सब्जी बेचकर कैसे करोड़पति बन गए आइआइएम के छात्र

two-mba-pass-became-sabziwala-and-earns-in-croreअहमदाबाद। यह सुनने में अजीब लगता है कि देश के एक शीर्ष मैनेजमेंट संस्थान से दो एमबीए डिग्रीधारक आज की तारीख में सब्जी बेचते हैं। लेकिन जब आप उनकी कमाई में बारे में जानेंगे तो चौंक भी जाएंगे। आज इन सब्जी बेचने वालों में से एक युवा की एक दिन की कमाई कई करोड़ रुपये तक हो गई है।

देश के शीर्ष मैनेजमेंट संस्थान आइआइएम अहमदाबाद से 2007 में एमबीए की डिग्री हासिल करने के बाद कौशलेंद्र कुमार ने नौकरी करने के बजाए अपना खुद का धंधा करने का फैसला लिया और एक नए तरह का अनोखा बिजनेस सब्जी बेचने का काम शुरू किया। आइआइएम अहमदाबाद के टॉपर और बिहार के कौशलेंद्र जिनके ब्रांड का नाम ‘समृद्धि, एमबीए सब्जीवाला’ है जो आज एक बड़ी कंपनी में तब्दील होती रही है। इस कंपनी से छह हजार से ज्यादा किसान परिवारों की जिंदगी जुड़ी हुई है। साथ ही लगभग 300 लोग इस कंपनी में नौकरी भी करते हैं। कौशलेंद्र कुमार के अलावा निर्मल कुमार भी इसी संस्थान से एमबीए करने के बाद कृषि क्षेत्र में हाथ आजमाने का फैसला लिया था।

कौशलेंद्र ने ग्राहकों की संतुष्टि और समय से ताजा माल पहुंचाने के मामले में पेशेवर रवैया लाते हुए वितरण का एक नया चैनल खोलने का फैसला लिया। उन्होंने कहा, ‘हमारा अगला लक्ष्य सब्जी उगाने वाले किसानों के लिए एक ऐसा फर्म स्थापित करना है जिससे बाजार के बदलते स्वरूप जैसे रिटेल में एएफडीआई आदि का बखूबी सामना करते हुए मोलभाव करने में सक्षम हो सके।’ कौशलेंद्र ने पटना में एक स्कूल के पीछे छोटी सी दुकान लगाते हुए सब्जी बेचनी शुरू की थी। अपने नए बिजनेस के पहले दिन उन्होंने 22 रुपये की कमाई की थी और 3.5 सालों के अंदर ही उनकी कमाई बढ़कर पांच करोड़ का आंकड़ा भी पार कर गई। कौशलेंद्र बिहार में उन युवा और शिक्षित लोगों की सामाजिक सोच को बदलने की कोशिश कर रहे हैं जिसके अनुसार वह हर काम करेंगे लेकिन कृषि में काम करने को कुछ नहीं है।

अहमदाबाद के निर्मल कुमार बहुत जल्द सब्जी बेचने के लिए अपने ऑनलाइन वेंचर को खोलने वाले हैं। यह वेंचर अहमदाबाद के लोगों को ऑनलाइन के जरिए खेत से ही ताजी सब्जी खरीदने का ऑप्शन देगा जिससे किसानों व ग्राहकों को कर्ब इन्फ्लेशन [नियंत्रण लगाकर महंगाई बढ़ाने] का सामना नहीं करना पड़ेगा। निर्मल कहते हैं कि किसान आज की तारीख में सही कीमत नहीं पा रहे हैं वहीं ग्राहक सब्जियों की वाजिब कीमत से 300-900 गुना ज्यादा की कीमत चुकाता है। मैं उम्मीद करता हूं कि मिडिलमैन की भूमिका खत्म होने से सब्जी और फल के दाम काफी सस्ते हो सकते हैं। साथ ही रोजाना में प्रयोग में लाई जाने वाली वस्तुओं की कीमत की कमी लाकर महंगाई को कम किया जा सकता है।

error: Content is protected !!