एमजीएसयू में राष्ट्रीय संगोष्ठी 21-22 मार्च को

bikaner samacharबीकानेर। इतिहास विभाग, महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय एवं राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर के संयुक्त तत्त्वावधान में 21-22 मार्च 2017 को ‘‘माईग्रेशन, सेटलमेंट, स्टेट फोर्मेशन एण्ड लिटरेचर–ठौड़ बदलाव, बसाव, राज्य रौ गठन अर साहित‘‘ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जाएगा। इस संगोष्ठी के मुख्य संचालक एवं विभागाध्यक्ष इतिहास, डॉ. नारायण सिंह राव ने बताया कि इतिहासकारों व साहित्यकारों के इस समागम में राजस्थान के अलावा भारत के अन्य राज्यों से इतिहासकार एवं साहित्यकार भाग लेंगे। उद्घाटन सत्र अकादमिक भवन द्वितीय के सभागार में प्रातः 10.15 बजे शुरू होगा। जिसमें बीज भाषण वक्ता प्रो. घनश्यामलाल देवड़ा, पूर्व कुलपति, वर्द्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय, कोटा, विशिष्ट अतिथि भवानी शंकर व्यास विनोद होंगे। इसके अतिरिक्त प्रो. एस.पी. व्यास, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर; प्रो. बी.एल भादाणी, पूर्व विभागाध्यक्ष एवं प्रोफेसर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़, प्रो. एस. के. भनौत, पूर्व प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर; डॉ. सुधीर, मणिपुर केन्द्रीय विश्वविद्यालय, इम्फाल (मणिपुर); डॉ. दलजीत सिंह, पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला; डॉ. विक्रमसिंह अमरावत, गुजरात विद्यापीठ, अहमदाबाद; डॉ. देव कोठारी एवं डॉ. श्रीकृष्ण जुगनू, उदयपुर; डॉ. पुरुषोत्तम आसोपा, जोधपुर; डॉ. लक्ष्मीकांत व्यास, अजमेर; डॉ. मीता शर्मा, कोटा; प्रो. रवीन्द्र कुमार, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र; डॉ. सोनू सैनी, रसियन स्टडीज़, दिल्ली; डॉ. अनिल पुरोहित, महिला पी जी महाविद्यालय, जोधपुर एवं देश की जानी-मानी शैक्षिक संस्थानों के शिक्षक, शोधार्थी एवं छात्र-छात्राएँ भाग ले रहे हैं। संगोष्ठी में लगभग 50 शोध-पत्र पढ़े जाएंगे। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. भागीरथसिंह तथा वेद प्रकाश, अकादमी अध्यक्ष एवं जिला कलेक्टर, बीकानेर उपस्थित रहेंगे। कार्यक्रम के सफलतापूर्वक आयोजन के लिए डॉ. अम्बिका ढाका, डॉ. मेघना शर्मा एवं राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर के सचिव नितिन गोयल को कार्यक्रम प्रभारी की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस अवसर पर ‘राजस्थान में जल प्रबंधन‘ तथा ‘शेखावटी चित्रकला‘ पर दो प्रदर्शनियाँ लगाई जाएगी।
– मोहन थानवी

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