मुख्यमंत्री व संसदीय सचिव के खिलाफ पीआईएल दायर

राजस्थान की राजनीति में तूफान मचाने वाले गोपालगढ़ में पोखर की जमीन को कब्रिस्तान के लिए देने को चुनौती देने के मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, संसदीय सचिव जाहिदा खान, मुख्य सचिव और राजस्व सचिव सहित सात जनों के खिलाफ हाईकोर्ट में पीआईएल दायर हुई। गोपालगढ़ निवासी बृजेश कुमार की ओर से दायर पीआईएल में कहा गया कि वहां पर 1.11 हैक्टेयर में पोखर है। लेकिन समुदाय विशेष के पटवारी ने पोखर की जमीन को कब्रिस्तान के नाम अंकित कर दिया। यह मामला एसडीओ पहाड़ी के यहां पर लंबित है। इस मामले में राजनीतिक दबाव बनाकर निर्णय के प्रभावित होने की संभावना है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने जगपाल और हाईकोर्ट ने अब्दुल रहमान के मामले में कहा कि जलस्रोतों और कैचमेंट एरिया की जमीन को नहीं बदला जाए और यदि बदल भी दिया है तो उसे वापस पुरानी स्थिति में बहाल किया जाए। लेकिन पोखर की जमीन के कब्रिस्तान के नाम अंकित करने की कार्रवाई गलत है। इधर गोपालगढ़ कस्बे में आज पूरी तरह से शांति रही। किसी तरह की गड़बड़ी की आशंका को देखते हुए चार तहसीलों के नौ थाना क्षेत्रों में सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए गए थे।

पहाड़ी के 8, कामां के 5, डीग के 3 और नगर के एक स्कूल को दो दिन के लिए बंद किया गया,जिले के अधिकांश वरिष्ठ अधिकारी गोपालगढ़ में डेरा डाले रहे,फ्लैग मार्च और सीमाओं पर तलाशी का दौर बना रहा। हर तरफ पुलिस के वाहनों के सायरन की गूंज के बीच बाजारों में सन्नाटा देखा गया। इससे क‌र्फ्यू जैसे हालात रहे। हरियाणा एवं उत्तरप्रदेश से जुड़ी भरतपुर की सीमा आज पूरी तरह से सील रही। गौरतलब है कि आज गोपालगढ़ फायरिंग प्रकरण को एक साल पूरा हुआ है। आज के ही दिन पोखर विवाद को लेकर मेव एवं गुर्जरों के बीच हुई हिंसा और फिर पुलिस फायरिंग में 14 लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले को लेकर राजनीति भी काफी हुई और कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने क्षेत्र का दौरा किया था। इधर गोपालगढ़ प्रकरण में अब तक की कार्रवाई से असंतुष्ट मुस्लिम संगठन इस मामले को लेकर एक बार फिर कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी से मिल सकते हैं। जमात-ए-इस्लामी हिन्दू के पदाधिकारियों ने एक बैठक में सरकार पर दोषियों के प्रति नरम रुख अपनाने का आरोप लगाया। प्रदेशाध्यक्ष इंजीनियर खुर्शीद हुसैन ने कहा कि प्रशासन राजनीतिक दबाव में है। सीबीआई ने अब तक दोषी अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट पेश नहीं की है। पदाधिकारियों ने बताया कि इसकी शिकायत राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को भी भेजी जा रही है।

error: Content is protected !!