मेरा जीवन सौभाग्यषाली कि मुझे संयम जीवन मिला

जैन स्थानक ‘षिर्डी’ में सलाहकार दिनेष मुनि ने कहा
समारोह में मनाया गया 43वां दीक्षा दिवस

Dinesh Muni (1)षिर्डी। आज का दिन मेरे लिये चिंतन का दिन है कि 42 वर्ष संयम के पूर्ण हुए हैं। 43वें वर्ष में प्रवेश हुआ है। संयम के लक्ष्य के प्रति मैं कितना आगे बढा!
श्रमण संघीय सलाहकार दिनेष मुनि का 43वां दीक्षा दिवस श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ ‘षिर्डी’ के जैन स्थानक में सोमवार को तप – जप व सामायिक दिवस के रुप में सोमवार 23 नवम्बर 2015 को मनाया गया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि कि मेरी माताजी के असामयिक स्वर्गवास के बाद मेरा मन इस असार संसार से उठ गया था। मन में अपना यह अनमोल जीवन सार्थक करने का तीव्र भाव उमडा। मैं उस समय बहुत छोटा था। बस मेरे मन में एक ही बात थी कि पिता ने कहा है कि दीक्षा लेनी है तो लेनी ही है।
मैं अपने आपको बहुत सौभाग्यशाली मानता हूँ कि मुझे ऐसे पिताश्री मिले। जिसने मुझे संसार में नहीं भेज कर संयम की महिमा सिखाई। मैं अपने आपको भाग्यशाली मानता हूँ कि मुझे चारित्र मिला… संयम मिला…। आज यह जो जाहोजलाली है… वंदनाऐं हैं, यह मेरी विद्वत्ता को नहीं है। विद्वत्ता तो और भी बहुत लोगों में होती है। ये वंदनाऐं चारित्र को है। मैं संयम की महिमा का चिंतन करता हूँ तो गुरु पुष्कर देवेन्द्र के प्रति अहोभाव से भर जाता हूँ।
पूज्य गुरुदेव उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि जी म. व आचार्य श्री देवेन्द्र मुनि जी म.सा. की कृपा का ही परिणाम है कि मैं शासन सेवा के योग्य हो सका। मुझे अपने जीवन में श्री संघ का बहुत अपनत्व मिला, उसी अपनत्व के सहारे मैं गतिमान् हो रहा हूँ।

डॉ. द्वीपेन्द्र मुनि ने कहा कि साधु वह है जो सहनशील, सरल, साधना के प्रति सजग और परिस्थितियों से निरपेक्ष हो। आगे कहा कि उनके उपदेश हर जाति, वर्ग, क्षेत्र और सम्प्रदाय की जनता आदर के साथ सुनती है. सलाहकार दिनेष मुनि 40000 किलोमीटर से ज्यादा पैदल चलने के बाद भी उत्साह के साथ मानवता का शंखनाद करते हुए गतिमान हैं। दिनेष मुनि जहां साहित्य के स्रष्टा हैं वहीं सामाजिक उत्थान के प्रेरक है। महान आध्यात्मिक व्यक्तित्व, विचारक और समाज सुधारक है। मुनिश्री अहिंसा, अनुकम्पा, शांति और नैतिकता की प्रतिष्ठापना के द्वारा सामाजिक स्वस्थता के लिए अविराम परिश्रम कर रहे है।
डॉ. पुष्पेन्द्र मुनि ने दीक्षा शब्द की व्याख्या करते हुए कहा कि दीक्षा एक अखण्ड ज्योतिर्मय अन्तर्यात्रा है, अन्तर्मुखी साधना है। दीक्षा में साधक असत्य से सत्य की ओर, नष्वरता से अमरत्व की ओर, अंधकार से प्रकाष की ओर तथा विषमता से समता की ओर अग्रसर होता है। तप-त्याग और धर्म-ध्यान के विष्वविद्यालय में प्रवेष का नाम दीक्षा है।

समारोह में षिर्डी श्रीसंघ मंत्री विजय लोढा ने कहा- पूज्यश्री यथानाम तथागुण हैं। उनका सांसारिक नाम चतुरलाल था। आपका प्रत्येक कार्य बहुत चतुराई से संपन्न होता है। इसी क्रम में प्रेरणा लोढा, कविता लोढा, वनिता ओस्तवाल ने ‘संगठन को नाज तुम्हारा’, मधु लोढा ने ‘गुरु बिन घोर अंधकार’, कल्पना ओस्तवाल ने ‘दीक्षा की राह दिखाई ऐसे गुरुवर को प्रणाम’ व चंचल बाई लोढा ने विचार व्यक्त करते हुए शुभकामनाऐं दी।

चातुर्मास समापन एंव मंगल भावना समारोह 25 नवम्बर को
मनाया जाएगा 30 वां जन्मदिवस

श्री वर्द्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ द्वारा आयोजित श्रमण संघीय सलाहकार दिनेष मुनि, डॉ. द्वीपेन्द्र मुनि, डॉ. पुष्पेन्द्र मुनि का चातुर्मास समापन एवं मंगल भावना समारोह 25 नवम्बर बुधवार को जैन स्थानक षिर्डीे में आयोजित किया जाएगा।
संघ के महामंत्री विजय लोढा ने बताया कि उक्त जानकारी देते हुए बताया कि इस अवसर पर वीर लोकाशाह की जन्म जयन्ती, आचार्य हरिभद्र सूरि, आचार्य हेमचन्द्राचार्य की जयन्ती जप,तप,सामयिक एवं गुणानुवाद सभा के रूप में मनाई जाएगी। साथ ही डॉ. द्वीपेन्द्र मुनि का 30 वां जन्म दिवस समारोह भी मनाया जाएगा।

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