‘जिन्ना के भाषणों को दबाए रखने का कारण साफ करे सरकार’

disclose-jinnahs-speech-to-allनई दिल्ली। केंद्रीय सूचना आयोग (सीआइसी) ने सरकार को कहा है कि वह पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना के देश की स्वतंत्रता के पहले दिए दो भाषणों को सार्वजनिक करने के बारे में विचार करे। ये भाषण ऑल इंडिया रेडियो के लेखागार में सुरक्षित हैं। केंद्रीय मुख्य सूचना आयुक्त सत्यानंद मिश्र ने यह भी कहा है कि यदि इसे दबाए रखने का इरादा हो तो सरकार उसका कारण बताएं।

उन्होंने अगले महीनों में अभिलेखागार में रखे पाकिस्तान चले गए सभी नेताओं की रिकार्डिग की सूची ऑल इंडिया रेडियो की वेबसाइट पर डालने को कहा है जिन्हें जनता को बगैर रोक के प्रावधानों को लागू किए उपलब्ध कराया जा सकता है। मुख्य सूचना आयुक्त ने कहा कि देश की स्वतंत्रता के 60 साल से अधिक गुजर जाने के बाद अब समय आ गया है कि उन सभी संबंधित चीजों के बारे में तय किया जाए कि स्वतंत्रता के पहले की कौन सी सूचनाएं जनता को उपलब्ध करानी चाहिए।

मिश्र ने कहा कि किसी भी सरकारी अधिकारी के लिए अपने इस रुख पर कायम रहना आसान है कि पाकिस्तान से जुड़ी हर चीज या हर नेता जो पाकिस्तान चले गए उनके बारे में सूचनाएं गोपनीय रखनी चाहिए और उस पर सूचना के अधिकार कानून की धारा 8(1)(अ) के प्रावधान लागू कर उसके विवरण का खुलासा नहीं करना चाहिए लेकिन यह एक विपरीत रुख है। इतिहास के छात्र और सामान्य वर्ग के लोग भारत के सबसे महत्वपूर्ण समय के इतिहास को जानना चाहते हैं।

मिश्र ने अपने आदेश में कहा है कि यह सरकार का कर्तव्य है कि वह जनता के बीच ऐसे दस्तावेजों को आसानी से उपलब्ध कराए ताकि नागरिक वर्ग जानकार हो सके और शोधकर्ताओं को महत्वपूर्ण सामग्री मिल सके। सुभाष अग्रवाल की आरटीआइ याचिका में स्वतंत्रता के पहले के जिन्ना के भाषणों की प्रति की मांग की गई थी। प्रसार भारती ने पहले दावा किया कि वह उनका पता लगाने की कोशिश कर रहा है। बाद में उसने आरटीआइ कानून की धारा 8(1)(अ) का उल्लेख कर उसे सार्वजनिक करने से इन्कार कर दिया।

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