आशीष नंदी के बयान पर बवाल, मांगी माफी


 जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल विवादों से अपना पीछा नहीं छुड़ा पा रहा है। दुनिया के 100 शीर्ष बुद्धिजीवियों में से एक माने जानेवाले समाजशास्त्री आशीष नंदी ने शनिवार को सम्मेलन के एक सत्र यह कहकर मुसीबत मोल ले ली कि भारत में दलित और पिछड़े ही सबसे भ्रष्ट हैं। हालांकि बाद में उन्होंने अपने बयान पर सफाई देने की कोशिश की है, लेकिन इसविवादास्पद बयान पर उनके खिलाफ जयपुर के अशोक नगर पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है। इसी के साथ राजनीतिक दलों के स्तर पर भी उनका विरोध शुरू हो गया है।

आशीष नंदी आज जयपुर साहित्य सम्मेलन के तीसरे दिन सुबह रिपब्लिक ऑफ आइडियाज अर्थात विचारों का गणतंत्र नामक सत्र में बोल रहे थे। नंदी ने अपने बयान में दलितों व पिछड़ों को सबसे ज्यादा भ्रष्ट तो बताया ही, साथ ही पश्चिम बंगाल का उदाहरण देते हुए यह भी कहा कि वहां भ्रष्टाचार सबसे कम इसलिए है क्योंकि वहां पिछले 100 साल में दलितों व पिछड़ों को सत्ता के नजदीक आने का मौका ही नहीं मिला। नंदी के यह बयान देते ही हंगामा मच गया। सबसे पहले मंच पर उन्हीं के साथ बैठे पत्रकार आशुतोष ने उनके कथन से अपना विरोध दर्ज कराया। उसके बाद तो यह बयान मंच और जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल परिसर की सीमाएं लांघ कर राजनीतिक हल्कों में जा पहुंचा। राजस्थान के मीणा एवं जाट जातियों के कुछ नेता तो जेएलएफ परिसर तक आ पहुंचे। अनहोनी की आशंका को देखते हुए सम्मेलन परिसर में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ानी पड़ी।

मामला बिगड़ता देख सम्मेलन के आयोजकों ने शाम होते-होते आशीष नंदी को अपने बयान पर सफाई पेश करने के लिए राजी कर लिया। इसके लिए बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन में आकर नंदी ने कहा कि उनके बयान का वह अर्थ नहीं था, जो समझा गया। वह कहना चाहते थे कि अमीर लोगों के पास और अमीर होने के कई तरीके होते हैं, इन तरीकों से किया गया भ्रष्टाचार आसानी से छुप जाता है। जबकि दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग द्वारा की गई छोटी सी भी गलती बड़ी आसानी से लोगों के सामने आ जाती है। सुबह के सत्र में उनके साथ रहे पत्रकार तरुण तेजपाल ने भी नंदी की बात का समर्थन करते हुए कहा कि साहित्य सम्मेलन हर मुद्दे पर खुली चर्चाओं के लिए होते हैं। इन चर्चाओं को राजनीतिक बहस का रूप नहीं दिया जाना चाहिए। संवाददाता सम्मेलन से पहले ही राजस्थान के मीणा एवं जाट समाज के नेता सम्मेलन के नेताओं से मिलकर अपना विरोध जता चुके थे। इसके बावजूद ये नेता संतुष्ट नहीं हुए। जिसके फलस्वरूप आशीष नंदी के खिलाफ जयपुर के अशोक नगर थाने में एससी-एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है।

आशीष नंदी ने दिया लिखित स्पष्टीकरण

नई दिल्ली [जागरण न्यूज नेटवर्क]। जयपुर साहित्य उत्सव में भ्रष्टाचार के संदर्भ में अपनी टिप्पणी से उपजे बवाल के बाद समाजशास्त्री एवं लेखक-विचारक आशीष नंदी ने तत्काल माफी मांगने के बाद देर शाम लिखित में भी अपना स्पष्टीकरण जारी किया और माफी भी मांगी। उनका स्पष्टीकरण इस तरह है:

”मैंने जो कहा, इस संदर्भ में नहीं कहा था और न ही मैं ऐसा कहना चाहता था। पूरे सत्र में जो बात उठी वह इस प्रकार थी। मैं तरुण तेजपाल की बात का समर्थन कर रहा था कि भारत में भ्रष्टाचार हर तरफ फैला हुआ है। मेरा मानना है कि एक भ्रष्टाचार-मुक्त समाज एक तरह की तानाशाही जैसा होगा। सत्र में इससे पहले मैंने यह कहा था कि मेरे या रिचर्ड सोराबजी जैसे लोग जब भ्रष्टाचार करते हैं तो बड़ी सफाई से कर जाते हैं, फर्ज करें, मैं उनके बेटे को हार्वर्ड में फैलोशिप दिलवा दूं और वह मेरी बेटी को ऑक्सफोर्ड भिजवा दें। इसे भ्रष्टाचार नहीं माना जाएगा। लोग समझेंगे कि यह उनकी काबिलियत के आधार पर किया गया है, लेकिन जब कोई दलित, आदिवासी या अन्य पिछड़े वर्ग का आदमी भ्रष्टाचार करता है तो वह सबकी नजर में आ जाता है।

हालांकि मेरा मानना है कि इन दोनों भ्रष्टाचारों के बीच कोई अंतर नहीं है और अगर इस भ्रष्टाचार से उन तबकों की उन्नति होती है तो भ्रष्टाचार में बराबरी बनी रहती है। इस बराबरी के बलबूते पर मैं गणतंत्र को लेकर आशावादी हूं। आशा है कि मेरे इस बयान से यह विवाद यहीं खत्म हो जाएगा। अगर इससे गलतफहमी पैदा हुई है तो मैं माफी चाहता हूं। हालांकि ऐसी कोई बात हुई नहीं थी। मैं किसी भी समुदाय की भावना को आहत नहीं करना चाहता था और अगर मेरे शब्दों या गलतफहमी से ऐसा हुआ है तो मैं क्षमाप्रार्थी हूं।”

बयान से भड़की राजनीतिक आग

नई दिल्ली। भ्रष्टाचार के लिए दलितों और पिछड़ों को जिम्मेदार बताने वाले लेखक आशीष नंदी चौतरफा घिर गए। कांग्रेस और भाजपा समेत सभी राजनीतिक दलों ने जहां इस पर आपत्तिजताई वहीं बसपा प्रमुख मायावती और लोजपा अध्यक्ष राम विलास पासवान ने तो उनके खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत कार्रवाई की मांग कर डाली। रिपब्लिकन पार्टी के अध्यक्ष रामदास आठवले ने नंदी की गिरफ्तारी एवं उन्हें जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल से बाहर करने की मांग की है।

हालांकि, नंदी ने बिगड़ी बात संभालने की कोशिश की, लेकिन नेता संतुष्ट नहीं हुए। बसपा प्रमुख ने तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए राजस्थान सरकार से कहा कि सामाजिक वैमनस्य फैलाने वाले इस व्यक्ति के खिलाफ तत्काल एससी-एसटी एक्ट के तहत कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने यह आशंका भी जताई कि पिछड़ों को बदनाम करने के लिए जानबूझ कर इस तरह का बयान दिया गया।

भाजपा प्रवक्ता राजीव प्रताप रूडी ने भी नंदी पर हमला किया। उन्होंने कहा कि नंदी एक जाने-माने आलोचक और समाजशास्त्री हैं, लेकिन भ्रष्टाचार को किसी जाति से जोड़ा जाना सर्वथा गलत है। बात चाहे किसी भी परिप्रेक्ष्य में कही गई हो, यह बयान हमारे समाज में स्वीकार्य नहीं है। भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि भ्रष्टाचार एक रोग है, जिसके खिलाफ सभी को एकजुट खड़ा होना चाहिए। नंदी का यह बयान आपत्तिाजनक है और उन्हें इसके लिए माफी मांगनी चाहिए। कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी ने भी नंदी बयान को देश के लिए नुकसानदेह बताया। उन्होंने कहा कि किसी जाति या समुदाय के बारे में इस तरह की टिप्पणी नहीं होनी चाहिए। इससे नंदी की मानसिक स्थिति पर सवालिया निशान लगते हैं।

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