अमृता देवी पर्यावरण नागरिक संस्थान की बैठक संपन्न

IMG-20160708-WA0036गोपालसिंह रावतपुरा
फलसूंड- राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय फलसूंड में अमृता देवी पर्यावरण नागरिक संस्थान के तत्वावधान में राजस्थान मे चल रहे वृक्षारोपण महाअभियान की कार्ययोजना बैठक रखी गई ।अपना संस्थान भणियाणा तहसील संयोजक पेहपसिह कानासरिया ने बताया कि जिला प्रचारक इन्द्रसिहं,अपना संस्थान जिला संयोजक सवाईदान सिरूआ,खण्ड कार्यवाह भंवरलाल के सानिध्य में सम्पन्न हुई ।इस बैठक में फलसूंड केन्द्र पर पूरे भणियाणा तहसील क्षेत्र के पर्यावरण प्रेमियों ने भाग लिया।जिला संयोजक ने संबोधित करते हुए कहा कि पर्यावरण को सुरक्षित व शुद्ध बनाए रखने के लिए वृक्ष लगाना व उनकी परवरिश कर उनको पनपाना ही एक मात्र उपाय है,अतः इस प्रकृति उपयोगी भागीरथ कार्य को सफल बनाने के लिए तहसील क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों , युवाओं धर्मप्रेमीयों व भामाशाहों के सहयोग से अधिकाधिक वृक्षारोपण कर धरती माता का कर्ज उतारें। सनातन धर्म आदिकाल से प्रकृति व जीव जन्तुओं को बचाने का संदेश देता हैं।हमारे शास्त्रों मे पेड़ो को देवता मानकर पूजा करने को कहा गया ।वेज्ञानिक आज खोज कर रह हैं कि पीपल का पेड़ सबसे अधिक आक्सिजन देता और हमारे वेदों मे पीपल को धार्मिक मान्यता से जोड़कर उनकी पानी देना व पूजा का विधान हैँ।जिला प्रचारक जी ने बताया कि यूं तो सरकारी स्तर पर हर वर्ष वृक्षारोपण होता हैं लेकिन समयबाद उनका जिवित प्रतिशत बहुत ही न्यूनतम होता हैं।परन्तु अमृता देवी पर्यावरण नागरिक संस्थान द्वारा समस्त राजस्थान में शुरू किए इस महाअभियान में लक्ष्य निर्धारण के समय पौधों की सुरक्षा, पानी की उपलब्धता, व उनकी परवरिश को ध्यान मे रखना हैं।उन्होंने बताया कि हमको सिर्फ़ सरकारी कार्यक्रमों की तरह पौधारोपण कर आंकड़े नहीं बताने हैं, जितने पौधे लगायेगे जब तक वह पेड़ नहीं बन जाये तब तक उनकी स्वयंसेवकों द्वारा मोनिटरिंग कर 100% पौधों को वृक्ष बनाना है।बैठक मे तहसील क्षेत्र मे सार्वजनिक स्थानों ,मंदिरों, मे लगने वाले 1000 पौधों के लिए स्वयंसेवकों को एक एक स्थान की जिम्मेदारी दी गई जो स्वयंसेवक उस स्थान पर लगने वाले पौधों की सुरक्षा व परवरिश करेगा व हर माह पौधों की स्थिति की जानकारी मंडल स्तर पर होने वाले रजिस्टर संधारण को देगा।क्षेत्र मे घरों मे लगने वाले पौधों की भी इसी प्रकार मोनिटरिंग कर जीरो टोरलेन्स का लक्ष्य लेकर अगर कोई पौधा किसी कारणवश नष्ट हो गया तो उस जगह पुनः उसी प्रजाति का पौधा लगाया जायेगा।बैठक में पारस कुमावत, मांगीलाल सुथार,नरेश आचार्य ,शम्भूदान,दुर्गाराम चौधरी, पूनम राजपुरोहित,नेमीचन्द गौड़, खेतसिहं साकड़िया,पृथ्वीसिहं,नारायणसिहं झाबरा,अमरसिहं भणियाणा,अचलाराम भणियाणा,कैलाश जी माड़वा,दानसिह जोधा,गोपाल सिह रावतपुरा,मोहन मेघवाल,महावीर सिह,हरूपुरी,पेपसिह पोकरणा,सुमेरसिह भुर्जगढ,सहित सैंकड़ों पर्यावरण प्रेमियों ने भाग लिया।

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