अहमदाबाद। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भाजपा आलाकमान केंद्र सरकार पर लगातार हमले कर रहा है लेकिन पार्टी की मॉडल गुजरात सरकार पर कैग ने अपनी रिपोर्ट में तेरह सौ करोड़ रुपयों के घोटालों व करोड़ों की सरकारी जमीन अदाणी, रिलायंस, एस्सार व राहेजा आदि कॉरपोरेट कंपनियों को कौड़ियों के मोल देने का पर्दाफाश किया है।
गुजरात सरकार के वर्ष 2012 के खातों की जांच के बाद भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने अपनी सालाना रिपोर्ट में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार पर औद्योगिक समूहों को सीधे फायदा कराने का आरोप लगया है। सरकार ने अदाणी, रिलायंस, एस्सार, के राहेजा आदि समूहों को सरकारी व हाईवे की जमीनें देने में जहां नियमों को ताक पर रख दिया वहीं सरकार व औद्योगिक समूह के बीच तय दरों से भी कम रकम वसूलने का इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ है जिससे राजस्व विभाग को सैकड़ों करोड़ का नुकसान हुआ है।
के राहेजा समूह को गांधीनगर में आईटी पार्क के लिए दी गई पौने चार लाख वर्ग मीटर जमीन 705 रु से घटाकर 470 रु प्रति मीटर देने से सरकार को सीधे दस करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा। इसी प्रकार एस्सार समूह को दी गई जमीन से सवा आठ करोड़ रुपये, रिलायंस पेट्रोकेमिकल को दी गई जमीन से दो करोड़ व कोस्टल गुजरात पावर लि को दी गई जमीन से भी सरकार को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ा। इसी प्रकार सरकार ने इन कंपनियों से सरकारी वसूली में भी नरमी बरती जिससे सरकार को सैकड़ों करोड़ की चपत लगी।
गुजरात सरकार ने उद्योगों को दी करोड़ों की राहत:-
-अदाणी पावर से 260 करोड़ कम वसूली
-गैस परिवहन में रिलायंस को 53 करोड़ का लाभ
– एल एंड टी को न्यूक प्लांट जमीन में 129 करोड़
-एस्सार स्टील से जमीन में 239 करोड़ की कम वसूली
-सरकारी जमीन आवंटन में कई कंपनियों को 200 करोड़ छोड़े
-कई कंपनियों से को स्टांप डॅयूटी में 103 करोड़ की छूट
-बिक्री कर में भी 51 करोड़ का लाभ पहुंचाया
पीएसयू को लगी 4 हजार करोड़ की चपत
देश में गुड गवर्नेस का दावा करने वाली मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के विकास के दावों पर खुद कैग ने सवाल उठाते हुए सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के संचालन में चार हजार करोड़ रु के नुकसान तथा 166 करोड़ रुपए के व्यर्थ निवेश करने का खुलासा किया है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की वर्ष 2013 को पेश पिछले 3 साल की रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारी क्षेत्र की कंपनियों को चलाने में राज्य सरकार की कई कमियां उजागर हुई हैं जिससे 4 हजार 52 करोड़ रुपए के नुकसान का आंकलन है जबकि 166 करोड़ के व्यर्थ निवेश का भी खुलासा हुआ है। जबकि खुद सरकार ने बीते पांच साल में राजस्व आय दो गुनी करने का दावा किया है। राज्य में 66 सार्वजनिक इकाईयों कार्यरत हैं जिनमें से 41 के नफा करने का दावा राज्य सरकार कर रही है। इनमें एक लाख 12 हजार कर्मचारी कार्यरत हैं।