ओलंपिक में 4700 पदक, कितने भारत के

लंदन ओलंपिक 2012 में भारत की टीम अब तक का सबसे बड़ा दल है. लंदन ओलंपिक के लिए भारत की ओर से कुल 81 खिलाड़ियों ने क्वालिफाई किया है.

इससे पहले बीजिंग ओलंपिक के लिए कुल 56 खिलाड़ी ही क्वालिफाई कर पाए थे जिनमें भारत के ऱाष्ट्रीय खेल हॉकी से कोई नहीं था.

बीजिंग के तीन पदकों में भारत को एक स्वर्ण निशानेबाज़ी में अभिनव बिंद्रा ने दिलवाया था जबकि एक कांस्य पदक मुक्केबाज़ विजेंदर सिंह के नाम रहा था और एक कांस्य पदक पहलवान सुशील कुमार के नाम रहा था.

भारत के पदकों की उम्मीदों की बात की जाए तो भारत को तिरंदाज़ी, निशानेबाज़ी, कुश्ती, मुक्केबाज़ी और बैडमिंटन में पदक मिलने की संभावनाएं हैं.

तीरंदाज़ी

भारत की सबसे बड़ी उम्मीद तीरंदाज़ दीपिका कुमारी हो सकती हैं. फिलहाल एकल स्पर्धाओं में विश्व की नम्बर एक तीरंदाज़ ने ओलंपिक से पहले ही विश्व स्तर पर स्वर्ण पदक पर कब्ज़ा किया है.

मेडल जीतने के सवाल पर दीपिका कहती हैं, “हमारे खेल को मेडल की ज़रुरत हैं और मेरे नम्बर एक खिलाड़ी होने का कोई फायदा नहीं अगर मैं अपने देश के लिए पदक ना जीत पाउं तो.”

दीपिका की उम्र सिर्फ 18 साल हैं और वो अपने आप को साबित भी करती रही हैं.

बैडमिंटन

बैडमिंटन में सायना नेहवाल लगातार शानदार प्रदर्शन कर रही हैं और फिलहाल विश्व में नम्बर पांच स्थान पर काबिज़ हैं.

बीजिंग में सायना ने क्वार्टर फाइनल में पहुंचकर सबको चौंका दिया था लेकिन अबकी बार वो कहीं बेहतर खिलाडी़ बनकर उभरी हैं.

इतना ही नहीं बैडमिंटन में चीन की मज़बूत दीवार में भी सायना लगातार सेंध लगाने में कामयाब होती रही हैं.

निशानेबाज़ी

निशानेबाज़ी में अभिनव ब्रिंद्रा स्वर्ण पदक हासिल करने के अनुभव के साथ लंदन में होगें और उनके सामने अपने आप को दौबारा साबित करने की चुनौती होगी.

गगन नारंग एयर राईफल स्पर्धा में पदक के दावेदार माने जा रहे हैं और ट्रैप शूटिंग में रोंजन सिंह सोढ़ी कमाल कर सकते हैं.

ये रोंजन सिंह सोढ़ी के लिए पहला ओलंपिक होगा लेकिन वो विश्व स्तर पर लगातार अच्छा प्रदर्शन करते रहे हैं. आईएसएसएफ विश्व कप में रोंजन सिंह सोढी़ लगाता दो बार स्वर्ण पदक जीत चुके हैं.

मुक्केबाज़ी

मुक्केबाज़ी में विजेंदर सिहं की अगुवाई में आठ मुक्केबाज़ों का दल लंदन में है.

मु्क्केबाज़ों में सबसे मज़बूत दावा महिला मुक्केबाज़ एमसी मैरीकॉम का होगा. पांच बार की विश्व चैंपियन एमसी मैरीकॉम भले ही अपना वजन वर्ग छोड़ लंदन ओलंपिक में 51 किलोग्राम में खेल रही हो लेकिन ये उनके पदक के दावे को कम नहीं करता.

विजेंदर सिंह जैसे मुक्केबाज़ से भी पदक की उम्मीद की जा सकती हैं औऱ बीजिंग के पदक ने उनके मनोबल को ज़रुर बढ़ाया होगा.

भारतीय टीम के मुक्केबाज़ी कोच गुरुबक्श सिहं संधु से जब पदक की उम्मीदों के बारे में पूछा गया तो गुरुबक्श सिहं ने कहा, “आप अगर सच पूछे तो मैं यही कहूंगा कि हमारा पहला मकसद तो यही हैं कि हम बीजिंग के प्रदर्शन को दोहरा पाएं. तो कम से कम एक पदक तो ज़रुरी है, उसके बाद जितने मिल जाएं वो बोनस हैं.”

इसके अलावा पहली बार ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले 17 वर्षीय शिव थापा पर भी दर्शकों की निगाहें होगी और विकास कृष्ण के भी एक मज़बूत दावेदार माना जा रहा है.

कुश्ती में सुशील कुमार से पदक की उम्मीद की जा रही हैं लेकिन पहलवान योगेश्वर दत्त अबकी बार मेडल पर दांव लगा सकते हैं.

योगेश्वर का ये तीसरा ओलंपिक हैं और वो ऐलान कर चुके हैं कि अबकी बार ये उनका अखिरी दांव हैं. योगेश्वर के पास अनुभव हैं और आखिरी बार कुछ कर गुज़रने की चाहत भी.

महिला पहलवानों में भारत की पहली बार नुमाइंदगी गीता फौगाट पर भी नज़र रखी जा सकती हैं.

 

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