विभागीय लापरवाही के चलते आगंनवाडी कार्यकर्ता की छवि धुमिल

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सीडीपीओ कौषल्या वैश्णव की मौजूदगी में पोशाहार की जांच करते

लगाये चोरी जैसे संगिन आरोप, किया पद मुक्त
-अशोक जैन- भीलवाड़ा, विभागीय लापरवाही और राजनीतिक हस्तक्षेप सरकारी कर्मचारियों को इस कदर हावी है जिसका जीता जागता उदाहरण भीलवाड़ा जिले के मांडलगढ़ क्षेत्र के ग्राम धामनिया को मिला जहां एक महिला आंगनबाडी कार्यकर्ता पर ना सिर्फ पोशाहार चोरी का आरोप लगा, अनन-फानन में महिला के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज करा उसे मानसिक रूप से प्रताडित किया गया। घटना का खुलासा तीन महिने बाद वहीं आंगनवाडी केन्द्र में पोशाहार जांच के दौरान हुआ जब बताये गये चोरी के 8 पाउच उसी आंगनवाडी के कबाड में चुहों द्वारा कुतरे हुए पाये गये।
घटनाक्रम के अनुसार 31 जुलाई 2014 को ग्राम धामनिया में सुरेन्द्र सिंह नामक व्यक्ति को 55 किलो पोषाहार के साथ ग्रामवासियो ने पकड़ा और पूछताछ में सुरेन्द्र नेे पोषाहार आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शीला लोढ़ा द्वारा बेचना बताया, जिस पर विभाग के आला अधिकारियों ने त्वरित कार्यवाही करते हुए आंगनबाड़ी धामनिया केंद्र संख्या 1 पर स्टॉक की जाँच की, जांच के दौरान आगंनवाडी पोशाहार के स्टॉक में 8 पाउच कम पाये गये इस पर अधिकारियों द्वारा आनन फानन में महिला कार्यकर्ता पर ना सिर्फ पोशाहार चोरी के आरोप लगाये बल्कि नोटिस देने के साथ ही महज दो दिन में कार्यकर्ता के खिलाफ पुलिस में चोरी का मामला भी दर्ज करवा दिया गया। घटना के बाद से ही महिला कार्यकर्ता को कार्य मुक्त कर दिया गया और जांच की बात कह विगत तीन माह से मामले को पेचिदा बनाया जा रहा है। घटना में नया मोड उस समय आया जब 31 अक्टूबर 2014 को सीडीपीओं कौषल्या वैश्णव मीडिया टीम के साथ धामनिया की उसी आंगनवाडी केन्द्र में (आंगनवाडी केन्द्रों की सफलता की कहानी) डाक्युमेन्ट्री बनवाने पहुंची। जिस समय डाक्युमेन्ट्री के लिए वीडियोग्राफी कार्य किया जा रहा था। उसी समय आगंनवाडी केन्द्र के एक कक्ष में कबाड के बीच चुहे कुतरा हुआ पोशाहार पाया गया। जिन पर फरवरी 2014 का बेच नम्बर अंकित था। सीडीपीओं कौषल्या वैश्णव व वर्तमान में केन्द्र पर पदस्थापित आगंनवाडी कार्यकर्ता हेमलता जैन से जब उस पोशाहार के बारे में पूछा गया तो तब दोनों ने उस पोशाहार के प्रति अपनी अनभिज्ञता जाहिर की और कहां कि यहां पोशाहार जुलाई में कार्यरत आगंनवाडी कार्यकर्ता षीला लोढा के समय का ही है। उन्होंने लापरवाही करी और फटी हुई थैलियां कबाड में डाल दी। जब उस पोशाहार को देखा गया तो उसमें 8 पाउच चुहे कुतरी हुई अवस्था में पाये गये। मीडिया ने जब उनसे उन 8 पाउच के बारे में सवाल किये तो दोनों ही महिला कर्मचारी किनारा करने लगी और उस पोशाहार को षीला लौढा के समय का बताते हुए अपना पल्ला झाडने लगी। सम्पूर्ण घटनाक्रम शडयन्त्र व राजनीतिक दबाव के चलते एक महिला कर्मचारी को पद से हटा किसी दुसरी महिला को लगाने के जुगाड से रचा गया। गांव वालों ने दबी जबाव व नाम उजागर ना किये जाने की षर्त पर बताया कि विभाग के कुछ अधिकारी व माण्डलगढ क्षेत्र के राजनैताओं ने इस सम्पूर्ण घटनाक्रम के लिए एक मोटी रकम हतिया ली है। जिसका परिणाम आंगनवाडी कर्मचारी को अपनी सामाजिक प्रतिश्ठा एवं नौकरी गवां कर चुकाना पडा है। आवष्यकता है विभाग को ही वो इस पूरे मामले में अपनी लापरवाही पर खामोषी तोडे और सम्पूर्ण मामले की नये सीरे से जांच करवा महिला आगंनवाडी कार्यकर्ता को न्याय दिलाये।

पूरे घटनाक्रम में विभाग की कार्यप्रणाली पर कई सवालियां निषान उठ खडे होते है। –
01. किसी बाहरी व्यक्ति के आरोप लगाने पर विभाग ने आनन-फानन में महिला कर्मचारी के खिलाफ कार्यवाही कैसी कर डाली।
02. व्यक्ति के पास गांव वालों ने 55 किलो पोशाहार पकडा, जबकि आगंनवाडी रिकॉर्ड के मुताबिक वहां पोशाहार के महज 8 पाउच कम थे, षेश पोशाहार कहां से आया।
03. 55 किलो पोशाहार एक कट्टे में खुला मिला वहीं आगंनवाडी केन्द्रो पर पोशाहार एक किलो, 800 ग्राम, 700 ग्राम के पाउच में पोशाहार पैक होता है, ऐसे में जो खुली सामग्री मिली उसे आगंनवाडी का पोशाहार कैसे माना जा सकता है।
04. विभागिय अधिकारियों ने घटनास्थल पर पहुंच स्टॉक की जांच की और वहां 8 पाउच कम पाये जाने पर आनन-फानन में षीला लौढा को 31 जुलाई को कारण बताओं नोटिस थमा कार्य मुक्त कर दिया गया और महज एक दिन बाद ही एक अगस्त को पुलिस में एफआईआर दर्ज करवा दी गई। बिना नोटिस का जवाब लिये किस जल्दबाजी और राजनीतिक दबाव के चलते रिपोर्ट दर्ज करवा दबाव बनाया गया।

इनका कहना है –
यह चूहे द्वारा कुतरा हुआ 8 पाउच पोषाहार यहाँ की पूर्व कार्यकर्ता शीला लोढ़ा के समय से ही रखा हुआ है। मैने जबसे चार्ज लिया तब से यहां कोई पाउच पडे हुए नही देखें यह पाउच उसी समय के है।
हेमलता जैन,
वर्तमान कार्यकर्ता,
आगनवाड़ी केंद्र संख्या 1 धामनिया

27 जुलाई को ग्रामवासियों ने एक व्यक्ति को पोशाहार ले जाते हुए पकडा था। पूछताछ में उस व्यक्ति ने बताया कि यह पोशाहार वो आगंनवाडी केद्र नम्बर एक में कार्यरत कर्मचारी षीला लौढा से लेकर आया है। पोशाहार का वजन 55 किलो पाया गया, जिस पर मैं और उच्च अधिकारी आगंनवाडी केन्द्र पहुंचे और स्टॉक की जांच की तो वहां आठ पाउच कम पाये गये, इस पर आगंनवाडी कार्यकर्ता को कारण बताओं नोटिस दिया गया और पुलिस में मामला दर्ज करवाया गया। अभी इस मामले की जांच चल रही है। आज 31 अक्टूबर को जो 8 पोशाहार के पाउच मिले है, यह पाउच षीला लौढा के समय के ही है यह यहां कैसे आये इसकी मुझे कोई जानकारी नही है। जिस समय जांच की गई थी उस समय मेरे साथ और भी अधिकारी मौजूद थे। मैने अपने अधिकारियों के कहने पर ही पुलिस में मामला दर्ज करवाया था। इस आठ पाउच के सम्बन्ध में षीला लौढा से पूछताछ की जायेगी।
कौषल्या वैश्णव
सीडीपीओ, काछोला ब्लॉक

मेरे पर लगाये सभी आरोप गलत है, जिस समय जांच की जा रही थी उस समय मैने रोते रोते हर अधिकारी को विनती की थी कि कबाड में चुहों द्वारा कुतरे गये कुछ पाउच पडे हुए है, जिनकी भी गिनती की जाये, किन्तु अधिकारियों ने मेरी बात को सुना-अनसुना करते हुए मेरे खिलाफ कार्यवाही की और मेरी सामाजिक प्रतिश्ठि को धुमिल कर दिया। मैने उस समय भी कहां था और आज भी कह रही हुॅ उक्त व्यक्ति से मेरा कोई लेना देना नही है। वो 55 किलो आटा कहा से लाया और किसके कहने पर उसने मेरे खिलाफ बोला इसकी मुझे कोई जानकारी नही है। प्रषासन व आप मीडियावालों से मेरी यही विनती है कि वो पूरे मामले की सही ढंग से जांच हो और जो दोशी व्यक्ति है उसके खिलाफ कडी कार्यवाही की जाये।
शीला लोढ़ा,
पूर्व कार्यकर्ता
आगनवाड़ी केंद्र संख्या 1 धामनिया

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