उत्तराखंड त्रासदी: शवों का अंतिम संस्कार होना भी मुश्किल

30_06_2013-mandi30देहरादून, जागरण ब्यूरो। केदारनाथ घाटी में आई आपदा के शिकार सैकड़ों शव अभी भी पारंपरिक रीति रिवाज से अंतिम संस्कार का इंतजार कर रहे हैं। केदारनाथ घाटी क्षेत्र में सड़ रही लाशों की दुर्गध फैलने से कोई टीम यहां टिक नहीं पा रही है। क्षेत्र में भेजी गई टीम के सदस्यों का स्वास्थ्य गड़बड़ा चुका है।

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दाह संस्कार कराने के लिए जल्दी से कोई टीम तैयार नहीं हो रही है। हालांकि मुख्य सचिव सुभाष कुमार का दावा है कि शवों के दाह संस्कार के लिए टीमों को भेजा जाएगा।

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केदारनाथ घाटी में आई तबाही में सैकड़ों लोगों के मरने का अंदेशा जताया जा रहा है। केदारनाथ घाटी में केदारनाथ धाम से लेकर गौरीकुंड तक जगह-जगह शव पड़े हुए हैं। समय के साथ यह शव सड़ने लगे हैं और इनसे तेज दुर्गध निकल रही है। इस कारण पूरी घाटी का पर्यावरण दूषित हो रहा है। शासन की ओर से शवों का अंतिम परीक्षण कर इनके दाह संस्कार के निर्देश दिए गए हैं।

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शुरुआती दौर में पुलिस के सहयोग से केदारनाथ में शवों का दाह संस्कार किया गया। एक दिन 18 तो दूसरे दिन 15 शवों को चिता में जलाया गया। हालांकि शवों के दाह संस्कार करने में शामिल की गई टीमें बामुश्किल यह कार्य कर पाई। केदारनाथ में शासन की ओर से तैनात की गई दोनों टीमें यहां से बाहर निकल चुकी हैं। ऐसे में पिछले दो दिनों से यहां किसी भी शव का दाह संस्कार नहीं किया जा सका।

शासन इसका एक बड़ा कारण मौसम खराब होना बता रहा है। यहां तक की घाटी में शवों के अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियां तक नहीं हैं। सूत्रों की मानें तो यहां पहुंची टीमों ने कुछ ही दिनों में हाथ खड़े कर दिए। इस कारण इन्हें केदारनाथ से बाहर निकालना पड़ा। सूत्रों का यहां तक कहना है कि केदारनाथ में दाह संस्कार की क्रिया को कोई जल्दी से तैयार नहीं हो रहा है।

इसके लिए पुलिस को जिम्मेदारी देने की बात हुई तो पुलिस ने डीएनए टेस्ट के लिए हाथ खड़े करते हुए इसके लिए विशेषज्ञों को रखने की बात कही। इन्हीं परिस्थितियों को देखते हुए शनिवार को मुख्य सचिव ने संबंधित विभागों के अधिकारियों की बैठक भी बुलाई। इस पर शवों के दाह संस्कार को लेकर चर्चा भी हुई। मुख्य सचिव सुभाष कुमार ने कहा कि संबंधित विभागों से इस संबंध में बैठक की गई है।

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