्न संस्कृतियों की झलक देखने को मिलती है। इनके आचार-व्यवहार, खान-पान, पहनावे में भी विविधता होती है। मेला क्षेत्र न सिर्फ लघु भारत में तब्दील होता है, बल्कि इसमें वैश्विक सुगंध भी घुलती है। यहां देखने को मिलता है नागा बाबाओं का समूह, भगवा वस्त्रधारी साधु-संत, धोती-कुर्ता, साड़ी लपेटे स्त्री-पुरुष, तो जींस-शर्टधारियों की चहल-पहल। मेले में आने वाले विदेशी श्रद्धालुओं का अंदाज भी बिल्कुल जुदा होता है। इनमें कई भारतीय पहनावे में होते हैं, तो अधिकांश अपने देश के रंग में रंगे होते हैं। विभिन्न देश भी भारत आने वाले अपने-अपने नागरिकों को एडवाइजरी जारी करते हैं, जिसमें उन्हें भारतीय परंपराओं के मुताबिक आचरण की सलाह दी जाती है, ताकि देशाटन के दौरान उन्हें किसी तरह की दिक्कतों का सामना न करना पड़े।