यूपी बजट: इस बार आजमगढ़ पर मेहरबानी

national-up-budget-201314-at-this-time-kindness-for-azamgarh 2013-2-20

लखनऊ (आनन्द राय)। कभी सैफई, कन्नौज और रामपुर के लिए खासा मेहरबान रहने वाली समाजवादी सरकार इस बार आजमगढ़ पर न्यौछावर है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों पर भी सरकारी दरियादिली दिखी, लेकिन आजमगढ़ को लेकर कई सियासी निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। एक खास वजह सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के पुत्र और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के अनुज प्रतीक यादव को यहां से चुनाव लड़ाने की पुरजोर मांग से भी जोड़कर देखा जा रहा है। इस बजट में लोकसभा चुनाव का समीकरण खड़ा करने के साथ सपाई क्षत्रपों को भी महत्व देने की भरपूर कोशिश की गई है।

आजमगढ़ चौधरी चरण सिंह के जमाने से ही समाजवादियों का गढ़ रहा है। मुलायम सिंह यादव ने पिछली बार विधानसभा चुनाव का अभियान आजमगढ़ से ही शुरू किया। चुनावी नतीजे भी समाजवादी पार्टी के पक्ष में रहे और यहां की दस विधानसभा सीटों में नौ पर सपा ने कब्जा जमाया। हालांकि लोकसभा चुनाव के नजरिए से समाजवादी इस गढ़ में झटका खाते रहे हैं। 1977 में यहां जनता पार्टी से चुने गए सांसद रामनरेश यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद हुए उप चुनाव में भी समाजवादियों को करारी शिकस्त मिली। सपा के लिए यह सबक जैसा है। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने मुलायम सिंह यादव के करीबी रहे रमाकांत यादव पर दांव लगाकर मैदान मार लिया। इस प्रयोग से आजमगढ़ में पहली बार भगवा झंडा फहराया। जाहिर है कि अगर सपा आजमगढ़ से प्रतीक यादव को चुनाव मैदान में उतारती है तो यहां सैफई और कन्नौज जैसा स्नेह दिखाना होगा। हालांकि अभी तक यहां पंचायती मंत्री बलराम यादव को ही सपा ने उम्मीदवार घोषित किया है। उनका कद भी सपा के शीर्ष नेताओं में शुमार है।

बजट में आजमगढ़ की प्रस्तावित योजनाएं मतदाताओं को लुभाने की एक कोशिश ही लगती है। आजमगढ़ अल्पसंख्यक और किसान राजनीति की धुरी है और जो योजनाएं हैं वह खासतौर से इन्हीं दो वर्गो को प्रभावित करती हैं।

समाजवादी सरकार ने जहां विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद के जिले में विश्वविद्यालय के लिए बजट प्रस्तावित किया है, वहीं अनुपूरक बजट में रामपुर को विशेष तरजीह देने के बावजूद इस बार दो फ्लाइओवर देकर ताकतवर मंत्री आजम खां का महत्व दर्शाया है। शिवपाल सिंह यादव के विभागों में निर्माण की सर्वाधिक योजनाएं घोषित की गई हैं। सपा विधायकों और मंत्रियों के जिलों में भी सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़ी योजनाएं दी गई हैं। पिछले चुनाव में सपा जहां कमजोर दिखी, वहां भी लोकलुभावन घोषणाएं कर सपा ने अपनी बुनियाद मजबूत करने की पहल की है।

कमजोर वर्गो के लिए सरकार की कल्याणकारी योजनाएं चुनावी अभियान के इर्द-गिर्द ही घूमती नजर आती हैं। सपा ने अपने बेस अल्पसंख्यक वर्ग के लिए कई योजनाएं घोषित की हैं। मसलन कब्रिस्तानों की सुरक्षा के लिए तीन सौ करोड़, क्षेत्रीय असमानता दूर करने को 492 करोड़ और हमारी बेटी उसका कल योजना के लिए 350 करोड़ का प्रावधान सुनियोजित पहल है। शहरी गरीबों, महिलाओं, अधिवक्ताओं और खासतौर से गन्ना किसानों के लिए की गई घोषणा से सरकार ने सबको जोड़ने का प्रयास किया है।

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