मोदी की राह में कई नेता अटका रहे हैं रोड़ें

modijdfkljनई दिल्ली। भाजपा में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार का चयन पेचीदा हो सकता है। दरअसल पार्टी में ऐसे कई खेमे मुखर हो गए हैं जो लोकप्रियता व राजग में स्वीकार्यता का तर्क देकर पकड़ बनाने में जुट गए हैं। एक खेमा ऐसा भी है जो चुनाव बाद ही उम्मीदवार तय करने के पक्ष में है। अब बहुत कुछ जदयू के रुख पर निर्भर करेगा। अगर जदयू ने अलग रास्ता चुना तो भाजपा के निर्णय में तेजी आ सकती है।

यूं तो भाजपा के अंदर एक भी ऐसा नेता नहीं है जो नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता पर सवाल खड़ा करे, लेकिन अंदरूनी तौर पर निर्णय कर पाना आसान नहीं है। शुक्रवार को सरसंघचालक मोहन भागवत ने भी एक कार्यक्रम में संकेत दे दिया कि जनता मोदी को ही पीएम के रूप में देखना चाहती है और वह खुद भी जन भावना से जुड़े हैं। कुछ दिन पहले लोस में नेता विपक्ष सुषमा स्वराज ने भी उस वक्त अटकलें तेज कर दी थीं, जब उन्होंने कहा था कि रेस में कई लोग हैं और उनमें पूर्व उपप्रधानमंत्री आडवाणी भी शामिल हैं।

कुछ वरिष्ठों का कहना है, लड़ाई भाजपा बनाम कांग्रेस नहीं राजग बनाम संप्रग है। जाहिर तौर पर संकेत है कि पीएम प्रत्याशी राजग के सामूहिक निर्णय से तय होना चाहिए, जबकि मोदी के नाम पर राजग सहयोगी जदयू-शिवसेना ने आपत्ति जता दी है।

कुछ नेता इस मत से भी सहमत नहीं हैं कि उम्मीदवार चुनाव बाद तय होना चाहिए। उनका कहना है, जनता का भरोसा राजनीतिक दलों में नहीं, व्यक्ति में होता है। लिहाजा नाम तय कर मैदान में उतरना ज्यादा अच्छा है। ऐसे में सूत्रों का कहना है कि बहुत कुछ जदयू के रुख पर निर्भर करता है। अपनी राजनीतिक मजबूरियों के कारण अगर उसने अलग रास्ता चुना तो प्रधानमंत्री उम्मीदवार के चयन की प्रक्रिया तेज हो सकती है, वरना उम्मीदवार पेश करने की मांग के बावजूद देर हो सकती है।

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