साल 2012 में वैज्ञानिकी के क्षेत्र में अहम बदलाव देखने को मिले। एक तरफ गॉड पार्टिकल की धूम तो दूसरी तरफ मंगल पर जीवन मिलने की संभावनाएं। सबसे बड़ी खुशी तो अंतरिक्ष में भारत की बेटी का तिरंगा फहराना दिया।
मंगल की सतह पर अगस्त में भेजे गए रोवर ‘क्यूरोसिटी’ ने बहुत पहले तेजी से बहने वाली जलधारा के साथ बहकर वहां तक आई बजरी को खोज निकाला। इसके अलावा अत्यधिक जिज्ञासा जगा देने वाले कुछ ऐसे सबूत पेश किए, जो इस लाल ग्रह पर रहे जीवन की ओर इशारा करते हैं। नासा के सैंपल एनालिसिस एट मार्स (मंगल पर नमूना विश्लेषण) उपकरण मंगल पर मीथेन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन और नाइट्रोजन आदि की खोज करते हुए उनके बारे में सूचनाएं धरती पर भेज रहे हैं। ये पदार्थ जीवन की मौजूदगी के मुख्य अवयव हैं।
गॉडफादर की खोज
वैज्ञानिकों की सालों की मेहनत आखिरकार रंग लाई। वैज्ञानिकों ने इस साल एक नए कण की खोज का दावा किया। उनके मुताबिक यह कण हिग्स बोसोन या गॉड पार्टिकल जैसा ही है, जिसे ब्रह्मांड की उत्पत्ति में अहम माना जाता है। स्विट्जरलैंड के यूरोपियन सेंटर फॉर न्यूक्लियर रिसर्च (सर्न) में इस ऐतिहासिक खोज की घोषणा की गई। वैज्ञानिक 50 सालों से इस कण की तलाश में जुटे थे।
अंतरिक्ष में सबसे अधिक दिन बिताने वाली भारत की बेटी
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर 127 दिन का अभियान पूरा कर वापस धरती पर लौटने के बाद भारत की बेटी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने वहां तिरंगा फहराकर भारतीयों को खुश कर दिया। सुनीता अंतरिक्ष में सबसे ज्यादा समय बिताने वाली महिला हैं। अब तक अंतरिक्ष में 322 दिन रहने का रिकॉर्ड बना चुकी हैं। इससे पहले 2006 में सुनीता ने 195 दिन अंतरिक्ष में बिताए थे।