धर्म आराधना के साथ होली चातुर्मास कार्यक्रम संपन्न

मानव असुरी शक्तियों का नाश कर, स्वयं में देवत्व लाएं
होली चातुर्मास के दौरान धर्मसभा में दिनेष मुनि ने कहा

P 1 (1)p 2 (1)p 2 (2)जलना: 23 मार्च 2016। श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ ‘गुरु गणेष धाम’ में श्रमण संघीय सलाहकार दिनेष मुनि, डॉ. द्वीपेन्द्र मुनि, डॉ. पुष्पेन्द्र मुनि का होली चातुर्मास मनाया गया। इस अवसर पर आयोजित धर्मसभा में सलाहकार दिनेष मुनि ने होली चातुर्मास का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि होलिका ने जिस प्रकार अपने कर्मों की होली जलाई थी। उसी प्रकार हमें भी त्याग, प्रत्याख्यान, दान शील, तप भावना से कर्मों को निर्जरित करना चाहिए। ज्ञान का रंग दया की पिचकारी से कर्मों की धूल उड़ाना ही होली का उद्देश्य है। समारोह को संबोधित करते हुए दिनेषमुनि ने आगे कहा कि साधु समाज से बहुत कुछ प्राप्त करता है और उसका कर्तव्य होता है कि वो इस ऋण से मुक्त होने के लिए समाज को नई दिशा व शंाति का संदेश प्रदान करें। होली पर्व हमें यही संदेश देता है कि हम असुरी शक्तियों का नाश करें, स्वयं में देवत्व लाएं और सम्पूर्ण मानवता के कल्याण के लिए अग्रसर हो।
सबसे बड़ा तप: इच्छाओं का त्याग – सलाहकार दिनेष मुनि ने कहा कि तपस्या का मतलब केवल उपवास या भोजन का त्याग नहीं है वरन् इच्छाओं का निरोध करना जीवन की सबसे बड़ी तपस्या है। तन तो तप गया, पर मन न तपा तो तपस्या का क्या मतलब? तन तो मन को साधने का साधन मात्र है। जैसे मक्खन तपाने के लिए बर्तन को तपाना जरूरी है ठीक वैसे ही मन को साधने के लिए तप को अपनाना जरूरी है। जैसे छोटे से अंकुश से हाथी वश में हो जाता है ठीक वैसे ही तपस्या के द्वारा तन और मन को वश में किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ईश्वर उनके साथ होते हैं जो तन, मन और चेतना को तपाते हैं। जो तपता है, जपता है, भजता है उसके सामने तो भगवान भी झुकता है।
डॉ. द्वीपेन्द्र मुनि ने दुनिया में जो आया है वह जाएगा ही इसलिए हंसते-हंसते मौत का वरण करना चाहिए। जीर्ण शीर्ण कपड़े की तरह ज्ञानी व्यक्ति इस शरीर को सहज में छोड़ देते हैं। जीने की कला के साथ-साथ जो मृत्यु की कला से परिचित हो जाते हैं, वह पतित से पावन, भक्त से भगवान बन जाते हैं। डॉ. पुष्पेन्द्र मुनि ने जिंदगी ऐसा सिक्का है, जिसके एक तरफ गम और दूसरी तरफ खुशी है। उन्होंने आशावादी बने रहने की प्रेरणा दी तथा सवाल किया कि हम क्यों नहीं जिंदगी को ऐसा सिक्का नहीं बना पाते, जिसमें दोनों तरफ खुशी ही खुशी हो।
साध्वी प्रमोदसुधा, साध्वी गुलाबकु्रंवर, साध्वी हर्षिताश्री, साध्वी विनयकुंवर व साध्वी चेतनाप्रज्ञा ने होली पर खेले जाने वाले रंगों को आध्यात्मिक रंग के साथ विश्लेषण किया। श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ के महामंत्री स्वरुपचंद हिराचंद ललवाणी ने आभार व्यक्त किया। समारोह में सुषीलाबाई सुराणा, संजय सिंगी, हैदाराबद संघ के महामंत्री किषोर मुथा, संघ प्रमुख हर्ष कुमार मुणोत सहित अनेक वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त कियें।
दिनेष मुनि का चातुर्मास हैदराबाद में
श्रमण संघ में हर्ष की लहर दौड़ी
विष्व संत उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि जी म. एवं जैन धर्म दिवाकर आचार्य सम्राट् श्री देवेन्द्र मुनि जी म. के सुषिष्य श्रमण संघीय सलाहकार श्री दिनेश मुनि जी म., डॉ. श्री द्वीपेन्द्र मुनि, डॉ. श्री पुष्पेन्द्र मुनि का वर्ष 2016 का चातुर्मास हैदराबाद शहर के रामकोट क्षेत्र के श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रमणोपासक संघ, गुरु गणेष भवन में होगा। मुनित्रय के वर्षवास की स्वीकृति पर हैदराबादवासी प्रसन्न हैं। श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रमणोपासक संघ के अध्यक्ष बाबूलाल कांकरिया व प्रमुख हर्षकुमार मुणोत व महामंत्री किषोर मुथा के नेतृत्व में में 70 श्रावक – श्राविकाओं का एक दल जालना में होली चातुर्मास कर रहे दिनेष मुनि से हैदाराबाद में चातुर्मास करने की विनती की। श्री संघ का अत्यधिक पुरजोर देखते हुए आखिरकार हैदाराबाद श्रावक संघ की विनती को मुनित्रय ने स्वीकार करते हुए हैदराबाद में चातुर्मास करने की घोषणा की। चातुर्मास की घोषणा होते ही श्रमण संघ में हर्ष की लहर दौड़ गयी। उल्लेखनीय है कि सलाहकार श्री दिनेश मुनि अपने सहवर्ती मुनिमंडल के साथ 6 जुलाई 2016 को चातुर्मास हेतु रामकोट गुरु गणेष भवन में प्रवेष करेंगें।
अब चातुर्मास में नहीं होगे स्वागत
श्रमण संघीय सलाहकार दिनेष मुनि ने इस अवसर पर महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए कहा कि वे अपने चातुर्मास के दौरान किसी भी अतिथि या महानुभाव का हार – शाल प्रतीक चिन्ह देकर स्वागत नहीं करवाएगें। एवं चातुर्मास प्रवेष की रंगीन पत्रिका का प्रकाषन भी नहीं करेगे अपितु भक्तों को सूचनार्थ सिर्फ अंतर्देषीय पत्र का प्रकाषन करेंगें।

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