लाखों सुरिक्षत निकाले गए, तीन हजार से अधिक लापता

28_06_2013-28armyदेहरादून। उत्तराखंड के आपदा प्रभावित क्षेत्रों में सेना का राहत व बचाव अभियान अपने अंतिम चरण में है। अब तक एक लाख चार हजार के करीब लोगों को सुरिक्षत निकाल लिया गया है, जबकि 2500 यात्री अब भी फंसे हुए हैं और तीन हजार से अधिक लापता हैं। इस बीच राहत व बचाव कार्य का जायजा लेने के लिए गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे शुक्रवार को देहरादून पहुंचे। वहां पहुंच कर कहा कि सेना के जवानों ने बहुत अच्छा काम किया। उन्होंने बताया कि 21 जून के बाद राहत कार्य तेजी से चला। हेलीकॉप्टर क्रैश में शहीद सैनिकों के लिए दुख जताया।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस त्रासदी के बाद 150 से अधिक गांव खाद्यान्न के संकट से जूझ रहे हैं। इन गांवों में न तो खाने को कुछ है और ना ही पीने का पानी है।

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उत्तराखंड में मौसम मेहरबानी के संकेत दे रहा है। ऐसे में शुक्रवार को राहत और बचाव कार्य और तेजी से चलाया जाएगा। जिससे बदरीनाथ और गंगोत्री के रास्ते हर्षिल में फंसे बाकी लोगों को भी जल्द से जल्द सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचाया जा सके। हालांकि बीते दिनों मौसम की खराब हालत को देखते हुए मुख्य सचिव सुभाष कुमार ने कहा था कि बदरीनाथ में फंसे यात्रियों को निकालने में तीन से चार दिन और लग सकते हैं। उन्होंने बताया कि अधिकतर यात्री अपने घरों को जा चुके हैं। इसलिए उत्तराखंड से आपदा पीड़ितों के लिए चलाई जा रही तीनों विशेष ट्रेन बंद कर दी गई हैं। अब देहरादून और हरिद्वार से नियमित चलने वाली ट्रेन में ही अतिरिक्त कोच जोड़े जाएंगे।

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दूसरी ओर, आपदा में लापता लोगों की सूचना के लिए गठित मिसिंग सेल के प्रभारी अजय प्रद्योत ने जानकारी दी कि अभी तक तकरीबन तीन हजार लोगों के लापता होने की सूचना मिली है।

उधर, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा से फोन पर ताजा हालात की जानकारी ली। गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग के आसपास के जंगलों में चार दिनों से चल रहा सेना और अ‌र्द्धसैनिक बलों का सर्च आपरेशन भी पूरा हो गया है। यह मान लिया गया है कि अब वहां किसी के मिलने की उम्मीद नहीं है।

गौचर में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) के उप पुलिस महानिरीक्षक (डीआइजी) अमित कुमार ने कहा कि सर्च ऑपरेशन पूरा हो चुका है। आइटीबीपी की टीम लौट आई है।’ उन्होंने बताया कि फिलहाल नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (एनडीआरएफ) की टीम केदारनाथ में नागरिक प्रशासन की मदद के लिए रुकी रहेगी। गुप्तकाशी में तैनात आपदा राहत कार्य के नोडल अधिकारी रविनाथ रमन ने बताया कि गुरुवार को केदारनाथ में 15 शवों का अंतिम संस्कार किया गया। जबकि बुधवार को 18 शवों का दाह संस्कार किया गया।

बताया जा रहा है कि सेना अब हर्षिल और बदरीनाथ में राहत कार्य चलाएगी। दोनों इलाकों में फंसे लोगों को निकालने के लिए 13 हेलीकाप्टर की मदद ली गई।

उधर, खराब मौसम में भी जवान लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए जी-जान से जुटे रहे। बृहस्पतिवार को बदरीनाथ से 500 यात्री हेलीकॉप्टर और इतने ही पैदल निकाले गए। वहीं, हर्षिल से सभी 500 यात्रियों को निकाल लिया गया है। अब गंगोत्री मार्ग पर कोई यात्री नहीं रह गया है। बदरीनाथ मार्ग में अलकनंदा नदी पर तैयार अस्थायी पुल एक ओर झुक जाने के कारण इस पर आवाजाही रोक दी गई है। यहां पर सेना ने हेलीकाप्टर के जरिए पांच सौ यात्रियों को नदी के पार पहुंचाया।

इस बीच, पिथौरागढ़ में भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए। रिक्टर पैमाने पर इनकी तीव्रता 3.5 मापी गई है। आपदा के दो पखवाड़े बाद मौसम की मार से त्रस्त पहाड़ों में हालात बदतर होते जा रहे हैं। लगातार भूस्खलन के चलते रुद्रप्रयाग से गौरीकुंड हाईवे कई स्थानों पर बंद है।

उत्तरकाशी जिले में भी हालात गंभीर हो चले हैं। गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग उत्तरकाशी से आगे करीब आठ स्थानों पर बंद है और तीस के करीब संपर्क मार्ग भी ध्वस्त हो चुके हैं। ऐसे में गंगा घाटी के डेढ़ सौ से ज्यादा गांव पूरी तरह से कटे हुए हैं। हालांकि प्रशासन ने दस स्थान चिह्नित किए हैं।

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