किसानों और हितधारकों को प्रदर्शन और प्रशिक्षण सहित अनुसंधान एवं विस्तार कार्य के लिए आईसीएआर ने धानुका एग्रीटेक के साथ किया करार

नई दिल्ली, मार्च, 2024: देश में अनुसंधान एवं विस्तार कार्यों को बढ़ावा देने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और धानुका एग्रीटेक लिमिटेड के संसाधनों को साझा करने के लिए आईसीएआर और धानुका ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। इस साझेदारी का उद्देश्य कृषि क्षेत्र में वैज्ञानिक और तकनीकी सूचिनाएं, ज्ञान और आईसीएआर और इंडस्ट्री द्वारा विकसित नई तकनीकों की जानकारी क्षेत्र में प्रदर्शन और प्रशिक्षण के माध्यम से किसानों के मध्य बड़े स्तर पर पहुंचाना है।

इस साझेदारी को पर धानुका एग्रीटेक की ओर से धानुका समूह के चेयरमैन डॉ. आर. जी. अग्रवाल और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की ओर से आईसीएआर के उपमहानिदेशक-कृषि विस्तार डॉ. यू. एस. गौतम ने हस्ताक्षर किये।

धानुका समूह भारत की अग्रणी पौध संरक्षण और फार्मास्युटिकल कंपनियों में से एक है। इसकी 4 मैन्युफैक्चरिंग यूनिट गुजरात, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में स्थित हैं। यह हमारे वैज्ञानिकों के लिए गर्व की बात है कि हमारे द्वारा शोधित दवा यानी एक्सब्लिफेप को यूरोपीय संघ द्वारा अनुमोदित किया गया है। धानुका किसानों की समस्याओं के लिए नवीनतम, सुरक्षित और हरित समाधान प्रदान करने में सबसे आगे रहा है। छह (6) जापानी कंपनियों के साथ इसका सहयोग के परिणामस्वरूप नवीन हरित कीटनाशकों को तैयार किया गया है, जो जलवायु परिवर्तन और दुनिया के वैश्वीकरण के कारण बड़े पैमाने पर उभर रहे आक्रामक कीटों के प्रबंधन के लिए वर्तमान समय में देश की जरूरत है।

1968 में एसआरसीसी से स्नातक होने के बाद 55 वर्षों से अधिक समय से काम कर रहे डॉ. आर. जी. अग्रवाल ने पौध संरक्षण और फार्मास्यूटिकल्स के क्षेत्र में व्यापक व्यावहारिक अनुभव के साथ व्यापक ज्ञान अर्जित किया है। धानुका ने अपने व्यवसाय संचालन को ड्रोन और सटीक खेती (प्रिसिजन फार्मिंग) तक भी विस्तारित किया है, और फाइलो और आयोटेकवर्ल्ड के साथ रणनीतिक रूप से सहयोग किया है जो किसानों को उनके मोबाइल फोन पर वास्तविक समय में कृषि डेटा प्रदान करने वाले नवीनतम समाधानों के साथ सशक्त बना रहे हैं।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद भारत सरकार के कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग के तहत एक स्वायत्त संगठन है।

इस रणनीतिक साझेदारी का उद्देश्य वैज्ञानिक एवं तकनीकी ज्ञान को कृषक समुदाय और अन्य हितधारकों तक पहुँचाना है, 19 मार्च, 2024 के दिन आईएआरआई-पूसा के कैंपस में समझौते (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने के बाद डॉ. अग्रवाल ने कहा।

“इस करार का प्राथमिक उद्देश्य उनके ज्ञान और खेती की प्रथाओं को समृद्ध करने के लिए वैज्ञानिक एवं तकनीकी उन्नति को बड़ी संख्या में किसानों, संस्थानों/ ई-रीजनल स्टेशन/ ई-केवीके के साथ साझा करना है,” उन्होंने आगे कहा।

एमओयू का मुख्य फोकस क्षेत्र आधुनिक कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए किसान प्रशिक्षण कार्यक्रमों के साथ-साथ प्रदर्शन और संयुक्त रूप से साहित्य के साथ-साथ अन्य मीडिया का प्रकाशन करना है।

आईसीएआर और धानुका एग्रीटेक दोनों एक दूसरे के प्रशिक्षण कार्यक्रमों को आयोजित करने के साथ-साथ उसमें हिस्सा लेंगे।

एमओयू को औपचारिक रूप देने के बाद, दोनों संस्थाएं फसल सुरक्षा रसायनों के सुरक्षित और प्रभावी उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए क्षमता निर्माण और विस्तार कार्यों के संचालन की दिशा में संयुक्त प्रयास करेंगी।

एमओयू का एक और महत्वपूर्ण उद्देश्य खेती की प्रणालियों को उन्नत करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) खेती के सटीक उपकरणों को अपनाना है, डॉ अग्रवाल/ डॉ यू एस गौतम ने कहा।

कार्यक्रम में आईसीएआर की ओर से अपर महानिदेशक-समन्वय डॉ अनिल कुमार और आईसीएआर-अटारी पटना के निदेशक डॉ अंजनी कुमार के साथ अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

डॉ अग्रवाल ने आगे कहा कि आईसीएआर और धानुका एग्रीटेक के सहयोग से नवीन कृषि प्रथाओं के लिए रास्ते खुलेगा, जो भारत में इस क्षेत्र के सतत विकास और वृद्धि के नितांत आवश्यक है।

धानुका ने पीडीकेवी, अकोला में मूंगफली और सोयाबीन का प्रदर्शन भी किया है। विशेष रूप से तैयार खेतों में मूंगफली के मामले में 81% और सोयाबीन के मामले में 17% ज्यादा पैदावार दर्ज की गई, जो यह दर्शाता है कि यदि नई तकनीकों का प्रयोग किया जाए तो पूरे देश में किसानों की आय में अच्छी-खासी वृद्धि हो सकती है, और एफएओ के अनुसार नुकसान को 20-40% कम किया जा सकता है।

कृषि के क्षेत्र में अनुसंधान और तकनीक को सुदृढ़ करने की पहल के तहत धानुका समूह ने कृषि अनुसंधान के क्षेत्र में काम कर रहे कई संस्थानों के साथ समझौते किये हैं, और अब आईसीएआर के साथ हुए इस व्यापक समझौते के अंतर्गत वे सभी करार आएंगे जो संपूर्ण भारत में आईसीएआर द्वारा शासित संस्थानों के साथ अभी तक किये गए थे। पीपीपी के अंतर्गत हुए यह समझौता पैदावार की गुणवत्ता और किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कारक सिद्ध होगा, जोकि इस समय चीन के मुकाबले एक तिहाई और दूसरे विकसित देशों के मुकाबले 25-30% कम है।

हमें आशा है कि यह एमओयू वर्ष 2027 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के प्रधानमंत्री के विजन को साकार करने में सहायक रहेगा। इसमें कृषि क्षेत्र का योगदान 1 ट्रिलियन डॉलर रहने और इस क्षेत्र द्वारा संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की पूरी उम्मीद है।

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