घोटाला में चौटाला को 10 साल की सजा, समर्थकों ने फेंके बम

सीबीआइ की विशेष अदालत ने हरियाणा के जेबीटी (जूनियर बेसिक ट्रेंड) शिक्षक भर्ती घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री व इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला और उनके बेटे अजय चौटाला को दस वर्ष की सजा सुनाई गई है। फैसले से नाराज इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) कार्यकर्ताओं ने रोहिणी कोर्ट के बाहर भारी हंगामा और पथराव किया। पुलिस लाठीचार्ज करने के साथ ही, आंसू गैस के गोले छोड़कर समर्थकों को खदेड़ने का प्रयास कर रही है। समर्थकों ने कोर्ट परिसर में बम भी फेंके।

चौटाला पिता पुत्र के अलावा दो आईएएस अधिकारी, संजीव कुमार, विद्याधर विधायक शेर सिंह बड़शामी को भी दस वर्ष की सजा सुनाई गई है। इस मामले में आज कोर्ट ने सभी 55 दोषियों की सजा का ऐलान किया है।

वर्ष 2003 में सीबीआई ने इस मामले में जांच शुरू कर ओमप्रकाश चौटाला समेत 55 दोषियों को मामले में आरोपी बनाया था। इस मामले में सीबीआई ने 2007 में चार्जशीट दायर की थी। सजा सुनाए जाने के वक्त रोहिणी कोर्ट के बाहर चौटाला समर्थक भारी संख्या में मौजूद थे। आज सुबह कड़ी सुरक्षा के बीच अजय चौटाला दिल्ली की रोहिणी कोर्ट में पेश किया गया। लेकिन ओम प्रकाश चौटाला को जीबी पंत अस्पताल में भर्ती होने के चलते कोर्ट में पेश नहीं किया जा सका है। इससे पहले ही चौटाला समर्थकों ने रोहिणी कोर्ट के बाहर जमकर हंगामा किया। पुलिस को उन्हें हटाने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े और हल्का लाठीचार्ज भी करना पड़ा। इसमें एक पुलिसकर्मी और एक समर्थक को चोट आई है। पुलिस ने एहतियातन कोर्ट तक पहुंचने के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं।

इस फैसले के साथ ही आज चौटाला के राजनीतिक भविष्य का भी फैसला हो गया है। चौटाला को दस वर्ष से ज्यादा की सजा सुनाए जाने के बाद यह तय हो गया कि वह और उनके बेटे अजय चौटाला आने वाले चुनावों में भाग नहीं ले सकेंगे। हालांकि इस फैसले के खिलाफ सभी दोषी हाईकोर्ट में अपील दर्ज करेंगे। लेकिन उस पर फैसला आने तक उनका किसी चुनाव में खड़ा होना नामुमकिन होगा। हालांकि चौटाला की तरफ से उनकी उम्र को देखते हुए सजा में रियायत बरतने की बात कही गई थी, लेकिन अदालत ने उनकी कोई दलील नहीं मानी।

इस मामले में दोषी सभी लोगों पर 1999-2000 में हरियाणा के 18 जिलों में हुई 3206 जेबीटी शिक्षकों की भर्ती में मानदंडों को ताक पर रखकर मनचाहे अभ्यर्थियों की भर्ती करने का आरोप था। सीबीआई ने 2004 में मुख्यमंत्री चौटाला सहित 62 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।

सुनवाई के दौरान छह आरोपियों की मौत हो गई थी, जबकि एक आरोपमुक्त हो गया था। रोहिणी कोर्ट स्थिति सीबीआई के विशेष जज विनोद कुमार ने 16 जनवरी को सभी 55 लोगों को दोषी करार दिया था।

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