लटीजी के ब्लैंक केनवास सभागार, रूबरू थिएटर में

काजल सूरी द्वारा लिखित और निर्देशित नाटक और दिल टपक गया का हुआ मंचन

नई दिल्ली। कहानी एक लाला की है जिसका दिल एक ही बात पर टपकता है, ना ना अपनी पत्नी को देख कर नही, पैसे की बात पर। उसका उसूल है चमड़ी जाये पर दमड़ी ना जाये।
सारांश ये कि आज कल की दुनियाँ में जहां सब हंसने का कारण ढूँढते हैं वहीं ये नाटक हंसी के ऐसे बहुत से क्षण देता है। नाटक दिल टपकाता नहीं, दिल को बहलाता है।“और दिल टपक गया” कहानी है एक ऐसे कंजूस मक्खीचूस लाला की जो अपनी जेब से एक पैसा भी किसी को देना नहीं चाहता, चाहे फिर वो उसकी पत्नी हो, मुंशी हो या फिर और कोई हो । किराएदारों के नाक में उसने दम कर रक्खा है। पत्नी को देख कर लाला दिल नहीं टपकता लेकिन जब भी कोई उस से पैसा माँगता है तो …..
आख़िरकार उसका दिल रिप्लेस किया जाता है बाद में क्या क्या होता है इसका मज़ा तो नाटक देख कर ही आएगा।
जहां पर शुभम् शर्मा और जसकिरण चोपड़ा के किरदार लाला पेडमाल और इमरती देवी दर्शकों के मुँह में चाशनी घोल रहे थे । वहीं अन्नू शर्मा पहलवान की माँ और दर्जन के किदार में, सचिन ठाकुर डॉक्टर, स्पर्श कवि, संदीप नर्तक, मंत्रा गायक और कृश मुंशी के किरदार में उभर कर नज़र आये। गीता सेठी, अपूर्व, तनीषा, सुजाता, और अनिरुद्ध ने में अपनी अपनी भूमिका के साथ न्याय किया।
मंच संचालन सुख्नन्दन बिंद्रा ने किया और मेकअप राशिदजी, संगीत संचालन प्रवीण, लाइट जैरी ने सँभाली। प्रोडक्शन मैनेजर रोहित थे। मंच के पीछे की ज़िम्मेदारी सचिन, वर्षा, और गुंजन के कंधों पर थी।

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