मंगलपाठ के श्रवण से होता है समस्याओं का समाधान

दिनेष मुनि ने दिया मंगल पाठ
Shirdi Photo 12 Nov (4)Shirdi Photo 12 Nov (5)षिर्डी। मंगल पाठ इतना

असरदार है कि यदि वर्ष में एक बार भी इसका पाठ किया जाएं और नियमित रूप से इसका श्रवण किया जाए तो समस्त प्रकार की व्याधियंा, सामाजिक, पारिवारीक समस्याओं का समाधान हो जाता है। मंगलपाठ में बहुत उर्जा निहित होती है।
मंगल पाठ का वाचन करते हुए यह बात सलाहकार दिनेष मुनि ने गुरुवार 12 नवम्बर 2015 को ‘गौतम प्रतिपदा व श्री महावीर निर्वाण संवत् 2542 के नूतन वर्ष’ के पावन अवसर पर जैन स्थानक षिर्डी में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने आगे कहा कि जैन-जैनेतर प्रायः सभी धर्मसंघों में मंगलपाठ-श्रवण करने की परम्परा है। जो व्यक्ति मंगलपाठ-श्रवण के रहस्य और प्रयोजन को भलीभाँति समझता है, उसे मंगलपाठ-श्रवण से न केवल कानों को आनन्द मिलता है, अपितु उसका तन-मन-हृदय पुलकित हो उठता है। वस्तुतः मंगलपाठ-श्रवण भी धर्मश्रवण की तरह अपूर्व फलदायक है। अरिहंत मंगल हैं, सिद्ध मंगल हैं साधु मंगल हैं और केवलज्ञानी (वीतरागसर्वज्ञ) द्वारा प्रज्ञप्त (आत्म) धर्म मंगल है। मंगलपाठ में उक्त मंगल-प्रबोध मंगलपाठ के श्रोता की आत्मा को विशुद्ध बनाकर स्वयं मंगलमय बनने के लिए है। विशुद्ध आत्मा ही स्वयं मंगल है, महामंगल है। धर्मरूप महामंगल को पाकर, अथवा धर्ममंगल को जीवन में रमाकर अरिहंतों और सिद्धों ने महामंगल की प्राप्ति की है। अतः महामंगल रूप इन चारों का स्वरूप समझकर मंगलपाठ श्रवण करके तथा मंगलपाठ में उक्त चारों महामंगलों का स्मरण करके-स्वरूप समझकर आत्मा को विशुद्ध तथा तदरूप मंगलमय बनाना है।

डॉ. द्वीपेन्द्र मुनि द्वारा ‘गौतम प्रतिपदा’ के महत्व को समझाया गया और विविध मंत्रोच्चार संपन्न करवाये गए। डॉ. पुष्पेन्द्र मुनि द्वारा भगवान महावीर की अन्तिम वाणी श्री उतराध्ययन सूत्र के अन्तिम 36 वें अध्ययन का वाचन किया। इससे पूर्व सामूहिक रुप से ‘जय महवीर प्रभु’ का आरती गान किया गया व चंचलबाई लोढा ने गौतमस्वामी का गीत प्रस्तुत किया। खीर प्रभावना वितरण लाभार्थी परिवार रतनबाई भीकचंद लोढा व कलम वितरण लाभार्थी परिवार डॉ. प्रकाष लोढा थे।

महावीर निर्वाण संवत् 2542 प्रारम्भ

जैनधर्म में भी भगवान् महावीर की निर्वाण तिथि के आधार पर वीर निर्वाण संवत् का प्रचलन है। यह हिजरी, विक्रम, ईसवी, शक आदि सभी संवतों से अधिक पुराना है एवं जैनधर्म की प्राचीनता व अपने मान्यता का उद्घोषक है । इस बात का प्रमाण आमेर म्यूजियम में रखे शिलालेख से मिलता है। इसके साथ ही भारतीय साहित्य के ग्रंथ भी इस तथ्य की पुष्टि करते हैं ।
महवीर निर्वाण संवत् भगवान् महावीर के निर्वाण होने से अगले दिन ही कार्तिक सुदी १ से प्रारम्भ हुआ और आज से संवत् 2542 प्रारम्भ हुआ है। इस नूतन वर्ष पर सलाहकार दिनेष मुनि ने श्रद्धालुजनों को पांच मंगलपाठ श्रवण करवाये और नववर्ष की बधाई व आर्षीवाद प्रदान किया।

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