दूसरों का हित सोचने वाला ही मानव : भाटी

Untitledबीकानेर। कुछ नया करें, दैनिक कार्यों से हटकर करें। अपने आर्थिक सरोकारों को पूरा करें साथ-साथ सृजन अवश्य करें। यह बात पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी ने गुरुवार की शाम को जिला उद्योग संघ में डॉ. मनमोहनसिंह यादव की दो कृतियों के लोकार्पण अवसर पर कही। पूर्व मंत्री भाटी ने कहा कि अपने लिए तो पशु भी जीता है, मानवता तो तब है जब दूसरों के लिए कुछ करें। आज मनुष्य स्वयं तक ही सीमित रह गया है। दूसरों से उसे कोई सरोकार नहीं। पूर्व मंत्री भाटी ने डॉ. यादव के राजस्थानी उपन्यास ‘कुदरत सूं कुचमादÓ का उल्लेख करते हुए कहा कि हमें परम्पराओं व संस्कृति को जीवित रखना होगा। पाश्चात्य सभ्यता ने देश का नाश कर दिया है। भाटी ने कहा कि अंग्रेजों ने इस देश को ही गुलाम नहीं बनाया बल्कि अपनी पाश्चात्य सभ्यता को भी भारत में मिला गए।
आयोजन से जुड़े कुलदीप यादव ने बताया कि डॉ. मनमोहन सिंह यादव की दो पुस्तकों कविता संग्रह ‘भीड़ से अति दूरÓ तथा राजस्थानी उपन्यास ‘कुदरत सूं कुचमादÓ का लोकार्पण किया गया। यादव ने बताया कि राजस्थानी में गिरधरदान रतनूं व उर्दू में सीमा भाटी ने पाठकीय टिप्पणी प्रस्तुत की। कार्यक्रम में पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी तथा डॉ. मनमोहन सिंह यादव का सम्मान भी किया गया। यादव ने बताया कि नगर विकास न्यास अध्यक्ष महावीर रांका, भाजपा नेता विजयमोहन जोशी, स्काउट-गाइड उपाध्यक्ष प्रो. विमला मेघवाल, बीकानेर पंचायत समिति प्रधान राधादेवी सियाग तथा डॉ. मनमोहन सिंह यादव मंचासीन रहे। कार्यक्रम का संचालन कवियत्री मोनिका गौड़ तथा उद्घोषक ज्योति रंगा ने किया।
डॉ. मनमोहन सिंह यादव ने अपने उद्बोधन में कहा कि लेखन कोई साधरण कार्य नहीं होता है, बहुत ही शिद्दत व ईमानदारी से ही लेखन किया जाता है। आठ पहर में कब कौनसी बात लेखक के दिमाग में घर कर जाती है और वह उस बात को लिपिबद्ध कर ले यह उस लेखक की मानसिकता पर ही निर्भर करता है। यथार्थ में रहने की बात करते हुए डॉ. यादव ने कहा कि लेखन हित से जुड़ा होना चाहिए। हम मंगल पर चले गए, चांद पर भी पहुंच बना ली लेकिन जमीन पर रहना नहीं सीखा। प्राथमिकता तो यही होनी चाहिए कि प्रकृति के साथ रहें उसके विरुद्ध न रहें।
भारतीय स्काउट-गाइड की उपाध्यक्ष प्रो. विमला मेघवाल ने पुस्तक का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रकृति से छेड़छाड़ करेंगे तो हमें दिवस मनाने पड़ जाएंगे। ‘माना कि अंधेरा घना है, पर दीया जलाना कहां मना हैÓ पंक्ति के साथ प्रो. मेघवाल ने कहा कि संस्कृति को बचाने के लिए हमें श्रेष्ठ प्रयास करने होंगे।
नगर विकास न्यास अध्यक्ष महावीर रांका ने कहा कि डॉ. यादव के लेखन में प्रकृति के प्रति संदेश है। मायड़ भाषा में किए गए लेखन में संस्कृति व परम्पराओं की बानगी नजर आती है। न्यास अध्यक्ष रांका ने कहा कि साहित्यकारों की अहम् भूमिका होती है देश की सुदृढ़ता में। भीड़ से अति दूर कविता संग्रह में ओजस्वी व प्रेरक कविताएं युवाओं को नया मार्ग दर्शाती है।
भाजपा नेता विजयमोहन जोशी ने लोकार्पण समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि काव्य संग्रह की रचना विजय पताका को सुनाते हुए कहा कि डॉ. यादव की कविताएं प्रेरणा से परिपूरित है। राजस्थानी संस्कृति को पाठकों से मुखातिब करवा कर नई ऊर्जा का संचारण किया है।
इन्होंने किया स्वागत- जेठानन्द व्यास, विकास पारीक, हरखचन्द मेघवाल, प्रेम भाटिया, रमेश सिंह यादव, सुरेश भंडारी, विक्रम सिंह पटवारी, बृजलाल शर्मा, घनश्याम शर्मा, उदयरामसर सरपंच रामेश्वरलाल मेघवाल, उपसरपंच उदयरामसर रायसिंह यादव, गोपाल छींपा, राजेन्द्र सिंह राजपूत, सतीश यादव, भैरू शर्मा, ओम सिंह खीची, नारायण सिंह यादव, राधेश्याम नाई, ओमप्रकाश यादव, बनवारीलाल शर्मा, पवन महनोत, रमेश भाटी, प्रणव भोजक, मघाराम सियाग, नन्दू गहलोत, मदनलाल सियाग, सहीराम कस्वा, हरिराम सियाग, रामचन्द्र कुम्हार, देवनारायण शर्मा, अर्जुनराम भादू, ईश्वरराम सोलंकी, रामचंद सियाग, शकुन्तला बेनीवाल, प्रियंका यादव, रवीना यादव, रौनक यादव, कृतिका श्रीमाली, नैन्सी यादव, गोपाल राजपुरोहित मुरलीसिंह खीची, हनुमान यादव सहित अनेक गणमान्यजनों ने अतिथियों का माला पहना कर स्वागत किया।
संस्कृति के संवाहक हैं डॉ. यादव- मनोनीत पार्षद रमेश भाटी ने लेखक डॉ. मनमोहन सिंह यादव के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि पतन की घोषणा, मदिरालय, कीड़ीनगरो, यायावर, महारंज, नेपथ्य का सच, प्रेम बाड़ी उपजै, पूजा के प्रसून, प्लेटोनिक लव, शिखर की ओर तथा हाल ही में भीड़ से अति दूर व कुदरत सूं कुचमाद पुस्तकों का लेखन किया है। डॉ. यादव ने दर्शन शास्त्र में स्वर्ण पदक विजेता रह चुके हैं। नगर विकास न्यास, बीकानेर द्वारा मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार राव बीकाजी संस्थान द्वारा सम्मानित भी हो चुके हैं। भाटी ने बताया कि उदयरामसर निवासी डॉ. यादव ने प्रेरणाभरे उपन्यासों का लेखन किया साथ ही संस्कृति व परम्पराओं के निवर्हन का भी संदेश दिया है।

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