बिना अनुमति के निर्मित नलकूपों पर होगी पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत कार्यवाही

phed-Rajasthanजयपुर, 22 फरवरी। प्रदेश भर में बिना सक्षम स्वीकृति के बनाए जा रहे नलकूप पूरी तरह अवैध माने जाएंगे और उन पर पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 में दिए गए प्रावधानों के अनुसार कार्यवाही की जा सकती है।
इन अवैध नलकूपों द्वारा भूजल का अन्धाधुंध दोहन किया जाकर व्यवसायिक उपयोग किया जा रहा है, जोकि सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय व केन्द्रीय भूमि जल अधिकरण और केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय द्वारा जारी आदेषों और दिषा-निर्दे़ष की अवहेलना भी है।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान राज्य भौगोलिक क्षेत्रफल की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा राज्य है। देश के कुल जल संसाधन का मात्र एक प्रतिशत ही राज्य के हिस्से में आता है। प्रदेश की सतही जल संसाधनांे की कमी के कारण 94 फीसदी पेयजल योजनाएं तथा 70 फीसदी सिंचाई की योजनाएं भू जल संसाधनांे पर आधारित है।
भू जल विभाग द्वारा वर्ष 2011 में किए गए भू जल संसाधन के आकलन के अनुसार राज्य की कुल 243 पंचायत समितियों में से 25 पंचायत समितियां सुरक्षित श्रेणी में है जबकि 196 पचंायत समितियां अतिदोहित श्रेणी ( डार्क जोन) के अन्तर्गत वर्गीकृत की गई है।
केन्द्रीय भूमि जल अधिकरण, जलसंसाधन मंत्रालय, भारत सरकार नई दिल्ली द्वारा राज्य की 35 पंचायत समितियां को नोटिफाइड घोषित किया गया है। उक्त पंचायत समितियों में पेयजल के लिए संबंधित जिला कलेक्टर की पूर्व अनुमति लेकर भूजल दोहन के लिए संरचना का निर्माण किया जा सकता है अन्य कृषि एवं उद्योग से संबंधित प्रकरणों में भूजल दोहन की अनुमति पर प्रतिबंध है।

error: Content is protected !!