‘दूसरी शादी के बाद भी पहली बीवी-बच्चों का खर्च उठाएगा पति’

court indiaनई दिल्ली। भले ही किसी व्यक्ति ने तलाक के बाद दूसरा विवाह कर लिया हो और वह अपनी बीवी व बच्चों का लालन-पालन कर रहा हो। मगर, उसे पहली बीवी और उससे पैदा बच्चों का खर्च भी उठाना ही होगा। यह टिप्पणी करते हुए अपना फैसला तीसहजारी कोर्ट की अतिरिक्त जिला जज सुजाता कोहली ने 13 वर्ष पूर्व तलाक लेने वाली गीता (परिवर्तित नाम) द्वारा दायर याचिका पर सुनाया है।
अदालत ने राजन (परिवर्तित नाम) को निर्देश दिया कि वह अपनी पहली पत्नी गीता व बेटे को दस हजार रुपये प्रतिमाह गुजारे भत्ते के तौर पर देगा और उन्हें 11 हजार रुपये इस केस के खर्चे के रूप में भी देगा। अदालत ने फैसले में कहा कि यह बात ठीक है कि राजन अपनी दूसरी पत्नी व बच्ची को पाल रहा है। लेकिन ऐसे में वह अपनी पहली पत्नी गीता व बच्चे की जिम्मेदारी से नहीं बच सकता।
अदालत ने कहा कि यह भी ठीक है कि उसका बेटा जिस स्कूल में पढ़ रहा है, उसकी शिक्षा मुफ्त है, लेकिन इसके अलावा बच्चे के खाने-पीने व कपड़ों आदि पर भी खर्च होता है। वहीं,उसकी पूर्व पत्नी गीता भी खुद कुछ नहीं कमा रही है। ऐसे में राजन अपनी जिम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ सकता। उसे दोनों को पालन-पोषण के लिए गुजारा भत्ता देना ही होगा।
उल्लेखनीय है कि पति से तलाक के 13 साल बाद गीता ने अपने पूर्व पति राजन से गुजारा भत्ता पाने के लिए अदालत में याचिका दायर की थी। गीता का कहना था कि उसका वर्ष 2000 में पति से तलाक हो गया था। उसका एक 13 साल का बेटा है। उसका व उसके बेटे का खर्च उसके माता-पिता उठा रहे हैं।
उसके तलाकशुदा पति राजन का ट्रांसपोर्ट का व्यवसाय है और किराए से अन्य आय भी होती है। इसलिए उसे 25 हजार रुपए प्रतिमाह गुजारे भत्ते के तौर पर व 33 हजार रुपये मुकदमे के खर्च के तौर पर दिए जाएं। वहीं, इस मामले में राजन का कहना था कि वह करीब 13 साल से अपनी पत्नी से नहीं मिला है। उन्होंने आम सहमति से तलाक ले लिया था। इतने साल तक उसने गुजारा भत्ता नहीं मांगा और अब मांग रही है। उसकी दूसरी शादी हो चुकी है और एक बेटी है, जिसका खर्च वह वहन कर रहा है।

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