सनातन धर्म को दुष्टो एवं नास्तिकों से बचाने का आह्वान

श्रीमद् भागवत कथा एवं गौरक्षा सम्मेलन – 2017
अन्तिम दिन धर्मप्रेमियों का आंकड़ा 80 हजार पार
मैं ‘मित्र भाव’ में कथा कहता हूॅ: गुरूजी
– सनातन धर्म को नास्तिकों एवं दुष्टों से बचाने का आहवान
– श्री कृष्ण प्रेमलीला के आचार्य थे, उसका दुष्प्रचार मत करो
– कथामृतपान करने सांसद श्री दुष्यंत सिंह जी भी पुहंचे

unnamedबारां, 10 दिसम्बर। श्री बड़ां बालाजी धाम पर आयोजित श्रीमद् भागवत कथा एवं गौरक्षा सम्मेलन में रविवार को कथामृतपान के लिए धर्मप्रेमियों का आंकड़ा 80 हजार से पार चला गया। श्री महावीर गौशाला कल्याण संस्थान के तत्वावधान में हुए इस ऐतिहासिक ज्ञान यज्ञ महोत्सव की ऐतिहासिक सफलता एवं विराट स्वरूप पर सरस्वती पुत्र गौसेवक संत श्री कमलकिशोर जी नागर प्रसन्नचित तथा भाव-विभोर नजर आये।
संतश्री ने मुख्य यजमान प्रमोद-उर्मिला-यश भाया परिवार को शुभाशिष प्रदान कर कहा कि मैंने संस्थान के आग्रह पर यह कथा गुरूभाव में नहीं कही, बल्कि मित्र भाव में कही है। चूंकि भाया जनता के प्रतिनिधि है। इसलिए उन पर नैतिक दायित्व बनता है, कि इस प्रकार के धार्मिक आयोजन बारम्बार करवाये जाते रहंे। हमने भाया को एक मौका और देने का निर्णय किया है, या तो हम कथा करने के लिए बारां में एक बार पुनः आयेंगे या फिर भाया परिवार के सौजन्य से क्षेत्र के जन-जन को दीपावली पश्चात आश्रम पर प्रस्तावित कथा में पहुंचने का सौभाग्य प्राप्त होगा, जिसमें सभी को ‘वृति’ प्रसंग पर कही जाने वाली कथा श्रवण का लाभ मिलेगा।
अन्तिम दिवस पर कथामृतपान करने के लिए माननीय सांसद श्री दुष्यंत सिंह जी भी पहुंचे और उन्होंने गुरूवर से आर्शीवाद प्राप्त किया। तत्पश्चात श्री महावीर गौशाला कल्याण संस्थान की ओर से अध्यक्ष गौतम कुमार जैन तथा कोषाध्यक्ष राजेन्द्र कुमार जैन ने माननीय सांसद महोदय का स्वागत-अभिनंदन किया। मुख्य यजमान प्रमोद भाया की ओर से माननीय सांसद महोदय को शाॅल भेंट कर अगुवानी की गई। माननीय सांसद महोदय ने स्वागत-सत्कार के पश्चात ‘डी’ में मुख्य यजमान भाया परिवार के साथ बैठकर कथा श्रवण का लाभ लिया। विधायक ललित मीणा, जिला प्रमुख नंदलाल सुमन, भाजपा जिलाध्यक्ष राजेन्द्र नागर आदि भी उनके साथ रहे।
सप्ताहंत पर गुरूदेव ने कथा प्रसंग को प्रेमलीला के आचार्य श्री कृष्ण से जोड़ा। उन्होंने कहा कि आज के वातावरण में श्री कृष्ण के जीवन चरित्र को कथिपय नास्तिक एवं दुष्ट वृति के व्यक्ति कलंकित रहे है, जो कि हम सब को सनातन धर्म से विमुख बनाने की साजिश का हिस्सा है। हमें किसी के भटकाव तथा बहकाव में नहीं आना चाहिये। श्री कृष्ण इस धरा के प्राण है और हमारी आत्मा को प्राणों से अलग नहीं किया जा सकता। श्री कृष्ण को समझने के लिए श्रीमद् भागवत कथा का ज्ञान अर्जित करना होगा। इसके लिए कथा में मन लगाओ। सत्य को साध लेना सीखो। सत्य को पहचानो। सत्य पर दृढ रहो तथा सत्य को जानो। कथा को कभी भ्रम में मत लेना। हमने ऐसे-ऐसे ज्ञानियांे, बुद्धिजीवियों एवं साधुओं को देखा है, जिनकी लम्बी उम्र ज्ञानार्जन में कट गयी, लेकिन उनके ज्ञान का सार किसी के उपयोग में नहीं आ सका। ऐसे ज्ञान से किसका भला हो सकता है। हमें वास्तविक ज्ञान की प्राप्ति के लिए सत्य को सीख लेना होगा। हमने सत्य को साध लेना सीख लिया तो काम-क्रोध-मोह-माया पर काबू पाना सहज बन जायेगा।
गुरूवर ने कहा कि भारत विविधताओ से भरा देश है, लेकिन इसमें अच्छे एवं गुणवान का चुनाव करना, उतना ही मुश्किल भरा कार्य है। सत्य की आंखों से हम गुणशील वस्तु एवं व्यक्ति का चयन आसानी से कर सकते है, जैसे सब्जी की खरीदारी के समय हम कांटे युक्त सब्जी का चयन करते हुए सावधानी रखते है। ठीक उसी प्रकार हमें आज की परिस्थितियों में परिवार तथा समाज को संभाल लेने की आवश्यकता है। इसके लिए श्रीमद् भागवत की कथा का आयोजन बढ़ना चाहिये। साथ ही प्रभु के नाम की महिमा को बढ़ाया जाये, जिसके लिए नामदान की परम्परा को पोषित करने की जरूरत है। कलयुग में कथा के बारम्बार आयोजन से उसकी उम्र घटती चली जायेगी। साथ ही आर्थिक अपव्यय भी रूकता है। हमनें श्री बड़ां बालाजी धाम पर सात दिन में प्रतिदिन 3 घंटे के हिसाब से लगातार 21 घंटे कथा सुनाई। इसका लाभ यह है, कि इस समयावधि में दुराचार, व्यसन, मोबाइल का उपयोग, मिथ्या भाषण, परनिन्दा, निन्दा युक्त श्रवण, चुगलखोरी, झगड़ा-फसाद आदि बुराईयों को रोक पाने में सफलता मिली। यानि की जिस प्रकार बिजली की कटौती सरकार के लिए किसी अन्य उपयोग अथवा फायदे की दृष्टि से अनिवार्य है। उसी प्रकार कथा का आयोजन इन बुराईयों की कटौती में काफी फलदायक साबित होती है। अन्ततः गुरूजी ने कहा कि बच्चों को लाड़-प्यार से रखना मां-बाप का विशेष धर्म है, लेकिन उन्हें मोबाइल की लत से बचाना भी उनका दायित्व है। यदि हमनें मोबाइल का उपयोग बच्चों की ओर ज्यादा बढ़ाया, तो समाज में धार्मिकता घट जायेगी। हमें नई पीढ़ी को गाय, गोकूल, गौरस, गंगा, गीता आदि की परम्परा से जोड़ने की जरूरत है, ताकि कलयुग को पुष्ट बनने से रोक सके। हमें जीवन के प्रत्येक क्षण में यह संकल्पि करते हुए आगे बढ़ना है कि है प्रभु चढ़ाये तो मंदिर की पेढ़ी चढाना और गिराने का मन हो तो आपके श्रीचरणों में गिराना।
कथा का समापन करते हुए गुरूदेव ने कहा कि आज सांसद दुष्यंत सिंह जी एवं भायाजी एक साथ कथामृतपान के लिए विराजमान है। ऐसा विश्वास है, कि इस क्षेत्र की इन दोनों आत्माओं का एक साथ कथा में बैठने का लाभ जन-जन को प्राप्त होगा।

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