दूल्हा तोरण क्यों मारता है?

इन दिनों शादियों का सीजन है। विचार आया कि शादी की विभिन्न परंपराओं में एक प्रमुख रिवाज पर चर्चा की जाए। लगभग सभी को जानकारी होगी कि दूल्हा जब दुल्हन के घर पर बारात लेकर पहुंचता है तो वह द्वार पर टंगे तोरण को अपनी तलवार को छुआ कर उसे मारने की रस्म अदा करता है। कुछ लोगों को हो सकता है कि इस परंपरा की वजह पता हो, मगर अधिसंख्य इसके रहस्य से अनभिज्ञ हैं।
इस सिलसिले में दो किंवदंतियां प्रचलित हैं। पहली इस प्रकार है:-
बताते हैं कि किसी भी शादी के दौरान जब दूल्हा दुल्हन के द्वार पर पहुंचता था तो वहां तोते के रूप में बैठा तोरण नामक एक राक्षस दूल्हे के शरीर में प्रवेश कर स्वयं शादी कर लेता था। एक बार एक राजकुमार जैसे ही दुल्हन के द्वार पर पहुंचा तो उसने वहां बैठे राक्षस रूपी तोते को मार डाला। कहते हैं कि तोरण मारने की परंपरा तभी से आरंभ हुई। ज्ञातव्य है दुल्हन के द्वार पर लकड़ी के बना तोरण लगाया जाता है, जिसमें तोता बना होता है। वह राक्षस का प्रतीक होता है।
दूसरी किंवदंती के अनुसार एक राजकुमारी जब छोटी थी तो उसकी मां कहा करती थी कि मेरी चिडिय़ा जैसी बिटिया, तुमको बड़ी होने पर किसी दिन कोई चिड़ा आ कर तुझे ले जाएगा। पास ही पेड़ पर बैठा चिड़ा यह सुना करता था। एक दिन यह देख कर वह अचंभित रह गया कि राजकुमारी की शादी होने जा रही है और एक राजकुमार उसके दरवाजे पर खड़ा है। निराश हो कर उसने राजा के सामने फरियाद की। राजा ने रानी से पूछताछ की तो चिड़े की बात सही निकली। इस पर रानी ने कहा कि वह तो यूं ही प्यार में कहा करती थी, इसका अर्थ ये तो नहीं कि सच में किसी चिड़े से शादी करवाएगी। राजा ने जब अपनी बेटी की शादी चिड़े से करवाने से इंकार कर दिया तो वह अपने समुदाय को इकट्टा करके युद्ध पर उतारू हो गया। युद्ध में राजा हार गया। जैसे ही वह राजकुमारी को ले जाने लगा तो देवी-देवताओं में खलबली मच गई। उन्होंने कहा कि राजकुमारी व चिड़े से उत्पन्न संतान कैसी होगी? उन्होंने चिड़े व उसकी सेना को बहुत समझाया। आखिरकार वे मान गए, मगर एक शर्त रख दी। वो यह कि दूल्हे को चिडिय़ा प्रजाति से माफी मांगते हुए उसके नीचे से गुजरना होगा। इसके लिए दुल्हन के द्वार पर तोरण लटकाया जाएगा, जिस पर चिडिय़ाएं बनी होंगी और दूल्हा उनके नीचे से गुजरेगा। बाद में यह परंपरा बन गई। रहा सवाल तलवार टच करने का तो उसका अर्थ ये है कि वह ऐसा करके उनका अभिनंदन कर रहा है।
जिन को इन दोनों किंवदंतियों की जानकारी नहीं है, वे तोरण निर्माता आजकल तोरण पर गणेश जी का चित्र लगा रहे हैं। उनका प्रयोजन विघ्न विनायक को द्वार पर बैठाना है, ताकि शादी निर्विघ्न संपन्न हो जाए।

-तेजवानी गिरधर
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