प्रयाग से बैरंग लौटा दी गई राधे मां

जूना अखाड़े की पेशवाई में 16 दिसंबर को शामिल होने आई विवादों में घिरी राधे मां को बैरंग लौटा दिया गया था। अखाड़े ने उन्हें पेशवाई में शामिल होने की अनुमति नहीं दी थी। अखाड़ों के प्रतिनिधियों ने राधे मां के यहां होने की खबर को भी छुपा लिया था।

अब उनके शाही स्नान में शामिल होने को लेकर अखाड़े में मतभेद पैदा हो गया है। कुंभ क्षेत्र में जूना अखाड़े की पेशवाई 16 दिसंबर को निकली थी। इस दौरान राधे मां प्रयाग पहुंचीं थीं और उन्होंने पेशवाई में शामिल होने का प्रयास किया था। अखाड़ा के सचिव महंत हरिगिरि ने सीधे तौर पर इस खबर की पुष्टि नहीं की है, लेकिन कहा कि उनके यहां किसी के आने जाने पर रोक नहीं है।

पेशवाई में महामंडलेश्वर शामिल होते हैं और भक्त पैदल चलते हैं। ऐसे में पेशवाई में कौन-कौन साधु संन्यासी या भक्त किस रूप में शामिल था, यह पता करना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि राधे मां साधु संन्यासी की परंपरा में रहना चाहती हैं तो किसी को क्यों दिक्कत हो रही है। पेशवाई से बैरंग लौटने के बाद एक बार फिर से शाही स्नान पर राधे मां के आने की चर्चा शुरू हो गई है। इसको लेकर अखाड़ों में अलग-अलग मत हैं। महंत हरिगिरि ने कहा कि शाही स्नान में शामिल होने के लिए राधे मां के भक्तों का दबाव है। उनके कई अधिकारी भक्तों ने उन्हें सम्मानित तरीके से कुंभ क्षेत्र में बुलाने का आग्रह किया है, लेकिन इसको लेकर अभी सहमति नहीं बन पाई है।

यदि वे अपने स्तर से यहां आना चाहें तो कोई रोक टोक नहीं हैं। अखाड़े के कुंभ मेला प्रभारी महंत विद्यानंद सरस्वती ने कहा कि राधे मां को लेकर अनावश्यक विवाद खड़ा किया जा रहा है। जूना अखाड़े में एक लाख साधु सन्यासी हैं सबकी पहचान जरूरी नहीं है। अखाड़े के नाम का कोई फायदा नहीं उठाए यही उन लोगों का प्रयास है। पिछले साल जूना अखाड़े में राधे मां को अखाड़े की महामंडलेश्वर की पदवी दी गई थी। इस पदवी के दिए जाने पर बखेड़ा होने पर अखाड़ा ने जांच के आदेश दिए थे। यह जांच अभी तक पूरी नहीं हुई है।

प्रसाद के रूप में मिलेगा बीज

प्रदेश के उद्यान विभाग ने भी श्रद्धालुओं के लिए मेले को यादगार बनाने का इरादा जताया है। विभाग मुख्य स्नान पर्वो पर पांच हजार पैकेट सब्जी के बीज प्रसाद स्वरूप बांटने का निर्णय लिया है। इस थैले में लौकी, नेनुआ, भिंडी, तरोई, धनिया के बीज रखे जाएंगे। उद्यान विभाग के उप निदेशक अखंड प्रताप सिंह ने बताया कि आम जनता को बागवानी के प्रति जागरूक करने के लिए यह प्रयास किया जा रहा है। इसे लोग अच्छी पहल मान रहे हैं।

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