वोट के लिए केंद्र ने पैकेज और धमकी दी: संगमा

राष्ट्रपति चुनाव में पराजित हो गए पीए संगमा ने केंद्र में सत्तारूढ़ यूपीए सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं और कहा है कि अपने उम्मीदवार के लिए वोट हासिल करने के लिए सरकार ने राज्यों को आर्थिक पैकेज दिए और कई नेताओं को धमकियाँ दी गईं.

उन्होंने कहा कि लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों की तरह राष्ट्रपति चुनाव के लिए भी चुनाव आचार संहिता होनी चाहिए जिससे कि चुनाव निष्पक्षता के साथ हो सकें.

पीए संगमा ने अपनी हार स्वीकार करते हुए कहा कि उनकी हार से एक आदिवासी को देश के सर्वोच्च पद तक पहुँचाने का अवसर भी खो गया है.

आरोप

पत्रकारों से हुई बातचीत में उन्होंने कहा कि चुनाव आचार संहिता लागू न होने की वजह से सबने देखा कि चुनाव के दौरान किस तरह केंद्र सरकार ने वोट के लिए उत्तर प्रदेश और बिहार को आर्थिक पैकेज दिए गए.

उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं कुछ राज्यों के मुख्यमंत्रियों को धमकियाँ भी दी गईं.

उन्होंने कहा, “मैं व्यक्तिगत रूप से जानता हूँ कि नागालैंड और सिक्किम के मुख्यमंत्रियों से कहा गया कि वे ध्यान रखें कि उनके ख़िलाफ़ कुछ मामले लंबित हैं.”

इस सवाल पर कि उन्हें आदिवासी वोटों की आस थी लेकिन पूर्वोत्तर राज्यों में उन्हें मत नहीं मिले, उन्होंने कहा

कि ये देखकर उन्हें दुख हुआ कि अब पूर्वोत्तर राज्य अपने पैरों पर खड़े होने लायक भी नहीं बचे क्योंकि उन्हें हर सहायता के लिए केंद्र की ओर देखना होता है.

लाभ के पद के मामले में प्रणब मुखर्जी के ख़िलाफ़ अदालत जाने के मामले में उन्होंन कहा कि दो दिनों बाद होने वाली बैठक में इस बारे में विचार किया जाएगा.

संगमा ने समर्थन के लिए आदिवासी फ़ोरम और उसके अध्यक्ष अरविंद नेताम को धन्यवाद दिया.

उन्होंने उड़ीसा के मुख्यमंत्री बीजू पटनायक, तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता और भाजपा, अकाली दल सहित सभी दलों का आभार जताया जिन्होंने उन्हें चुनाव में सहयोग दिया.

 

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