‘चुल्लू भर पानी में डूब जाएं आसाराम’

दिल्ली के वसंत विहार इलाके में गैंगरेप का शिकार हुई युवती के परिजनों ने कथावाचक आसाराम बापू के बयान पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए उसे अतार्किक बताया है। परिवार को उनसे ऐसी अपेक्षा नहीं थी। हम आसाराम बापू के प्रति काफी श्रद्धा रखते थे और हमारे पास उनके बारे में लिखी गई काफी पुस्तकें भी हैं। अब हम दिल्ली लौटकर उन पुस्तकों को आग के हवाले कर देंगे। दिवंगत युवती के भाई ने बयान को घटिया और निम्न स्तरीय भी कहा।

 

परिजनों ने कहा कि संतों से इस तरह की वाणी की अपेक्षा नहीं की जा सकती। आसाराम के वक्तव्य ने उनकी मानसिकता को सार्वजनिक कर दिया है। युवती के पिता ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में तो यहां तक कह दिया- आसाराम को चुल्लू भर पानी में डूब जाना चाहिए। वह किसी युवती का पिता होने की कल्पना करें फिर ऐसी बात कहें। लोगों को तो उन्हें पत्थर से मारना चाहिए।

 

आसाराम बापू ने कहा था कि अगर युवती दुष्कर्म करने वालों को अपना भाई कहती, उनके पैर पकड़ती तो वे उसे छोड़ देते। उन्होंने घटना के लिए दोनों पक्षों को जिम्मेदार ठहराया। साथ ही यह भी कहा कि जब युवती को इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया था, तभी वह जान गए थे कि उसकी मौत हो जाएगी। उनका यह वक्तव्य सोमवार को चर्चा में आया था। उसी के बाद से उनकी निंदा शुरू हो गई है।

 

आसाराम के खिलाफ परिवाद दर्ज

 

कानपुर [जागरण संवाददाता]। संत आशाराम बापू के खिलाफ अदालत में मामला दाखिल किया गया है। दिल्ली में सामूहिक दुष्कर्म की शिकार छात्रा पर टिप्पणी के मामले में उनके खिलाफ अदालत में परिवाद [मामला] दर्ज हुआ। 25 जनवरी को अदालत मामले में वादी के बयान दर्ज करेगी।

 

दिल्ली में सत्संग के दौरान संत आशाराम बापू ने छात्रा संग दुष्कर्म मामले में टिप्पणी करते हुए कहा था किउसने आरोपियों को भाई कहकर पुकारा होता तो इससे उसकी इज्जत और जान दोनों बच सकती थी। ताली कभी एक हाथ से नहीं बजती। पीड़ित छात्रा को आरोपियों के पांव पकड़ने चाहिए थे और उनसे दया की भीख मांगनी चाहिए थी। शायद वह पसीज जाते और लड़की के साथ घटना को अंजाम नहीं देते। उन्होंने कहा कि छात्रा ने सरस्वती मंत्र और गुरु दक्षिणा ली होती तो वह ब्वाय फ्रैंड के साथ किसी बस में घुसती ही नहीं।

 

दुष्कर्म आरोपियों के लिए कड़े कानून के प्रावधान पर उन्होंने आपत्ति जताते हुए कहा था कि इसका दुरुपयोग होगा जैसे दहेज के कानून का होता है। मंगलवार को अदालत में उनके खिलाफ दाखिल किए गए प्रार्थना पत्र में यह आरोप लगाए गए हैं। स्पेशल सीजेएम की अदालत में प्रार्थना पत्र देने वाले व्यापारी नेता ज्ञानेश मिश्रा ने मुकदमा दाखिल करते हुए यह आधार बताया कि वह अपने अधिवक्ता अनूप कुमार द्विवेदी के चेंबर में गए थे जहां उन्होंने अखबार में संत आशाराम बापू के उक्त बयान पढ़े। इन बयानों ने स्त्री व पुरुषों के बीच मतभेद की खाई बनाने का काम किया है।

 

उनके बयानों की हर जगह निंदा हुई है। जहां पूरा देश एक साथ मिलकर दोषियों के खिलाफ कड़े कानून की मांग कर रहा है वहां संत आशाराम बापू ऐसी टिप्पणी कैसे कर सकते हैं। अदालत से उन्हे तलब कर दंडित करने की मांग की गई है। मामले में अधिवक्ता इंदीवर बाजपेयी व देवेंद्र शर्मा ने बताया कि 25 जनवरी को वादी ज्ञानेश मिश्रा के बयान दर्ज होंगे।

 

यह मामले भी हो चुके दाखिल

 

-महिलाओं पर टिप्पणी मामले में केंद्रीय कोयला मंत्री के खिलाफ मामला दाखिल किया गया था।

 

-स्वामी विवेकानंद व अंतर्राष्ट्रीय माफिया दाऊद का बौद्धिक स्तर समान बताने पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी के खिलाफ मामला लाया गया था।

 

-भगवान राम को बुरा पति कहने के मामले में कानूनविद् रामजेठ मलानी के खिलाफ परिवाद दर्ज कराया गया जा चुका है।

 

-निर्माता निर्देशक महेश भट्ट व जिस्म फिल्म के कलाकारों के खिलाफ मामला दाखिल किया गया था। आरोप लगा कि फिल्म के प्रचार को ऐसे दृश्य का सहारा लिया गया जो दरअसल फिल्म में था ही नहीं।

 

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