‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ योजना को सफल बनाने के लिए समेकित प्रयास करने होंगे

DSC_0196जयपुर, 11 जून। महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती अनिता भदेल ने कहा कि ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ योजना के प्रदेश भर में क्रियान्वयन के लिए पूरे समाज को समेकित प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि लोगों की मानसिकता में परिवर्तन लाना होगा कि बेटियां किसी भी मायने में बेटों से कम नहीं है।
श्रीमती भदेल गुरुवार को जयपुर के हरिश्चन्द्र माथुर राजस्थान राज्य लोक प्रशासन संस्थान में आयोजित दो दिवसीय मास्टर टे्रनर प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर बोल रही थीं। उन्होंने बिगड़ते लिंगानुपात पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह राज्य के लिए ही नहीं बल्कि संपूर्ण देश के लिए चिंता की बात है। हमें न केवल बेटियों को बचाने का संकल्प लेना होगा, बल्कि उन्हें शिक्षित करने का भी बीड़ा उठाना होगा। उन्होंने कहा कि पढ़ी-लिखी महिला एक नहीं दो परिवारों का जीवन संवारती है।
महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री ने प्रशिक्षण में आए अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि वे इस योजना को भली-भांति समझें और शहर तथा गांव के आखिरी छोर पर बैठे व्यक्ति तक बेटियों को बचाने और उन्हें पढ़ाने के लिए प्रेरित करें। ऎसा माहौल और परिवेश बनाएं कि हर व्यक्ति बेटी के जन्म लेने पर खुशियां मनाएं। उन्होंने इस योजना के प्रचार-प्रसार में मीडिया का सहयोग मांगा। उन्होंने कहा कि अखबार तथा समाचार चैनल बेटियों की उपलब्धि और उन्हें प्रोत्साहित करने वाली खबरों को प्राथमिकता दें ताकि बेटियों के पक्ष में माहौल बनें और लोगों की सोच में भी बदलाव आए।
महिला एवं बाल विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री राकेश श्रीवास्तव ने कहा कि बेटियों का कम होना बेहद चिंता का विषय है। सरकार के साथ आमजन को भी बेटियों को बचाने और उन्हें शिक्षित करने पर जोर देना होगा। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में आए अधिकारी प्रशिक्षण लेकर जिला प्रशासन के सहयोग से ज्यादा से ज्यादा इस योजना को प्रचारित करें, ताकि अधिक से अधिक लोगों को जागरूक किया जा सके।
निदेशक आई.ई.सी. श्री नीरज के पवन ने कहा कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसे महाभियान में सबका सहयोग अपेक्षित है। सब मिलकर प्रयास करेंगे तो आने वाले दिनों में हालात बदलने लगेंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश के दस जिलों में लिंगानुपात राज्य के औसत स्तर के मुकाबले कम है। ऎसे में समेकित बाल विकास सेवाएं, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग इन जिलों में लोगों में जागरुकता लाने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने अधिकारियों को कहा कि वे इस कार्यक्रम को औपचारिक न रखें और व्यक्तिगत दिलचस्पी लेते हुए आम लोगों को इससे जोड़ें। इस दौरान उन्होेंने पाली, करौली, डूंगरपुर और भरतपुर कलक्टर रहते हुए बेटियों के लिए किए नवाचारों के अनुभवों को भी साझा किया।
समेकित बाल विकास सेवाएं के निदेशक डॉ. पृथ्वी ने बताया कि प्रदेश के 10 जिलों के लिए हम 125 मास्टर टेनर्स को प्रशिक्षित कर रहे हैं, जो ग्रासरूट स्तर पर लोगों में जागरूक करेंगे। इस योजना को आने वाले तीन साल तक अभियान के रूप में चलाया जाएगा। उन्होंने कहा लोगों की लड़कियों के प्रति मानसिकता में बदलाव लाना ही हमारा उद्देश्य है। हमें विश्वास है कि आने वाले दिनों में परिदृश्य कुछ बदला हुआ होगा।
राष्ट्रीय जन सहयोग एवं बाल विकास संस्था, नई दिल्ली के निदेशक डॉ. दिनेश पॉल ने सभी अधिकारियों को प्रशिक्षण देते हुए कहा कि लोगों में बेटियों को बचाने के अलावा उनकी देखभाल करने और शिक्षित करने पर भी जोर देना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने पानीपत में ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ का जो आह्वान किया है उसे पूरा करने की जिम्मेदारी हम सबकी है। योजना के क्रियान्वयन में सबका सहयोग बेहद जरूरी है। श्री पॉल ने पीपीटी के जरिए अधिकारियों को योजना के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस दौरान प्रशिक्षण में आए अधिकारियों ने पारस्परिक संवाद के जरिए भी अपने अनुभव साझा किए।
गौरतलब है कि प्रशिक्षण कार्यक्रम में अलवर, भरतपुर, धौलपुर, दौसा, झुन्झुनूं, सीकर, जयपुर, करौली, सवाईमाधोपुर, श्रीगंगानगर जिलों से चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, प्रारम्भिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा, बाल अधिकारिता विभाग, इंदिरा गांधी पंचायतीराज संस्थान, राजस्थान राज्य स्काउट एवं गाइड, गृह, राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, समेकित बाल विकास सेवाएं जैसे विभागों के योजना से संबंधित नोडल अधिकारी शामिल हुए। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन शुक्रवार को होगा।

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