सुप्रीम कोर्ट बताएगा, कौन लगाए लालबत्ती

supreema courtनई दिल्ली। महज स्टेटस सिंबल के लिए वाहनों में लालबत्ती और सायरन के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को इसके नियमों पर पुनर्विचार करने का सुझाव दिया है। अदालत ने कहा है कि बड़े ओहदेवालों को छोड़कर इनका इस्तेमाल करने के बारे में अब वह नियम तय करेगी। नियम मुताबिक सिर्फ एंबुलेंस, फायर बिग्रेड, पुलिस और सेना की गाड़ी में सायरन होना चाहिए बाकी सभी से इन्हें हटा दिया जाना चाहिए। इसके लिए कोर्ट के आदेश की जरूरत नहीं है, सरकार खुद ऐसा कर सकती है।

ये सुझाव न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी व न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ की पीठ ने वीआइपी सुरक्षा, लालबत्ती और सायरन के मामले में सुनवाई के दौरान दिए। इससे पहले न्याय मित्र हरीश साल्वे ने लालबत्ती और सायरन के दुरुपयोग का मुद्दा उठाते हुए कहा कि लालबत्ती लगाने की मंजूरी सिर्फ संवैधानिक पदों पर आसीन लोगों मसलन, राष्ट्रपति, राज्यपाल, पीएम, सीएम, संसद व विस के स्पीकर, देश के मुख्य न्यायाधीश, उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को ही होनी चाहिए। पुलिस, सेना, एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड या ऐसे ही किसी कार्य के लिए निश्चित वाहन को छोड़कर अन्य किसी भी वाहन में लालबत्ती लगाने की अनुमति नहीं होनी चाहिए।

साल्वे की दलीलों पर कोर्ट ने दिल्ली और पंजाब की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल सिद्धार्थ लूथरा से पूछा कि दिल्ली में कितने लोग लालबत्ती का प्रयोग कर रहे हैं? ये किस नियम के तहत दी जाती है और इसका मकसद क्या है। लूथरा लालबत्ती का प्रयोग करने वालों की संख्या नहीं बता पाए। उन्होंने कहा, केंद्र की अधिसूचना के मुताबिक 27 और दिल्ली सरकार की अधिसूचना के मुताबिक 11 श्रेणियों के लोगों को लालबत्ती के उपयोग की अनुमति है। लालबत्ती की अनुमति इसलिए होती है ताकि विशिष्ट व्यक्ति की दूर से पहचान हो सके और वह आराम से गुजर सके।

इस दलील पर पीठ ने पूछा कि अगर गाड़ी जाम में फंस जाएगी तो लालबत्ती क्या कर लेगी। सरकार इसके दुरुपयोग पर क्या करती है। लूथरा ने कहा, अनाधिकृत तौर पर लालबत्ती प्रयोग करने पर चालान होता है। पीठ ने कहा चालान से क्या होता है? क्या वाहन जब्त किया जाता है? केंद्र की ओर से पेश एएसजी इंद्रा जयसिंह ने कहा, नियम कहते हैं कि सिर्फ ड्यूटी के दौरान लालबत्ती का प्रयोग किया जा सकता है। पीठ ने कहा, ड्यूटी के दौरान शब्द अहम है, लेकिन कौन ये जांचेगा कि प्रयोग ड्यूटी के दौरान हो रहा है। हमारे यहां सबसे बड़ी समस्या अपवाद, छूट और नियमीकरण है। सरकार को लालबत्ती और सायरन के नियमों पर पुनर्विचार करना चाहिए। सरकार स्वयं ऐसा कर सकती हैं। वे जानते हैं कि सरकार के लिए ऐसा करना मुश्किल होगा, लेकिन जनता को इससे सुकून मिलेगा और अपराध कम होंगे। साल्वे ने वीआइपी सुरक्षा के दुरुपयोग का भी मुद्दा उठाया और इस पर विचार के लिए तीन बिंदु तय किए गये। इस मामले में गुरुवार को भी सुनवाई होगी।

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