बांग्लादेश हिंसा में 53 मरे, चपेट में हिंदू भी आए

bangladesh-death-toll-rise-to-53-hindus-under-attack-in-country 2013-3-3नई दिल्ली। बांग्लादेश में जारी हिंसा ने वहां के हिंदुओं और मंदिरों को भी अपनी चपेट में ले लिया है। इस बीच वहां फैली हिंसा के चलते काफी संख्या में बांग्लादेशी भारत की ओर पलायन कर रहे हैं। इसके चलते सीमा पर सुरक्षाबलों को चौकस कर दिया गया है। इस हिंसा में अभी तक करीब 53 लोगों की मौत हो गई है। इस बीच रविवार से राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी बांग्लादेश के तीन दिवसीय दौरे पर गए हैं।

जमात-ए-इस्लामी समर्थक माने जाने वाले अराजक तत्वों ने शनिवार को मोरेलगंज इलाके में एक मंदिर को आग लगाने के साथ हिंदू अवामी लीग के दो कार्यकर्ताओं के घर भी फूंक डाले। इसके अलावा गाजीपुर में भी एक अन्य मंदिर को क्षतिग्रस्त किए जाने की खबर है। बांग्लादेश में भड़की हिंसा पर अमेरिका ने भी चिंता जताई है।

बांग्लादेशी दैनिक डेली स्टार ने पुलिस के हवाले से बताया है कि जलाया गया मंदिर दुर्गा देवी का था। बांग्लादेश में गुरुवार से जारी हिंसा में अब तक छह मंदिरों को निशाना बनाया जा चुका है। इस दौरान देश के विभिन्न इलाकों में तमाम हिंदुओं के घरों और दुकानों में तोड़फोड़ अथवा आगजनी की गई है। इन घटनाओं के लिए जमात-ए-इस्लामी की छात्र शाखा इस्लामी छात्र शिबिर को जिम्मेदार माना जा रहा है। कुछ घटनाओं के लिए पीड़ित हिंदुओं ने खालिदा जिया के नेतृत्व वाली बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं को जिम्मेदार बताया है।

इस्लामी छात्र शिबिर के लोगों पर ही बांग्लादेश के चर्चित ब्लॉगर रजीब की हत्या का आरोप है। ज्ञात हो कि रजीब की हत्या के बाद से बांग्लादेश अशांति से घिरा हुआ है। अपने ऊपर हो रहे हमलों के विरोध में शनिवार को ढाका में हिंदुओं ने काले झंडे लेकर एक जुलूस निकाला। इस दौरान हिंदुओं ने हमलों के लिए जमात-ए-इस्लामी को जिम्मेदार उठाया। हिंसा का शिकार बने हिंदुओं के मुताबिक इन घटनाओं ने उन्हें 1971 के दौर की याद दिला दी है।

जमात-ए-इस्लामी सदस्यों के उत्पात का निशाना बने राजगंज इलाके के शिक्षक शंकर चंद्र ने डेली स्टार को फोन करके बताया कि उनके समेत करीब 50 हिंदू परिवारों को अपना घर-बार छोड़कर अन्य जगह शरण लेनी पड़ी है, क्योंकि जमात के लोग हिंदुओं के घर जलाने के साथ-साथ उनकी पिटाई भी कर रहे हैं। शंकर चंद्र ने कहा कि 1971 में वह सात साल के थे, लेकिन तब उतना भयभीत नहीं थे जितने आज हैं।

अमेरिका ने बांग्लादेश में भड़की हिंसा पर चिंता जताते हुए कहा है कि वह स्थिति को शांत करने में बांग्लादेश की मदद करने को तैयार है। पड़ोसी मुल्क में अब तक 53 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। अमेरिका ने बांग्लादेश के लोगों से शांतिपूर्ण विरोध करने की अपील की है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता पैट्रिक वेंट्रेल ने कहा कि शांतिपूर्वक विरोध करना मौलिक लोकतांत्रिक अधिकार है। हमारा मानना है कि हिंसा किसी भी परिस्थिति का जवाब नहीं है। हम सभी बांग्लादेशियों को शांतिपूर्वक अपने विचार रखने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

इस बीच, ह्यूंमन राइट्स वाच ने कहा है कि बांग्लादेश सरकार और जमात-ए-इस्लामी को यह सुनिश्चित करने के लिए तुरंत कदम उठाने की जरूरत है कि सुरक्षाबलों और प्रदर्शनकारियों के बीच दोबारा हिंसक झड़पें न हों।

 

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