12 साल से लगातार रोजे रख रहे हैं संतोष

वाराणसी जनपद के नदेसर निवासी संतोष कुमार गंगा जमुनी तहजीब की नायाब मिसाल हैं। हिंदू होते हुए भी उन्हें इस्लाम की सादगी इतनी पंसद आई कि वह लगातार 12 वर्षों से रमजान में रोजा रख रहे हैं। इतना ही नहीं उनके घर बाकायदा इफ्तार और सहरी भी तैयार होती है। संतोष का कहना है कि रोजा रखने से उन्हें असीम शांति की अनुभूति होती है।

संतोष कुमार अंधरापुल के पास एक गुमटी में सोफे की रिपेयरिंग करते हैं। बुजुर्गों की खिदमत करना और इस्लाम के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारियां हासिल करना उन्हें अच्छा लगता है। बकौल संतोष, 1996 में वह जब अंधरापुल स्थित दुकान ताज रेक्सीन में काम करते थे तभी वहां लोगों को रोजा रखते और नमाज पढ़ते देख उनका मन भी इसमें रम गया।

धीरे-धीरे वे बीच-बीच में रमजान का रोजा रखने लगे। बाद में सन् 2000 से वे लगातार पूरे महीने का रोजा रख रहे हैं। परिजनों को भी कोई एतराज नहीं है। लिहाजा घर पर ही इफ्तार और सहरी बनने लगी। संतोष सहरी कर रोजा रखते हैं और परिजन उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। संतोष अंधरापुल स्थित बिजली शहीद आस्ताने और मस्जिद के मुतवल्ली भी हैं।

हर साल वे रोजा इफ्तार और शबीने का आयोजन भी करते हैं। संतोष बाराबंकी के देवा शरीफ स्थित हाजी वारिस पाक के मुरीद भी हैं। तभी उन्होंने अब अपना नाम संतोष वारसी रख लिया है। उनका कहना है कि इस्लाम के शांति और भाईचारे के पैगाम ने उन्हें इसकी तरफ आकर्षित किया।

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