डॉ. नीरज दइया को साहित्य अकादेमी पुरस्कार

डॉ. नीरज दइया
डॉ. नीरज दइया
बीकानेर । 21 दिसम्बर 2017। राजस्थानी के चर्चित कवि-आलोचक डॉ. नीरज दइया को साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली की ओर से राजस्थानी भाषा के लिए वर्ष 2017 के मुख्य पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई है। डॉ. दइया को यह पुरस्कार उनके राजस्थानी कथा साहित्य पर आलोचनात्मक निबंधों की पुस्तक ‘बिना हासलपाई’ के लिए दिया जाएगा।

अकादेमी सचिव डॉ. के. श्रीनिवासराव की ओर से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक गुरुवार को अकादेमी से मान्यता प्राप्त भारत की सभी 24 भाषाओं के लिए मुख्य पुरस्कार घोषित किए गए। इन साहित्यकारों को एक-एक लाख रुपए का चैक एवं ताम्रपत्र आदि देकर नई दिल्ली में 12 फरवरी 2018 को आयोजित एक विशेष समारोह साहित्योत्सव में सम्मानित किया जाएगा।

मुक्ति के सचिव कवि कहानीकार राजेन्द्र जोशी ने बताया कि नीरज दइया का जन्म 22 सितम्बर,1968 रतनगढ़ (चूरू) राजस्थान में हुआ। कवि,आलोचक, व्यंग्यकार, अनुवादक और संपादक के रूप में राजस्थानी और हिंदी साहित्य में डॉ. नीरज दइया एक जाना-पहचाना और विश्वसनीय नाम है। आपको लेखन के संस्कार अपने स्वर्गीय पिता श्री सांवर दइया से मिले जो राजस्थानी के प्रख्यात कवि-कहानीकार माने जाते हैं। डॉ. नीरज दइया ने बी.एससी. के बाद हिंदी और राजस्थानी साहित्य में एम.ए. किया और बी.एड., नेट, स्लेट,पत्रकारिता और जनसंचार में स्नातक पाठ्यक्रम भी किया। आपने “निर्मल वर्मा के कथा साहित्य में आधुनिकता बोध” विषय पर शोध किया और वर्तमान में आप केंद्रीय विद्यालय संगठन में पी.जी.टी. (हिंदी) के पद पर सेवारत हैं। आपकी दो दर्जन से अधिक पुस्तकें राजस्थानी और हिंदी में प्रकाशित हुई है। राजस्थानी कविता और आलोचना में विशेष कार्य करने वाले डॉ. नीरज दइया ने अनुवाद, संपादन और व्यंग्य विधा में भी उल्लेखनीय कार्य किया है। वर्ष 1989 में अपाकी पहली कृति भोर सूं आथण तांई लघुकथा संग्रह के रूप में सामने आई और वर्ष 2017 में आपकी 6 पुस्तकें प्रकाशित हुई है। ‘साख’, ‘देसूंटो’ और ‘पाछो कुण आसी’ जैसे काव्य कृतियों के कवि डॉ. नीरज दइया की आलोचना विधा में ‘आलोचना रै आंगणै’ और ‘बिना हासलपाई’ कृति बेहद चर्चित और प्रशंसित हुई है। आपने राजस्थानी भाषा में अमृता प्रीतम, निर्मल वर्मा, भोलाभाई पटेल,नंदकिशोर आचार्य और सुधीर सक्सेना जैसे महत्त्वपूर्ण रचनाकारों की कृतियों का अनुवाद किया हैं वहीं राजस्थानी के युवा कवियों की कविताओं का संपादित संग्रह ‘मंडाण’ राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी से प्रकाशित हुआ है। आपने साहित्य अकादेमी नई दिल्ली के लिए नेशनल बिब्लियोग्राफी ऑफ इंडियन लिटरेचर हेतु राजस्थानी भाषा के लिए कार्य किय है तो अकादमी की मासिक पत्रिका ‘जागती जोत’ का संपादन भी किया है। आप माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अजमेर में राजस्थानी साहित्य परामर्श मंडल के संयोजक भी रहें हैं। इंटरनेट पर ‘कविता कोश’ राजस्थानी-विभाग के सहायक सम्पादक डॉ. नीरज दइया को साहित्य अकादेमी नई दिल्ली द्वारा राजस्थानी बाल साहित्य पुरस्कार एवं राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं सस्कृति अकादेमी,बीकानेर से अनुवाद पुरस्कार सहित अनेक पुरस्कारों मान-सम्मानों से नवाजा जा चुका है। बहुमुखी प्रतिभा के धनी, मूर्धन्य साहित्यकार डॉ. नीरज दइया को राजस्थानी भाषा-साहित्य की श्रीवृद्धि में विशिष्ट योगदान हेतु पहचाना जाता है।

जोशी ने बताया कि रोटरी क्लब, बीकानेर द्वारा वर्ष 2016 के लिए राजस्थानी भाषा और साहित्य संबंधी वार्षिक पुरस्कार एवं सम्मान के अंतर्गत राजस्थानी गद्य-साहित्य की उत्कृष्ट कृति का “खींव राज मुन्नीलाल सोनी” 21 हजार रुपयों का नकद पुरस्कार कहानी-आलोचना की पुस्तक “बिना हासलपाई” को अर्पित किया जा चुका है। यह कृति सर्जना बीकानेर से वर्ष 2014 में प्रकाशित की गई थी। डॉ. नीरज दइया को पुरस्कार की घोषणा पर क्षेत्र के लेखकों,बुद्धिवियों एवं साहित्यप्रेमियों ने प्रसन्नता जाहिर की है।

– मोहन थानवी

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