न्यायालय ने नहीं दिया बेदखली का आदेश-ट्रस्ट अधिवक्ता

baran samacharफ़िरोज़ खान बारां , ( राजस्थान ) ।
29 मई। राजकीय चिकित्सालय बारां में श्री पार्श्वनाथ मानव सेवा चेरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से संचालित रोगी सेवा केन्द्र को गैर कानूनी तरीके से खाली करवाने को लेकर न्यायालय, बारां द्वारा किसी प्रकार का बेदखली का कोई आदेश नही दिया गया है। श्री पार्श्वनाथ मानव सेवा चेरिटेबल ट्रस्ट के एडवोकेटस महेश गौत्तम, महावीर जैन तथा भारत भूषण सक्सेना ने बताया कि अगर न्यायालय द्वारा रोगी सेवा केंद्र, बारां को खाली करवाने के किसी आदेश की प्रति भाजपाईयों के पास उपलब्ध है तो उसे मीडिया के माध्यम से जनता में सार्वजनिक करें। ट्रस्ट के एडवोकेटस ने बताया कि भाजपा नेताओं द्वारा प्रेस के माध्यम से जारी वक्तव्य में रोगी सेवा केन्द्र, बारां की बेदखली न्यायालय के आदेशों के तहत हुई है। ट्रस्ट के अधिवक्ताओं के अनुसार यह कथन बिल्कुल मिथ्या एवं जनता को गुमराह करने वाला है। श्री पार्श्वनाथ मानव सेवा चेरिटेबल ट्रस्ट बारां विधिसम्मत ट्रस्ट एक्ट में रजिस्टर्ड है। न्यायालय सिविल न्यायाधीश, बारां द्वारा इस प्रकरण में 28 अक्टूबर 2015 को स्थगन आदेश जारी किया था, जिसकी अपील प्रकरण संख्या 09/16 जिला एवं सेशन न्यायाधीश बारां द्वारा 25 मई 2016 को अपने आदेश दिनांक 28 अक्टूबर 2015 को अपास्त कर प्रकरण सिविल न्यायाधीश को प्रतिप्रेषित कर पुनः समुचित आदेश पारित करने का निर्णय दिया था। उक्त निर्णय की प्रतिलिपि ट्रस्ट को मिलने से पूर्व उक्त प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन होते हुए जिला प्रशासन ने राजनैतिक दबाव में आकर जबरन नया आदेश 25 मई 2016 को स्थानीय प्रमुख चिकित्साधिकारी बारां से जारी करवाया गया। आदेश 25 मई 2016 की सूचना ट्रस्ट को नहीं दी गई एवं 26 मई 2016 को दोपहर 3 बजे बाद भारी पुलिस बल की मौजूदगी में नोटिस चस्पा कर अवैधानिक तरीके से ट्रस्ट के करीब 20 लाख के सामान को ट्रक व ट्रेक्टर ट्रोलियों में भरकर ले गए, जिसको आम जनता ने आश्चर्यचकित होकर स्वंय अपनी आंखों से देखा। ट्रस्ट के एडवोकेटस ने बताया कि श्री पार्श्वनाथ मानव सेवा चेरिटेबल ट्रस्ट को विधिसम्मत रोगी सेवा केंद्र संचालन हेतु स्थान आवंटन किया गया था, किन्तु राजनैतिक दुर्भावना से ग्रसित होकर ट्रस्ट के खिलाफ अनुचित कार्यवाही की गई है। एडवोकेटस ने बताया कि दीवानी व फौजदारी कानून तथा न्याय के प्राकृतिक सिद्वान्तों में भी बेदखली से पूर्व समुचित अवसर दिये जाने का प्रावधान है, जिसकी पूरी तरह से अवहेलना की गई है। एडवोकेट ने बताया कि हम न्यायपालिका पर पूर्ण विश्वास करते है तथा इस प्रकार की गई अनुचित बेदखली की कार्यवाही को लेकर हम न्यायालय में अपना पक्ष रखेंगे।

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