प्रदेश की जनता को बिजली का जोरदार करण्ट लगाया

प्रमोद भाया
प्रमोद भाया
बारां 25 अक्टूबर। पूर्व मंत्री प्रमोद भाया ने कहा कि महंगाई को मुद्दा बनाकर सत्ता में आई भाजपा सरकार ने तीन साल में दूसरी बार प्रदेश की जनता को बिजली का जोरदार करण्ट लगाया है। पिछली बार भाजपा की सरकार ने 01 फरवरी 2015 से बिजली के दाम बढाए थे। अब सितम्बर 2016 से दूसरी बार दाम बढा दिए हैं।

उन्होनें कहा कि राजस्थान की भाजपा सरकार ने इससे पहले बिजली पर सरचार्ज लगाकर आमजन पर महंगाई का बोझ लाद चुकी है। अब हालात यह है कि आस-पास के राज्यों से राजस्थान में बिजली की दरें डेढ गुना अधिक है फिर भी भाजपा सरकार लगातार बिजली के दाम बढाए जा रही है।

पूर्व मंत्री भाया ने कहा कि बिजली की दरों में दूसरी बार की गई भारी भरकम बढोतरी से आमजन पर महंगाई की मार पडी है। कांग्रेस की पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार ने कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी की मौजूदगी में आयोजित विशाल धन्यवाद सभा में यह ऐलान किया था कि वे पांच साल तक खेती की बिजली की दरों में कोई बढोतरी नही करेंगे। पूर्व कांग्रेस के मुख्यमंत्री अपने वादे पर कायम रहें। उन्होनें पांच साल तक खेती के बिजली के दामों में कोई बढोतरी नही की।

पूर्व मंत्री भाया ने बताया कि भाजपा की सरकार ने बिजली के बिलोें में सिवर सेस, स्वच्छता से आदि भी जोड़ दिए है एवं दूसरी बार बिजली की दरें 95 पैसे प्रति यूनिट तक बढ़ा दी है। यह वृद्वि घरेलू, व्यवसायिक, कृषि सहित सभी श्रेणियों के उपभोक्ताओं के लिए की गई है। सरकार ने सभी श्रेणी में स्थायी शुल्क में भी 30 से लेकर 80 रूपए तक प्रति महीने की बढोतरी की है। पिछली बार भाजपा की सरकार ने एक फरवरी 2015 को बिजली की दरों में 17 से 24 प्रतिशत तक बढोतरी की थी।

उन्होनें कहा कि हैरानी इस बात की है कि राजस्थान में विद्युत वितरण कंपनियों की ओर से बिजली खरीदने की रेट पिछले तीन साल में केवल 3.21 प्रतिशत ही बढी है, इसके बावजूद भाजपा सरकार द्वारा आम उपभोक्ताओं पर बिजली की दरों में लगभग 25 प्रतिशत तक बढोतरी कर दी है। वर्तमान भाजपा सरकार के समय नए कृषि एवं घरेलू बिजली कनेक्शनों की फीस में बढोतरी कर दी गई है जो जनता के साथ न्यायोचित नही है। उन्होनें कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है एवं कमर तोड महंगाई के दौर में भाजपा शासन के बदइंतजामी के कारण आम उपभोक्ताओं पर अनावश्यक भार डालकर जन विरोधी कार्य किया है जिसे भाजपा सरकार से जनहित में वापस लेने की मांग की गई।

फ़िरोज़ खान
बारां(राजस्थान)

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