राष्ट्रपति की मुहर के बाद अब रेप दोषियों को मिल सकेगी मौत

महिलाओं के यौन उत्पीड़न और दुष्कर्म के कानून को सख्त बनाने वाले अध्यादेश पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के दस्तखत हो जाने के बाद से यह पूरे देश में तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। हालांकि इसे सरकार को छह माह के अंदर संसद से पास करवाना होगा। राष्ट्रपति ने इस अध्यादेश पर रविवार को हस्ताक्षर किए। इसके साथ ही दुष्कर्मी हत्यारों को मौत की सजा देने का प्रावधान कानून में शामिल हो गया है।

अध्यादेश लागू होने के बाद दुष्कर्म और हत्या या पीड़िता को मरणासन्न स्थिति (कोमा) में पहुंचाने वाला अपराधी कुछ वर्ष जेल काट कर बाहर नहीं घूम पाएगा अब या तो उसे मौत की सजा मिलेगी या फिर वह मौत तक जेल की सलाखों के पीछे ही रहेगा।

गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को महिलाओं के प्रति अत्याचार रोकने की जस्टिस वर्मा समिति की सिफारिशों पर अध्यादेश लाने का फैसला किया था। हालांकि, समिति की सिफारिशें पूरी तरह न माने जाने पर विभिन्न महिला संगठनों ने अध्यादेश का विरोध किया था। अध्यादेश पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह पूरे देश में लागू हो गया है, लेकिन छह माह के भीतर सरकार को इस अध्यादेश को संसद से पास कराना होगा। संसद का सत्र 21 फरवरी से शुरू हो रहा है।

गृह मंत्रालय की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि राष्ट्रपति ने क्रिमिनल ला (संशोधन) अध्यादेश 2013 को मंजूरी दे दी है। मालूम हो कि दिल्ली सामूहिक दुष्कर्म कांड के बाद देश भर में जनाक्रोश उमड़ा था। इसके बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश जेएस वर्मा की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित की थी। समिति ने रिपोर्ट में कानून में व्यापक बदलाव का सुझाव देते हुए भारतीय दंड संहिता (आइपीसी), अपराध प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) तथा भारतीय साक्ष्य अधिनियम में संशोधन कर महिलाओं के यौन उत्पीड़न के अपराध में सजा कड़ी करने की सिफारिश की थी। समिति ने महिलाओं के खिलाफ होने वाले अन्य अपराधों जैसे पीछा करना, फब्तियां कसना, अश्लील इशारे करना, छेड़खानी और एसिड अटैक जैसे अपराधों में भी सजा कड़ी करने का सुझाव दिया था। हालांकि, समिति दुष्कर्मी को मौत देने के पक्ष में नहीं थी, लेकिन कैबिनेट ने जन भावना को समझते हुए वर्मा समिति की सिफारिशों से आगे जाकर दुष्कर्म और हत्या या दुष्कर्म के बाद पीड़िता के मरणासन्न स्थिति (कोमा) में जाने पर मौत तक की सजा दिए जाने का प्रावधान किया है। सरकार ने वर्मा समिति की सारी सिफारिशें नहीं मानी हैं और ज्यादातर उन्हीं सिफारिशों को अध्यादेश में शामिल किया है जो यौन उत्पीड़न या दुष्कर्म से जुड़ी हैं। सरकार ने सशस्त्र सेना विशेष अधिकार कानून (अफस्पा) और जनप्रतिनिधि कानून में बदलाव की समिति की सिफारिशें फिलहाल नहीं मानी हैं।

अपराध और सजा

-दुष्कर्म और हत्या या पीड़िता का मरणासन्न स्थिति (कोमा) में जाने पर न्यूनतम 20 साल का कारावास या जीवनपर्यत जेल अथवा मौत की सजा।

-एसिड हमले पर दस साल तक के कारावास की सजा।

-महिला को निर्वस्त्र करने पर 3 से 7 साल तक का कारावास।

-ताकझांक के अपराध में 3 साल तक का कारावास।

-पीछा करना या छेड़खानी- न्यूनतम 1 वर्ष तक का कारावास।

-दुष्कर्म की परिभाषा में दुष्कर्म शब्द की जगह ‘यौन हमला’ किया गया, जिससे लिंग भेद खत्म हुआ।

-हिरासत या संरक्षा में दुष्कर्म पर न्यूनतम दस वर्ष और अधिकतम उम्रकैद।

-जानबूझकर छूना या अश्लील हरकत को अलग से अपराध में शामिल किया गया है।

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