सिंधी में बोलचाल और साहित्य सृजन में निरंतरता जरूरी

IMG_20171226_133450बीकानेर । सिंधी भाषा; साहित्य; कला एवं संस्कृति के संरक्षण के लिए सिंधी बालकों और युवाओं को सिंधी में बोलचाल और साहित्य सृजन में निरंतरता रखने की आवश्यकता है। इसी संदेश को समाज के हर व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए ही भारतीय सिंधु सभा के द्वारा सिन्धी भाषा मान्यता स्वर्ण जयंती वर्ष के अवसर पर पुष्कर से 23/12/17 को सात रथ यात्राएं रवाना हुई हैं। यह कहा सात रथों में से 6 नं की रथयात्रा को लेकर बीकानेर पहुंचे वासुदेव टेकवानी ने। उन्होंने बताया कि शेष छह रथ प्रदेश के विभिन्न भागों में प्रचार प्रसार करते हुए जयपुर पहुंचेंगे। वासुदेव ने यात्रा के बीकानेर में दो दिवसीय पड़ाव के दौरान विभिन्न स्वागत स्थलों और झूलेलाल मँदिर सुदर्शन नगर सहित रथखाना कॉलोनी; साधु- वासवानी सेंटर; – अमर लाल मँदिर ; -कँवर राम मँदिर; हेमू कालानी चौराहा व्यास कॉलोनी व सेंट वीनस स्कूल मे हुए सिंधी सांस्कृतिक समारोहों में कहा कि आज नई पीढ़ी को सिंधु संस्कृति व परंपराओं को सहेजने के लिए जाग्रत होना जरूरी है। यात्रा के स्वागत में बीकानेर सिंधी समाज के कलाकारों ने सिन्धु लोककलाओं की छटा बिखरी और श्याम आहूजा; लालचंद तुलसियानी; हासानंद मंघवानी; हीरालाल रिझवानी; देवीचंद खत्री; मोहन थानवी; अनिल तुलसियानी; किशन सदारंगानी आदि सिन्धु-विद्वजनों के व्याख्यान हुए। युवा कलाकारों ने छेज समेत सिन्धु लोक संस्कृति के रंगारंग कार्यक्रमों में प्रतिभा का प्रदर्शन किया। वीनस स्कूल में समापन समारोह में अनिल तुलसियानी ने वासुदेव टेकवानी को नगर के सिंधी साहित्यकार मोहन थानवी का सृजित साहित्य भेंट किया। समारोह के बाद ॐ अंकित झंडों से सज्जित बड़ी संख्या में दुपहिया व चार पहिया वाहनों के साथ यात्रा को भारतीय सिन्धु सभा के पदाधिकारियों ने हल्दीराम प्याऊ से श्रीडूंगरगढ़ के लिए विदाई दी। यात्रा डूंगरगढ़ से मेड़ता; डेगाना; मकराना होती हुई 30 दिसंबर को जयपुर पहुंचेगी।

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