वेटरनरी विश्वविद्यालय को ई-गर्वनेन्स राजस्थान अवार्ड

सूचना प्रौद्योगिकी दिवस-2018 : मुख्यमंत्राी श्रीमती राजे ने वेटरनरी विश्वविद्यालय को ई-गर्वनेन्स राजस्थान अवार्ड से किया सम्मानित
बीकानेर, 21 मार्च। मुख्यमंत्राी श्रीमती वसुन्धरा राजे ने राजस्थान सूचना प्रौद्योगिकी दिवस 2018 के अवसर पर राजस्थान वेटरनरी विश्वविद्यालय को ई-गर्वनेन्स राजस्थान अवार्ड 2016-17 से सम्मानित किया है। श्रीमती राजे ने जयपुर में बुधवार को आयोजित आई.टी.डे. समारोह में वेटरनरी विश्वविद्यालय के संकाय अध्यक्ष एवं अधिष्ठाता प्रो. त्रिभुवन शर्मा को यह पुरस्कार प्रदान किया। राज्य सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी और संचार विभाग द्वारा राजस्थान में संस्थानिक ई-गर्वनेन्स में श्रेष्ठ कार्य करने वाले संस्थान को यह पुरस्कार प्रदान किया जाता है। राज्य सरकार ने राज्य में ई-शासन की सुदृृढ़ता के लिए समर्पण और प्रतिबद्धता के साथ कार्य करने के लिए वेटरनरी विश्वविद्यालय को यह पुरस्कार प्रदान किया है।
कुलपति प्रो. बी.आर. छीपा ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्रा में ई-सुशासन के लिए किए गए कार्यों को राज्य में मान्यता मिलने से वेटरनरी विश्वविद्यालय गौरवान्वित हुआ है। इससे विश्वविद्यालय को ओर आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलेगी। वेटरनरी कॉलेज के अधिष्ठाता प्रो. त्रिभुवन शर्मा ने बताया कि वेटरनरी विश्वविद्यालय ने अपने सभी कार्यों को ई-शासन के तहत करने के लिए एकीकृत विश्वविद्यालय प्रबंधन तंत्रा की पृथक से स्थापना की। शर्मा ने बताया कि यह पुरस्कार राजुवास के समस्त कार्मिकों की मेहनत और लगन का परिणाम है जिससे उन्हें और अधिक ऊर्जा से कार्य करने की क्षमता प्रदान करेगा। राजुवास देश का पहला ऐसा विश्वविद्यालय बना जहां विद्यार्थियों की परीक्षा उत्तर पुस्तिकाओं का ऑनलाइन मूल्यांकन कार्य शुरू किया गया।
शर्मा ने बताया कि राजुवास के समस्त कर्मचारियों और विद्यार्थियों के समस्त डाटा के अलग-अलग पोर्टल तैयार किये गए। इससे अध्ययनरत विद्यार्थियों को प्रवेश सूचना और परीक्षा कार्यक्रम तथा उपस्थिति की सूचनाएं ऑनलाइन मुहैय्या करवाई गई हैं। परीक्षा के फार्म और अंकतालिकाएं भी ई-शासन के तहत मोबाइल पर उपलब्ध हो रही हैं। इसके लिए विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर स्थित सभी विभाग और छात्रावासों को वाई-फाई सुविधा प्रदान की गई है। विश्वविद्यालय कर्मचारियों की संस्थापन सूचनाएं भी पोर्टल द्वारा ऑन लाइन मुहैय्या करवाई गई हैं। उल्लेखनीय है कि भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा जारी नेशनल इन्स्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क में देश के 789 विश्वविद्यालयों में राजुवास ने 68वीं रैंक हासिल की है।
———
राजुवास में पशु जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट के उचित प्रबंधन एवं निस्तारण का दो दिवसीय प्रशिक्षण शुरू
बीकानेर, 21 मार्च। पशु जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट के उचित प्रबंधन और निसतारण पर वेटरनरी विश्वविद्यालय के चिकित्सा कार्मिकों का दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर बुधवार को जन स्वास्थ्य विभाग के सभागार में शुरू हुआ।
वेटरनरी विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर अध्ययन के अधिष्ठाता प्रो. एस.के. कश्यप ने प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर प्रो. कश्यप ने कहा कि पशुचिकित्सा में अनुसंधान, पशु उपचार, प्रयोगशाला जांचों के दौरान होने वाले जैविक अपशिष्टों से संक्रमण का खतरा रहता है अतः इन्हें उपयुक्त तरीके से अलग-अलग करके सुरक्षित तरीके से निस्तारित किया जाना बहुत आवश्यक है। ऐसा नहीं करने से मनुष्य, पशु और पर्यावरण को गंभीर खतरा हो सकता है।
राजुवास के पशु जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट तकनीकी निस्तारण केन्द्र के प्रमुख अन्वेषक प्रो. राकेश राव ने बताया कि प्रशिक्षण में वेटरनरी विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के तकनीकी सहायक, प्रयोगशाला सहायक, पशुधन सहायक सहित प्रयोगशालाओं और पशु चिकित्सालय के 85 कार्मिक भाग ले रहे हैं। प्रो. राव ने बताया कि सभी कार्मिकों की “ऑन हैण्ड ट्रेनिंग” की जा रही है। पशु चिकित्सालयों के कुल अपशिष्ट निस्तारण में 20 प्रतिशत जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट होता है।
कुलसचिव प्रो. हेमन्त दाधीच ने जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट के कारण होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी देते हुए प्रशिक्षण को अत्यंत उपयोगी बताया। प्रशिक्षण के प्रारंभ में “जैव चिकित्सकीय अपशिष्टः एक वैश्विक जिम्मेवारी“ विषय पर एनीमेशन लघु फिल्म का प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. रजनी जोशी ने किया। उद्घाटन सत्रा में क्लिनिक्स के निदेशक प्रो. जे.एस. मेहता, छात्रा कल्याण अधिष्ठाता प्रो. सुभाष चन्द्र गोस्वामी, निदेशक (कार्य) मोतीराम, प्रो.ए.के. कटारिया, प्रो. आर.के. धूड़िया, प्रो. आर.के. जोशी व डॉ. प्रवीण बिश्नोई सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।
——
उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र में राजभाषा कार्यशाला का आयोजन
बीकानेर, 21 मार्च। भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र में बुधवार को राजभाषा कार्यशाला का आयोजन किया गया।
अतिथि वक्ता के रूप में भारतीय स्टैट बैंक, प्रशासनिक कार्यालय के राजभाषा अधिकारी सुनील कुमार ने ‘प्रयोजनमूलक हिन्दी और कार्यालय‘ विषयक अपने व्याख्यान में बताया कि अनुसंधान में प्रशासनिक और अनुसंधान विषयक, दो प्रकार के राजभाषा के कार्य हो सकते हैं। उन्होंने संस्थान की गतिविधियों के संबंध में बोलते हुए कहा कि केन्द्र में प्रशासनिक विषयक कार्याें को राजभाषा प्रावधान के अनुरूप किया जा रहा है, साथ ही अनुसंधान विषयक कार्याें में भी राजभाषा को प्राथमिकता प्रदान की जाती है। इसे अधिकाधिक बढ़ाने हेतु अनुसंधान के प्रयोजन के अनुसार हिन्दी की सरल पारिभाषिक शब्दावली को प्रयोग में लाया जाना चाहिए और भारत सरकार की भी सभी संस्थानों से यह अपेक्षा है कि वे क्षेत्राीय और अन्य भाषाओं के प्रचलित शब्दों को भी तरजीह दें। इससे अनुसंधान कार्याें को ऊँट पालकों व आमजन के बीच ले जाने में और ज्यादा मदद मिलेगी।
कार्यक्रम अध्यक्ष एवं केन्द्र निदेशक डॉ.एन.वी.पाटिल ने कहा कि केन्द्र द्वारा राजभाषा हिन्दी के माध्यम से अनुसंधान गतिविधियों के प्रचार-प्रसार में महत्त्वपूर्ण सहयोग प्राप्त हो रहा है। राजभाषा कार्यशालाओं में ऐसे विषय सम्मिलित किया जाना आवश्यक है। ऐसे विषयों के माध्यम से संस्थान अपने कार्यक्षेत्रा में और अधिक सम्बद्धता प्रकट करते हुए अनुसंधान उपलब्धियों एवं गतिविधियों को प्रभावी ढंग से ऊँट पालकों के समक्ष रख सकेगा। उन्होंने केन्द्र वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि राजभाषा हिन्दी के अधिकाधिक प्रयोग से संस्थान अपनी उपयोगिता को सिद्ध करने की दिशा में सतत रूप से अग्रसर रहेगा। प्रभारी राजभाषा डॉ.अशोक कुमार नागपाल ने कार्यशाला के उद्देश्य एवं महत्त्व पर प्रकाश डाला।

error: Content is protected !!