सरकार-जनता के बीच गैप मिटाने के लिए कमिटमेंट से काम करें

vasundhara 20बीकानेर। गर्मी के इस आग उगलते मौसम में शुरू हुए सरकार आपके द्वार कार्यक्रम की पहली बैठक को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे ने कहा कि संभागीय स्तर पर जनसुनवाई और केबिनेट बैठक का कार्यक्रम जनता में विश्वास कायम रखने का अभिनव प्रयोग है। आजादी के बाद 66 वर्षाें में अब तक सरकार जिन लोगों तक नहीं पहुंच पाई या जो लोग सरकार तक अपनी पहुंच नहीं बना पाये, आखिरी छोर पर बैठे ऐसे प्रत्येक व्यक्ति तक शासन की पहुंच बनाने के साथ ही सरकार और जनता के बीच की इस दूरी को पाटने के लिए हमने यह ऐतिहासिक कदम उठाया है। इस महत्वपूर्ण बैठक में उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि वे जनता की समस्याओं के निराकरण को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए कमिटमेंट के साथ काम करें। श्रीमती राजे बीकानेर संभाग में 19 से 30 जून तक चलने वाले ’सरकार आपके द्वार कार्यक्रम’ की तैयारियों को लेकर बुलाई गई मंत्रियों और अधिकारियों की बैठक में बोल रही थी। यह महत्वपूर्ण बैठक बीकानेर के वेटरनरी यूनिवर्सिटी में आयोजित की गई थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के पहले चरण में भरतपुर संभाग के अनुभवों से हमने काफी कुछ सीखा है। इस दौरान सामने आई जनसमस्याओं के निवारण के लिए हमने नये-नये तरीके अपनाकर लोगों को राहत देने का प्रयास किया है। भरतपुर संभाग का दौरा मात्र उन 10 दिनों तक ही सीमित नहीं था। हम वहां के लोगों की समस्याओं का प्रत्येक स्तर से लगातार फोलोअप कर रहे हैं।
श्रीमती राजे ने कहा कि गत 9 फरवरी से 20 फरवरी तक हमारी सरकार भरतपुर संभाग में गई थी। जिसके परिणाम उत्साहजनक रहे। वहां जाने से पूरे संभाग की समस्याओं का निचोड़ हमारे सामने आ गया। हमने मौके पर ही वहां के समयबद्ध तरीके से विकास के लिए एक प्लान बनाया और उसके अनुरूप ही केबिनेट बैठक में भरतपुर संभाग के लिए महत्वपूर्ण फैसले लिये, जिनकी क्रियान्विति पर अमल भी शुरू हो गया है। इसी प्रकार सरकार हर संभाग में जाकर विकास के लिये निश्चित समय सीमा का प्लान बनाकर वहां का विकास करेंगी।

सरकार एयरकंडीशनर कमरों से नहीं जनता के बीच धरातल से भी चले
मुख्यमंत्री ने कहा कि 45 से 50 डिग्री सेल्सियस के तापमान जैसी भीषण गर्मी और तपती लू के इस मौसम में उनकी सरकार ने यह कार्यक्रम जान बूझकर रखा, ताकि सरकार कठिनाई के इन दिनों में लोगों की पीड़ा को करीब से महसूस कर सके और उन्हें राहत पहुंचा सके। इन दिनों इस क्षेत्र में लोगों को पानी, बिजली, नहरों और उपनिवेशन जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसको देखते हुए ही हमारी सरकार ने यह समय चुना है। उन्होंने कहा कि वैसे भी सरकार एयरकंडीशनर कमरों से नहीं जनता के बीच धरातल से चलनी चाहिए। इस मौसम में हमारा यह कार्यक्रम इसी की मिसाल है।

चमक सिर्फ चार दिन की नहीं
श्रीमती राजे ने कहा कि सरकार आपके द्वार कार्यक्रम को देखते हुए बीकानेर संभाग को चमका दिया गया है। सड़कों की मरम्मत हो गई है। शहरों, कस्बों और गांवों में रंग-रोगन तथा साफ-सफाई हो गई है। यह अच्छी बात है, लेकिन कहीं ऐसा न हो यह चमक चार दिन में चली जाये। हमारे यहां से जाने के बाद भी लोगों को राहत देने का यह सिलसिला सतत् रूप से जारी रहे और यह चमक हमेशा बरकरार रहे।

फिर रोशन होगा सूरसागर
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने अपने पिछले कार्यकाल में बीकानेर में सूरसागर की गंभीर समस्या का निराकरण कर इसकी सूरत संवारने का काम किया था। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सूरसागर का गंदा पानी निकालकर, लीकेज दूर किये जायें, जिससे यह फिर उसी स्वरूप में निखरे। उन्होंने कहा कि हमने उस समय पब्लिक पार्क के सौन्दर्यीकरण पर फोकस किया और गंगा शहर में दूषित जल के इकट्ठा होने एवं मच्छरों की समस्या के निवारण के लिये भी कार्य किया। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से इनकी वर्तमान स्थिति का फीडबैक लिया।

नहरी क्षेत्र की समस्याओं पर दिखाई गंभीरता
श्रीमती राजे ने अपनी पिछली सरकार के समय संभाग के नहरी क्षेत्रों में नहरों की डिसिल्टिंग, मोघों को ठीक करने के साथ ही सेम की समस्या के निराकरण के लिये किये गये प्रयासों का उल्लेख करते हुए संबंधित अधिकारियों से जानकारी ली। उन्होंने अधिकारियों से पूछा कि नहरों से सिल्ट निकालने के लिये उनकी सरकार के समय खरीदी गई मशीनें डीजल के अभाव में कैसे नहीं चल पाईं। साथ ही उन्होंने सिल्ट निकालने की व्यवस्था के निदान हेतु चक निवासियों को यह कार्य दिये जाने और नरेगा के अन्तर्गत भी ऐसे कार्याें को लिये जाने पर बल दिया। उन्होंने नहरी क्षेत्र में सेम की समस्या का स्थाई हल ढूंढने के लिये विशेषज्ञों का एक दल गठित करने को कहा। उन्होंने कलेक्टर्स को कहा कि वे नहरी क्षेत्र के किसानों को यह बात समझाने के प्रयास करें कि वहां की मिट्टी और पानी की उपलब्धता के आधार पर फसलें उगाई जायें। उन्होंने संभाग के लोगों की राजस्व से संबंधित समस्याओं पर भी विशेष ध्यान देने के निर्देश दिये।

शिकायतकर्ता को जवाब अवश्य मिले
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कार्यक्रम के दौरान जनसुनवाई में आने वाले प्रकरणों को संबंधित विभागों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी जिला कलेक्टर्स की होगी। इस बात का ध्यान रखा जाये कि किसी समस्या से जुड़े आवेदनों की गलत मार्किंग नहीं हो। मुख्य सचिव श्री राजीव महर्षि ने कहा कि जनसुनवाई इस कार्यक्रम का महत्वपूर्ण हिस्सा है। कोई भी व्यक्ति जो शिकायत लेकर आता है। उसे उसका जवाब अवश्य मिले। इसके लिए सरकार ने इस बार भरतपुर संभाग के अनुभवों से सीख लेते हुए सिस्टम को फुल प्रूफ बनाने का प्रयास किया है।

मुख्यमंत्री भी करेंगी दौरा
मुख्यमंत्री 24 से 29 जून तक बीकानेर संभाग के चारों जिलों का दौरा करेंगी। वे बीकानेर संभाग के किसी भी शहर, किसी भी कस्बे, किसी भी गांव और किसी भी ढाणी में अचानक भी पहुंच सकती है।

ऐसे होगी जनसुनवाई
ऐसे सभी लोग जो जनसुनवाई कार्यक्रम में आना चाहते हैं, वे पहले से भी अपनी समस्या को राजस्थान सम्पर्क केन्द्र पर दर्ज करा सकते हैं। पहले से दर्ज शिकायत के नम्बर के आधार पर सुनवाई में प्राथमिकता दी जायेगी। यह शिकायत पंचायत, ब्लॉक एवं जिला स्तर पर बने राजस्थान सम्पर्क केन्द्रों पर निःशुल्क दर्ज करवाई जा सकेगी। शिकायतें बेबसाइट ूूूण्ेंउचंताण्तंरंेजींदण्हवअण्पद पर स्वयं भी दर्ज कराई जा सकती हैं। समस्याएं विकास अधिकारी, उपखंड अधिकारी व जिला कलक्टर कार्यालय में भी दर्ज की जा सकती हैं। इसके अलावा स्मार्ट फोन धारक गूगल प्ले से राजस्थान सम्पर्क का एंड्रॉयड एप्लीकेशन डाउनलोड कर फोन से भी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। शिकायत दर्ज कराने के लिए राज्य स्तर की हैल्पलाइन नम्बर 1800-180-6127 पर भी कॉल किया जा सकता है। एक ही परिवादी अलग-अलग विभागों से संबंधित अलग-अलग समस्याओं के लिए आवेदन अलग से प्रस्तुत करेंगे।
पंचायत समिति शिविर में जिन प्रकरणों का तत्काल निस्तारण संभव नहीं होगा, उन्हें इस पोर्टल के माध्यम से जिला स्तर एवं राज्य स्तर पर मॉनिटर किया जायेगा। समस्या के समाधान से संतुष्ट नहीं होने पर परिवादी राजस्थान सम्पर्क केन्द्र पर गुरूवार को होने वाली जनसुनवाई में उपस्थित हो सकता है। यह सुनवाई माह के पहले गुरूवार को उपखंड अधिकारी की अध्यक्षता में, जबकि दूसरे गुरूवार को जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में होगी।
-मोहन थानवी

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