श्री नेहरू शारदा पीठ पी.जी. महाविद्यालय में नव संवत्सर उच्छब कार्यक्रम

श्री नेहरू शारदा पीठ (पी.जी.) महाविद्यालय बीकानेर में रूक्टा (राष्ट्रीय) स्थानीय इकाई ने नव संवत्सर उच्छब का आयोजन किया गया। इस उच्छब मंे मुख्य अतिथि डॉ. दिग्विजय सिंह प्रांतीय अध्यक्ष रूक्टा राष्ट्रीय थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. प्रशान्त बिस्सा, प्राचार्य श्री नेहरू शारदा पीठ पी.जी. महाविद्यालय ने की।
उच्छब का आगाज अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के चरणों में दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ।
मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. दिग्विजय सिंह ने कहा कि नव संवत्सर 2075 चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 18 मार्च 2018 से प्रारंभ हो रहा है। यही हमारा नया वर्ष है। इसे धूमधाम से मनाया जाना चाहिए। अंग्रेजी नववर्ष मनाने का कोई धार्मिक एवं वैज्ञानिक कारण नहीं है। हम तो अंग्रेजों की झुठन व उनकी परम्परा का निर्वाह कर रहे है। हमारें नव वर्ष मनाने के धार्मिक एवं वैज्ञानिक कारण है। इसी दिन ब्रह्मा्र जी ने सृष्टि का निर्माण किया था। भगवान विष्णु का प्रथम अवतार इसी दिन हुआ था। नवरात्रा की शुरूआत भी इसी दिन से होती है। जिसमें हम लोग उपवास रखते हैं तथा शक्ति की आराधाना करते है। इसी महिने में सारी वनस्पति और सृष्टि प्रस्फुटित होती है।
अध्यक्ष उद्बोधन में डॉ. प्रशान्त बिस्सा ने कहा कि पिछल हजारों वर्षों में अनेक देशी और विदेशी राजाओं ने अपनी साम्राज्यवादी आंकाक्षाओं की तृष्टी करने के लिए तथा इस देश को राजनीतिक दृष्टि से गुलाम बनाने के उदेद्श्य से अनेक संवतों को चलाया किंतु भारत राष्ट्र की सांस्कृतिक पहचान केवल विक्रम संवत के साथ जुड़़ी रही। अंग्रेजी शिक्षा और दीक्षा और पश्चिम संस्कृति के प्रभाव के कारण आज भले की सर्वत्र ईस्वीं संवत का बोलबाला हैं और भारतीय तिथि मासो से लोग अनभिज्ञ होते जा रहे है। परन्तु सच्चाई तो यह है कि देश के सांस्कृतिक पर्व उत्सव तथा राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर आदि महापुरूषों की जयंतियां आज भी भारतीय काल गणना के अनुसार मनाई जाती है। अंग्रेजी तारीक के अनुसार नहीं हर त्यौंहार और सामाजिक अनुष्ठान ये सब भारतीय पंचाग पद्धति के अनुसार ही मनाएं जाते है।
इसी अवसर पर राजस्थानी के व्याख्याता डॉ. गौरीशंकर प्रजापत ने कहा कि चैत्र मास का वैदिक नाम मधुमास है। मधुमास अर्थात आनंद बांटती बसंत का महिना। इस मास मंे सारी वनस्पति और सृष्टि प्रस्फुटित होती है। चारों तरफ पक्की फसल लहराती और हर व्यक्ति आत्मबल और उत्साह से भरा रहता है। लोग मदमस्त हो जाते है और प्रकृति मंे नव-जीवन आ जाता है।
इस उच्छब पर अतिथियों का शब्दाभिषेक डॉ. दिनेश कुमार सेवग ने किया। श्रीमती सीपिका हर्ष ने नव वर्ष के आगमन को जीवन एक उल्हास के रूप में बताया और कहा कि जीवन को नये ढंग से शुरू करने का हमें एक सुनहरा अवसर मिलता है।
डॉ. समीक्षा व्यास ने कहा कि जिस तरफ नये पौधे अंकुरित होते है तथा पौधों में सुगंधित फुल आते है उसी तरह हमारे जीवन जीने की एक नई कला विकसित होती है।

डॉ. गोपाल कृष्ण व्यास व्याख्याता इतिहास ने हिन्दू नववर्ष 2075 के शुभ अवसर पर सभी विद्यार्थियों की हार्दिक बधाई दी साथ ही उन्होंने अपनी संस्कृति एवं सभ्यता के साथ जुड़ें रहने की भी अपील की ताकि आने वाली पीढ़ि हिन्दू रीति रिवाजों को आने वाले समय में न केवल अपनाये अपितु इसके संवर्धन एवं संरक्षण को भी प्रेरित रहें।
व्याख्याता डॉ. चित्रा आचार्य ने हिन्दू नववर्ष पर छात्रों को संबोधित करते हुए उनके शैक्षणिक जीवन के उत्थान की मनोकामना की और कहा कि जिस तरह नयावर्ष नई आशाएं लेकर आता है आपका शैक्षणिक जीवन भी उन्नति की नई आशाएं लेकर आए।
व्याख्याता मनीषा गांधी ने हिन्दू नव वर्ष के आगमन पर विद्यार्थियों को प्रकृति की सुंदरता के बारे में बताया की प्रकृति की अपने जीवन को निर्मल व उल्हासित बनाये रखने की बात कही।
व्याख्याता डॉ. यज्ञेश नारायण पुरोहित ने अपनी देश की सभ्यता एवं संस्कृति को बनाये रखने की बात कही।
महाविद्यालय के व्याख्यातागण डॉ. यज्ञेश नारायण पुरोहित, डॉ. गोपाल कृष्ण व्यास, डॉ. मनीषा गांधी , राकेश स्वामी, डॉ. चित्रा व्यास, विमल व्यास, बलदेव शर्मा ने कार्यक्रम में उपस्थित हुए तथा कार्यक्रम की समापन पर धन्यवाद दिया।

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