जब भी थके हुए हों तो करें ये प्रयोग, थकावट छूमंतर हो जाएगी

आमतौर पर जब भी हम काम की अधिकता के कारण थक जाते हैं तो कुछ वक्त आराम करते हैं अथवा सो जाते हैं। सोने से थकावट मिट जाती है। लेकिन अगर हमारे पास आराम करने का वक्त नहीं है और फिर से काम करना है तो बहुत दिक्कत हो जाती है। हम अंडर रेस्ट हो जाते हैं।
थकावट से उबरने के लिए वर्षों पहले मुझे एक जैन मुनि ने रोचक व उपयोगी जानकारी दी थी। वह आपसे साझा कर रहा हूं। लाडनूं स्थित जैन विश्व भारती में मेरा नियमित जाना होता था। वहां एक जैन मुनि श्री किशनलाल जी से निकटता हो गई। योग, ध्यान व सम्मोहन के बारे में उनकी गहरी जानकारी थी। उन्होंने मेरे सामने सम्मोहन के अनेक प्रयोग करके दिखाए थे। हां, उनका यह कहना था कि सम्मोहित उसे ही किया जा सकता है, जो उसके लिए सहयोग करे। उनसे कई विषयों पर चर्चा होती थी। एक बार चर्चा के दौरान उन्होंने बताया कि थकावट की स्थिति से आसानी से उबरा जा सकता है। इसके लिए करीब बीस मिनट लेट जाएं और तीन-चार बार अपनी गुदा अर्थात मलद्वार को संकुचित करें। जितना ज्यादा समय तक संकुचन करेंगे, उतना ही जल्दी थकावट मिट जाएगी और पूरे शरीर में ऊर्जा का संचार हो जाएगा। शरीर में स्फूर्ति आ जाएगी। उन्होंने बताया कि गुदा के पास ही मूलाधार चक्र है। गुदा को संकुचित करने से वह शक्ति केन्द्र जागृत हो जाता है और नई ऊर्जा उत्पन्न होती है। मैने उनके बताए इस प्रयोग को कई बार इस्तेमाल किया और पाया कि उन्होंने सही जानकारी दी है। आज इस जानकारी को साझा करते हुए मैं उनको तहेदिल से साधुवाद देता हूं।
आपने पाया होगा कि जब भी हम ज्यादा वजन उठाते हैं, तो उस वक्त भी स्वत: गुदा संकुचित हो जाती है, हालांकि हमें इसका भान नहीं होता। इससे भी सिद्ध होता है कि गुदा संकुचन से ऊर्जा उत्पन्न होती है। इस सिलसिले में मुझे यकायक एक कहावत का ख्याल आ गया। शब्दों में उसका प्रयोग इस प्रकार है- किसी को चुनौति देते वक्त यह कहते हैं न कि लगा ले अपनी गुदा का जोर। या उसने गुदा का पूरा जोर लगा लिया, मगर वह अमुक काम नहीं कर पाया। अर्थात गुदा के पास स्थित मूलाधार चक्र शक्ति का केन्द्र है, इसकी जानकारी हमारी संस्कृति में बहुत पहले से रही है। उसी वजह से यह कहावत बनी है।

-तेजवानी गिरधर
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