उत्पादन बढ़ाए जमीन उगलने लगी गुणवत्ता वाली फसलें

bhilwara-newsभीलवाड़ा, 27 नवम्बर/राजस्थान सरकार की खेती-बाड़ी विकास योजनाओं ने प्रदेश के आम किसानों को जहाँ खुशहाली पाने के सहज-सुलभ अवसर प्रदान किए हैं वहीं कृषि और इससे संबंधित क्षेत्रों में आमूलचूल सकारात्मक और समृद्धिकारी बदलाव आने लगा है।
खासकर सॉयल हेल्थ कार्ड योजना की बदौलत किसानों को अपने खेत की सार-संभाल और मिट्टी के स्वास्थ्य के संरक्षण व संवर्धन की दिशा में बेहतर मार्गदर्शन का सुखद परिणाम प्राप्त हो रहा है।
किसान बाँचने लगे हैं खेत की कुण्डली
अब किसानों को यह अच्छी तरह पता चलने लगा है कि उनके खेत को किन पोषक और सूक्ष्म पोषक तत्वों की आवश्यकता है और कौनसी फसल पाना लाभकारी होगा। खेत की कुण्डली बाँचकर कम जमीन मेंं अधिक से अधिक उत्पादन पाने के सारे गुर किसान सीख गए हैं।
सॉयल हेल्थ कार्ड ने किसानों को वह सब कुछ बता दिया है जो उनकी खेती-बाड़ी के लिए जरूरी है। इन कार्ड्स का उपयोग कर किसान अब अपनी खेती को और अधिक लाभकारी बनाकर समृद्धि की डगर पर तेजी से बढ़ने लगे हैं।
उत्पादन बढ़ा, गुणवत्ता भी
प्रदेश के भीलवाड़ा जिले में सॉयल हेल्थ कार्ड योजना ने किसानों को नई दिशा-दृष्टि का बोध कराया है। किसानों का अनुभव है कि सॉयल हेल्थ कार्ड बन जाने के बाद उनके खेत अधिक उपज के साथ गुणवत्तायुक्त फसल उगलने लगे हैं और इससे किसानों को पहले की अपेक्षा कई गुना लाभ मिलने लगा है।
राजी हैं अन्नदाता
इसके लिए वे सरकार का आभार जताते हुए कहते हैं कि किसानों के कल्याण के लिए इतना सब कुछ हो रहा है, वह वही सरकार कर सकती है जिसके मन में अन्नदाता के प्रति सम्मान और उत्थान की दिली भावनाओं का भरपूर समावेश हो। सब कुछ बिना मांगे मिलने लगा है। सॉयल हेल्थ कार्ड के बारे में कभी सोचा भी नहीं था कि खेत की कुण्डली अब किसान के हाथ में होगी।
भीलवाड़ा जिले की सहाड़ा पंचायत समिति अन्तर्गत लाखोला गांव के सीमान्त किसान श्री संतोषलाल का भी यही कहना है। उनके खेत का सॉयल हेल्थ कार्ड उनके पिता श्री गोवर्धनलाल के नाम से बना हुआ है।
काश्तकार श्री संतोषलाल के अनुसार पहले भूमि संबंधी समस्या के साथ ही ऊर्वरकता की समस्या सामने थी, डीपीए और यूरिया खाद के असन्तुलित प्रयोग से कई सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था।
कार्ड ने दूर की सारी समस्याएं
सॉयल हेल्थ कार्ड ने उसके खेत की सारी समस्याओं को दूर कर दिया। कार्ड से अब उसे अच्छी तरह पता चल चुका है कि जमीन में किस फसल के लिए कितना खाद डालना है, जो जमीन ऊसर है, उसका सुधार कैसे किया जाता है।
इस तकनीकि और वैज्ञानिक ज्ञान को पाने के बाद उसके खेत के लिए रसायनिक ऊर्वरक की फिजूलखर्ची बची है और खेत से अच्छी फसलों का उत्पादन होने लगा है।
किसान श्री संतोषलाल कहते हैं कि सॉयल हेल्थ कार्ड उसके खेत की वो कुण्डली है जिससे वह अपनी जमीन के भूत, भविष्य और वर्तमान की थाह पाकर उसके अनुरूप खेती कर लाभ पाने में समर्थ है।

– डॉ. दीपक आचार्य
सहायक निदेशक (सूचना एवं जनसम्पर्क)
भीलवाड़ा

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